सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस-ओबीसी आरक्षण की वैधता तय होने तक नीट-पीजी काउंसलिंग पर लगाई रोक

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एनईईटी-पीजी काउंसलिंग पर तब तक के लिए रोक लगाने का निर्देश दिया, जब तक कि कोर्ट ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) आरक्षण के केंद्र के फैसले की वैधता का फैसला नहीं करता। उच्चतम न्यायालय ने ईडब्लूएस के लिए वार्षिक आय मानदंड के रूप में 8 लाख रुपये की सीमा तय करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि 25 अक्टूबर से शुरू होने वाली काउंसलिंग के लिए पूर्ण कार्यक्रम की घोषणा की गई है। उन्होंने अदालत के हस्तक्षेप के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि अदालत के समक्ष मुद्दा लंबित रहने के दौरान पूरी प्रक्रिया समाप्त हो सकती है।इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि जब तक अदालत इस मुद्दे का फैसला नहीं कर लेती, काउंसलिंग आगे नहीं बढ़नी चाहिए।जस्टिस चंद्रचूड़ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि जब तक हम इस मुद्दे का फैसला नहीं करेंगे, तब तक काउंसलिंग शुरू नहीं होगी।

दातार ने कहा कि उन्होंने 24 तारीख से शुरू होकर 29 तारीख तक पूरा कार्यक्रम जारी किया है। इसका मतलब यह होगा कि सब कुछ खत्म हो गया है।नटराज ने कहा कि आपने जो नोटिस पकड़ा है, वह सिर्फ कॉलेजों के लिए सीटों के सत्यापन के उद्देश्य से था।दातार ने जवाब दिया कि मुझे स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय से जानकारी मिली है।

इसपर पीठ ने हस्तक्षेप किया और एएसजी से पूछा कि क्या उसे यह आश्वासन मिल सकता है कि काउंसलिंग शुरू नहीं होगी।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक हम इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते, तब तक काउंसलिंग शुरू नहीं होगी। मिस्टर नटराज, हम इसके लिए आपकी बात मान रहे हैं।नटराज ने जवाब दिया कि बिल्कुल आप कर सकते हैं, माई लॉर्ड। दातार कोई कठिनाई होने पर सीधे मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से अखिल भारतीय कोटे की सीटों पर इन आरक्षणों की घोषणा करने वाली मेडिकल काउंसलिंग कमेटी द्वारा जारी 29 जुलाई की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है।

कोर्ट ने पिछले हफ्ते ईडब्ल्यूएस मानदंड के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित 8 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा की वैधता के बारे में संदेह व्यक्त किया था और कुछ विशेष मुद्दों पर जवाब मांगा था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने पिछले हफ्ते मामले की सुनवाई 28 अक्टूबर को तय की थी

सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत में याचिका दायर करने वाले नीट उम्मीदवारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की आधिकारिक सूचना के अनुसार, काउंसलिंग के पंजीकरण 25 अक्तूबर, 2021 से शुरू होने हैं। उन्होंने अदालत से इसमें हस्तक्षेप के लिए आग्रह किया।

इस पर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अगर अदालत के फैसले से पहले काउंसलिंग शुरू होती है तो छात्रों को एक गंभीर समस्या होगी। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया कि नीट-पीजी के लिए काउंसलिंग तब तक शुरू नहीं होगी जब तक कि कोर्ट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण शुरू करने के केंद्र के अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) फैसले की वैधता का फैसला नहीं कर लेता।

इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार, 21 अगस्त, 2021 को सुनवाई के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक आय के मानदंड अपनाने को लेकर केंद्र सरकार पर सवालों की ‘बौछार’ की थी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने इस मुद्दे पर केंद्र द्वारा हलफनामा दाखिल नहीं करने पर नाराजगी भी जताई थी। पीठ ने ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर के लिए आठ लाख रुपये के मानदंड का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के लिए समान मानदंड कैसे अपनाया जा सकता है जबकि ईडब्ल्यूएस में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है।

एनईईटी के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों में से एमबीबीएस में 15% सीटें और मेडिकल कॉलेजों में एमएस और एमडी पाठ्यक्रमों में 50% सीटें अखिल भारतीय कोटे से भरी जाती हैं।याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया कि क्या इन सीटों के लिए लंबवत या क्षैतिज आरक्षण होना चाहिए, और क्या ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठाने के लिए ₹ 8 लाख की वार्षिक आय एक वैध मानदंड था।केंद्र सरकार ने नीट के जरिए होने वाले मेडिकल एडमिशन में ईडब्ल्यूएस और ओबीसी कोटा लागू करने का निर्णय लिया था। इसके अनुसार, ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी सीटों पर आरक्षण का लाभ मिलेगा।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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