कॉमेडियन नज़र मोहम्मद के बाद तालिबान ने अब अफ़गान कवि अब्दुल्ला आतिफी की हत्या की

तालिबान ने अफगानिस्तान के प्रसिद्ध कवि और इतिहासकार अब्दुल्ला आतिफी की हत्या कर दी है। अब्दुल्ला की हत्या 4 अगस्त को उरुजगन प्रदेश के चोरा जिले में उनके घर के बाहर कर दी गई है। तालिबान ने अब तक इस मसले पर कोई भी बयान नहीं दिया है।

पिछले ही हफ्ते तालिबान ने मशहूर अफगान कॉमेडियन की हत्या कर दी थी। तालिबान ने 22 जुलाई को कॉमेडियन नज़र मोहम्मद उर्फ़ खाशा ज़्वान को घर से बाहर निकालकर मार डाला था।

इससे पहले तालिबान द्वारा द रॉयटर्स के लिये काम करने वाले भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की 16 जुलाई को पहचान के बाद नृशंस हत्या कर दी गई थी। गौरतलब है कि 38 वर्षीय वर्षीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में चल रहे गृहयुद्ध को कवर करने गए थे। कंधार के स्पिन बोल्डक में तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच चल रहे संघर्ष को कवर करने के दौरान उनकी हत्या की गई थी। 

29 जुलाई बृहस्पतिवार को प्रकाशित अमेरिकी मैगजीन ‘वाशिंगटन एक्जामिनर’ की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्दीकी अफगान नेशनल आर्मी टीम के साथ स्पिन बोल्डक इलाके में गए थे। यह इलाका पाकिस्तान से लगता हुआ है। जब वह कस्टम पोस्ट से कुछ दूरी पर थे तभी तालिबान ने टीम पर हमला कर दिया। इसमें कमांडर और कुछ जवान सिद्दीकी से अलग हो गए और उनके साथ तीन लोग ही बचे। हमले के दौरान सिद्दीकी को गोलियों के छर्रे लगे। इसलिए वह और उनकी टीम प्राथमिक उपचार के लिए एक स्थानीय मस्जिद में गए। हालांकि जैसे ही यह बात फैली कि एक पत्रकार मस्जिद में है, तालिबान ने हमला कर दिया। स्थानीय जांच में पता चला कि तालिबान ने मस्जिद पर केवल इसलिए हमला किया क्योंकि वहां सिद्दीकी मौजूद थे। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान द्वारा बंधक बनाए जाने तक सिद्दीकी जिंदा थे। तालिबान ने उनकी पहचान की पुष्टि की और इसके बाद उनकी हत्या की। अफगान टीम के कमांडर और टीम के अन्य साथी सिद्दीकी को बचाने की कोशिश में मारे गए।

सिद्दीकी के शव की तस्वीरों और एक्स-रे के साथ उनकी मेडिकल रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई है कि उन्हें बेरहमी से मारा गया था। दानिश की हत्या के बाद उनके शरीर को न केवल बेरहमी से घसीटा गया, बल्कि एक भारी वाहन के जरिए उसे कुचला गया, ताकि शवों के टुकड़े हो जायें। 

अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के सूत्रों ने भी दानिश सिद्दीकी की हत्या और उन्हें टॉर्चर किए जाने की पुष्टि की है। कंधार में तालिबान द्वारा शुरुआती क्रॉस-फायर के दौरान दानिश को छर्रे लगे, लेकिन अफगान सेना की यूनिट ने अपना मिशन जारी रखा और दो हिस्सों में विभाजित हो गई। एक यूनिट दूसरे स्थान पर चली गई, जबकि दूसरी यूनिट ने दानिश के साथ स्पिन बोल्डक में एक स्थानीय मस्जिद में शरण ली। तालिबान की रेड यूनिट ने सेना की यूनिट का पीछा किया और फिर लड़ाके मस्जिद के भीतर घुसे। इसके बाद उन्होंने अफगानी जवानों को मारना शुरू किया। 

वहीं, दानिश सिद्दीकी ने तालिबान के लड़ाकों को चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि वह एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार हैं। फिर उन्होंने अपनी आईडी दिखाई और दावा किया कि वह अफगानिस्तान में एक भारतीय पत्रकार हैं। तालिबान ने उनके आईडी कार्ड की तस्वीरें क्वेटा में अपने मुख्यालय को भेजकर आगे के निर्देश मांगे। तालिबान ने उसके बाद दानिश के सोशल मीडिया पोस्ट को चेक किया और उनके ट्विटर फीड को स्कैन किया।  वे दानिश के अफगान बलों के साथ होने और उनके अनुसार तालिबान के खिलाफ रिपोर्टिंग से नाराज थे। तालिबान मुख्यालय ने फिर दानिश की हत्या का आदेश दिया। 

दानिश सिद्दीकी की हत्या का आदेश मिलने पर उन्हें 12 गोलियां मारी गईं और उन्हें मस्जिद से बाहर घसीट कर निकाला गया। इस दौरान उनका बुलेट-प्रूफ जैकेट हटा दिया गया। इस दौरान घटना की तस्वीरों को कैमरे में कैद किया गया और फिर उन्हें सर्कुलेट किया गया। दानिश की हत्या के बाद भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की तरफ से काफी गुस्सा देखने को मिला। तालिबान को एहसास हुआ कि उन्होंने रॉयटर्स के एक वरिष्ठ पत्रकार की हत्या कर दी है। यही वजह थी कि हताशा में, उन्होंने एक एसयूवी कार Humvee ली और उनके सिर और छाती को कुचल दिया। 

अमेरिकी सैनिकों के अफ़गानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान अब अफगान सुरक्षा बलों के साथ ही आम लोगों को भी निशाना बना रहा है। तालिबान ने देश के पूर्वोत्तर प्रांत तखर सहित अफगानिस्तान के कई प्रमुख जिलों पर कब्जा कर लिया है। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा हिंसा में बढ़ोत्तरी पर चर्चा करने के लिए भारत की अध्यक्षता में यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की 6 अगस्त को बैठक होने वाली है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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