सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले की आज सुनवाई

पेगासस जासूसी मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय आज सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ  इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

इसके पहले 25अगस्त को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने पेगासस मुद्दे पर अन्य याचिकाओं के साथ पश्चिम बंगाल सरकार की अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली याचिका को टैग किया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह राष्ट्रव्यापी मसला है। हम पूरे मामले को देखेंगे। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जब तक अदालत मामले पर विचार कर रही है, वह पश्चिम बंगाल सरकार से संयम दिखाने और पेगासस मुद्दे पर उसके द्वारा गठित न्यायिक जांच के लिए आगे बढ़ने से पहले इंतजार करने की अपेक्षा करती है। हालांकि, न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग के कामकाज पर रोक लगाने के लिए कोई आदेश पारित करने से परहेज किया, जब वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने मौखिक आश्वासन दिया कि वह अदालत के संदेश को राज्य सरकार तक पहुंचाएंगे।

पीठ ग्लोबल विलेज फाउंडेशन नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिसमें उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया गया था, जो पेगासस स्पाइवेयर घोटाले से संबंधित आरोपों की जांच करेगा। उच्चतम न्यायालय में पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं लंबित हैं। इनके जवाब में केंद्र सरकार ने एक विशेषज्ञ कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है। कोर्ट ने 17 अगस्त को केंद्र को विस्तृत जवाब का समय देते हुए सुनवाई 10 दिन के लिए टाली थी।

द वायर समेत कई मीडिया संस्थानों ने एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें उन फोन नंबरों का जिक्र था, जिन्हें पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए संभावित निशाना बनाया गया था। इन नंबरों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्री, कई अन्य नेता, भारतीय पत्रकार और कई अन्य लोगों के नंबर शामिल थे।

यह रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र शुरू होने से पहले सामने आई थी। विपक्ष ने इन रिपोर्टों को लेकर सरकार पर काफी निशाना साधा था। हालांकि, सरकार का कहना था कि वह इसमें शामिल नहीं है। वहीं, पेगासस बनाने वाली इजरायली कंपनी ने भी इसको लेकर बयान जारी किया था। कंपनी ने कहा था कि वे अपना सॉफ्टवेयर जांची-परखी सरकार को आतंक से लड़ाई के लिए देती है।

विपक्षी पार्टियों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की थी। इससे पहले 17 अगस्त को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि उसके पास ‘अदालत से छिपाने के लिए कुछ नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने सरकार को नोटिस भी जारी किया था और कहा था कि सरकार को उन आरोपों का जवाब देना चाहिए जिनमें कहा गया है कि इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल अलग-अलग फोन पर किया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया मिलने के बाद ही जांच के लिए समिति बनाने पर फैसला करेगा। इस मामले में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि हम यह नहीं चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया जाए, लेकिन लोगों का दावा है कि उनके फोन पर हमला किया गया है। उनके दावों के अनुसार एक सक्षम प्राधिकारी ही इस पर प्रतिक्रिया दे सकता है।

 (जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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