अडानी-हिंडनबर्ग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने में जांच पूरी करने का दिया निर्देश, समीक्षा के लिए एक्सपर्ट कमेटी

अडानी-हिंडनबर्ग-मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। अदालत ने मार्केट रेगुलेटरी मैकेनिज्म में बदलाव किए जाने और इनवेस्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझावों के लिए पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में 6 सदस्यों की कमेटी गठित की है। कमेटी के सदस्य विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट हैं। इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल होंगे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने गुरुवार को यह आदेश दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने सेबी को इस मामले में जांच जारी रखने और 2 महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया है कि सेबी के चेयरपर्सन को एक्सपर्ट कमेटी को सभी जरूरी जानकारी देनी होगी, केंद्र सरकार से जुड़े एजेंसियों को कमेटी के साथ सहयोग करना होगा, कमेटी अपने काम के लिए बाहरी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है, कमेटी मेंबर्स का पेमेंट चेयरपर्सन तय करेंगे और केंद्र सरकार वहन करेगी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक सीनियर ऑफिसर को नॉमिनेट करेंगी, ये कमेटी को लॉजिस्टिकल असिस्टेंस देने के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में काम करेंगे तथा कमेटी के सभी खर्चों को केंद्र सरकार ही वहन करेगी।

इस कमेटी को मामले की जांच सौंपने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, यानी सेबी से भी स्टॉक्स की कीमतों में हेरफेर की जांच रिपोर्ट तलब की है। सेबी को 2 महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि कमेटी बनाने से मार्केट रेगुलेटर सेबी की स्वतंत्रता और इसकी जांच प्रोसेस में कोई बाधा नहीं आएगी।

कमेटी के अलावा सेबी भी 2 पहलुओं की जांच करेगी: क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (ए) का उल्लंघन हुआ तथा क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?

दरअसल कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (ए) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने 17 फरवरी को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में सेबी की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कमेटी के सदस्यों के नाम पर जजों को सुझाव सौंपे थे। कोर्ट ने केंद्र की तरफ से एक्सपर्ट्स के नाम वाले सुझाव सीलबंद लिफाफे में लेने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हम चाहते हैं कि इस मामले में सच बाहर आए पर बाजार पर इसका असर न पड़े। हम अपनी तरफ से कमेटी गठित करेंगे। हम निवेशकों की सुरक्षा के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी शेयर मार्केट का रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मजबूत करने के उपाय सुझाएगी। यानी मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग की निगरानी और पुख्ता की जाएगी। अडाणी ग्रुप के शेयर्स में तेज गिरावट से जुड़े विवादों की जांच करेगी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद ग्रुप के शेयर्स गिरे थे। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।

सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि हम चाहते हैं कि किसी पूर्व जज को निगरानी का जिम्मा सौंपने पर कोर्ट को फैसला लेना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा था, कमेटी जजों की ओर से बनाई जाएगी और केंद्र की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। आपने जो नाम सौंपे हैं, वह दूसरे पक्ष को न दिए गए तो ये पारदर्शिता नहीं होगी। हम इस मामले में पूरी पारदर्शिता चाहते हैं इसलिए हम अपनी तरफ से कमेटी बनाएंगे। हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं।

दरअसल, इस मामले में अब तक वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं। याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज की निगरानी में जांच कराने की अनुरोध किया गया था।

गौरतलब है कि, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर धोखाधड़ी और शेयर-प्राइज में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए गए। इसके बाद से अदाणी के शेयर्स में भारी गिरावट हो रही है।

मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और एफआईआर की मांग की है। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।

विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।

जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक) की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्‍होंने इनके द्वारा अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की है।

मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में सेबी, ईडी आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई है।

इससे पहले बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता। वहीं कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर चुकी है और जल्द ही इसे सुनाया जाएगा।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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