सुप्रीम कोर्ट ने अमेज़न प्राइम की कंटेंट हेड अपर्णा पुरोहित की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

वेब सीरीज तांडव के मामले में एमेजॉन प्राइम इंडिया की क्रिएटिव हेड अपर्णा पुरोहित को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने राहत देते हुए उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आरएस रेड्डी की पीठ ने यह फ़ैसला सुनाते हुए अपर्णा पुरोहित को जांच में सहयोग करने को कहा है। तांडव विवाद मामले में अमेज़न प्राइम की कंटेंट हेड अपर्णा पुरोहित की याचिका पर यूपी सरकार को पीठ ने आदेश जारी किया।

अमेज़न प्राइम पर दिखाई गई वेब सीरीज ‘तांडव’ को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में एफआईआर दर्ज हुई है। अपर्णा पुरोहित ने लखनऊ में दर्ज एफआईआर में इलाहाबाद हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत मांगी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका ठुकरा दी थी। ऐसे में उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

पीठ ने सुनवाई के दौरान ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री पर नियंत्रण के लिए बने नियमों पर टिप्पणी भी की है। पीठ ने कहा है कि बिना उचित कानून पास किए नियंत्रण नहीं हो सकता। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि सरकार दो हफ्ते में ड्राफ्ट कानून कोर्ट में पेश करेगी।

यूपी में दर्ज मामले में वेब सीरीज में भगवान शिव और हिंदू धर्म को अपमानजनक तरीके से दिखाए जाने की शिकायत की गई है। साथ ही राज्य की पुलिस के गलत चित्रण और जातीय आधार पर समाज को बांटने का भी आरोप लगाया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। संविधान में सभी धर्मों के सम्मान को जगह दी गई है। इस सीरीज में समाज में जाति के आधार पर भी विभेद पैदा करने की कोशिश की गई है।

ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म एमेजॉन पर दिखा गई वेब सिरीज़ तांडव को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। निर्माताओं पर हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित करने और हिन्दुओं की भावनाएं भड़काने के आरोप लगाए गए। इसके निर्माता-निर्देशक, अभिनेता और एमेज़ॉन के ख़िलाफ़ कई जगहों पर मामले दर्ज कराए गए थे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा था कि याचिकाकर्ता का व्यवहार दिखाता है कि नियम-क़ानून के प्रति उनके मन में कोई सम्मान नहीं है, उनका व्यवहार इस लायक नहीं है कि उन्हें कोई राहत दी जाए। जज ने 20 पेज के आदेश में कहा था कि जिस तरह का काम याचिकाकर्ता और दूसरे सह-अभियुक्तों ने किया है, वैसा जब देश के नागरिक करते हैं और सड़कों पर उतर कर धरना-प्रदर्शन करते हैं तो विदेशों में यह संकेत जाता है कि भारत काफी असहिष्णु हो गया है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी होती है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय को मिली शिकायतों के बाद ‘तांडव’ की टीम और एमेज़ॉन प्राइम वीडियो के प्रतिनिधियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये बातचीत हुई थी। इसके बाद एमेज़ॉन ने विवादित सीन को हटाने का फ़ैसला किया था। तांडव के निर्देशक अली अब्बास ज़फर ने एक बयान जारी कर कहा था कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था और वे एक बार फिर इसके लिए लोगों से माफी मांगते हैं।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई बार किसी न किसी तरह की अश्लील सामग्री दिखाई जाती है और इस तरह के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है। साथ ही, न्यायालय ने केंद्र से सोशल मीडिया के नियमन के लिए उसके दिशा-निर्देश के बारे में बताने को कहा है।

पुरोहित की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपनी मुवक्किल के खिलाफ मामले को हैरान करने वाला  बताया था और कहा कि वह तो एमेजॉन की एक कर्मचारी हैं, न कि निर्माता या कलाकार लेकिन फिर भी उन्हें देश भर में वेब सीरीज तांडव से जुड़े करीब दस मामलों में आरोपी बना दिया गया। रोहतगी ने कहा था कि ये सब सुर्खियां बटोरने वाले लोग हैं जो पूरे देश में मामले दर्ज कराते रहते हैं। एक बार प्राथमिकी देखिए, देखिए कि क्या हो रहा है।  अगर आप वेब सीरीज देखना चाहते हैं तो आपको इसके लिए भुगतान करना पड़ता है।

पीठ ने कहा था कि फिल्म देखने का पारंपरिक तरीका जरूर पुराना हो चुका है लेकिन उन फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड होता है। ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर जो भी कंटेंट दिखाया जाता है, उसकी स्क्रीनिंग होनी चाहिए, क्योंकि कुछ प्लेटफॉर्म्स पर तो पोर्नोग्राफी भी दिखाई जा रही है।

पीठ ने ओटीटी प्लैटफ़ॉर्म पर दिखाई जाने वाली सामग्री को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश को ज़रूरी बताया है। पीठ  ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और ओटीटी की सामग्री को नियंत्रित करने के लिए दिशा- निर्देश उसके सामने पेश करे। पीठ ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा है कि कुछ तो पोर्न सामग्री तक दिखाते हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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