तमिलनाडु में सवर्णों और दलितों के बीच मंदिर प्रवेश के मुद्दे पर संघर्ष

नई दिल्ली। कहने को तो सब हिंदू हैं, दलित भी हिंदू हैं। लेकिन ज्यों ही दलित समान अधिकारों की बात करते हैं, वे हिंदू नहीं अस्पृश्य हो जाते हैं। उनके लिए मंदिरों के दरवाजे भी बंद हो जाते हैं। दलितों को इस स्थिति का सामना तमिलनाडु जैसे राज्य में भी करना पड़ता है। ऐसी ही घटना तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में भी सामने आई। विल्लपुरम जिले के मेलपाथी गांव में धर्मराज द्रौपदी अम्मन मंदिर में अपरकॉस्ट के लोग दलितों को प्रवेश नहीं करने दे रहे थे। दलित मंदिर प्रवेश की अपनी मांग पर अड़े हुए थे। तमिलनाडु में दलितों को आदि द्रविड़ के रूप में जाना जाता है। ऊंची जाति के मंदिर में आदि द्रविड़ (दलितों) के प्रवेश पर रोक के चलते काफी विवाद हो गया है। इसके बाद राजस्व मंडल को अधिकारी एस रविचंद्रन ने इस विवाद के चलते आईपीसी की धारा 145(1) के तहत मंदिर को सील कर दिया है। 

यह मंदिर पिछले कई वर्षों से हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग के अधीन है। मंदिर मैनेजमेंट और गांव के निवासियों ने दलितों के साथ भेदभाव करते हुए उनके मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसका दलितों ने विरोध किया। हालांकि प्रशासन ने कई बार शांति वार्ता की कोशिश की लेकिन गतिरोध खत्म करने में विफल रहने के बाद कार्रवाई की और मंदिर परिसर में किसी के भी जाने को लेकर प्रतिबंध लगाते हुए सील कर कर दिया। एक अधिकारी ने कहा कि कई दौर की शांति वार्ता गतिरोध तोड़ने में विफल रहने के बाद कार्रवाई की गई। 

द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एक अधिकारी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि “राजस्व अधिकारियों को इनपुट मिले थे कि आदि द्रविड़ों (दलितों) ने मंदिर में प्रवेश करने की योजना बनाई थी। जबकि सवर्ण हिंदुओं ने इस कदम का कड़ा विरोध किया था। हालांकि मंदिर मानव संसाधन और सीई विभाग के अंतर्गत आता है, लेकिन ऊंची जाति के हिंदुओं ने दावा किया है कि पीठासीन देवता उनके कुलदेव हैं और विभाग का मंदिर पर कोई अधिकार नहीं है”। वलावानूर पुलिस स्टेशन में मामले को दर्ज करते हुए वहां किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया है। फिलहाल वहां अभी स्थितियां तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में है।

(आजाद शेखर जनचौक के सब एडिटर हैं।)

आज़ाद शेखर
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