दुनिया में दस लाख से ज़्यादा बच्चों पर मंडरा रहा है मौत का ख़तरा

अगर किसी इंसान से पूछा जाए कि इस धरती पर तुम्हें सबसे खूबसूरत कौन लगता है, तो जवाब होगा मासूम बच्चे। इन्हीं बच्चों का जीवन सबसे अधिक खतरे में पहले से रहा है और कोरोना काल में यह संकट और गहरा होने जा रहा है। इस संकट का शिकार गर्भवती महिलाएं भी होने जा रही हैं। ये वे बच्चे और महिलाएं हैं, जिन्हें बचाया जा सकता था और जो कोरोना के चलते नहीं, बल्कि कोरोना के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने के कारण मारे जाएंगे।

यूनिसेफ ने विश्व में 10 देशों की सूची जारी की है जिनमें भारत भी शामिल है, जहां मातृ और शिशु मृत्यु की दर सबसे ज्यादा है। हालिया कोरोना-प्रकरण के कारण इसमें भारी इजाफा होने जा रहा है। भारत में भी कोरोना महामारी से निपटने के उपाय के रूप में लॉक डाउन ने नियमित स्वास्थ्य प्रणाली पर सबसे बुरा असर डाला है। अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ का कहना है कि 100 से अधिक देशों में लगभग 10 लाख 20 हजार बच्चों पर मौत के बादल मंडरा रहे हैं। क्योंकि कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य सुविधाओं के रूटीन सिस्टम को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है।

अगर इन्हें छः महीने के भीतर नियमित चिकित्सकीय सुविधायें नहीं मिलीं तो इनका मरना लगभग तय है। आंकड़े बताते हैं कि निम्न एवं मध्यम आय वाले लगभग 118 देश हैं जहां कुल मिलाकर 25 लाख बच्चे हर छ: महीने में ऐसी बीमारियों से मरते रहे हैं, जिनसे उन्हें बचाया जा सकता है। जिसका निहितार्थ है की 13,800 बच्चे प्रतिदिन मरते हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण उपजे स्वास्थ्य सेवाओं का संकट उपरोक्त मौतों में प्रतिदिन 6000 (बच्चों की मृत्यु में) का इजाफा करेंगे। 

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा ने अपने एक बयान में कहा है कि अपने पांचवें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों की वैश्विक संख्या में दशकों में पहली बार बढ़ोतरी होने जा रही है। कोरोनो महामारी के फैलाव ने सबसे बड़ा संकट गर्भवती महिलाओं के लिए उत्पन्न किया है। यूनिसेफ ने कहा है कि हर छः महीने के भीतर लगभग 56,700 माताओं की मृत्यु होने की आशंका है। ये मौतें पहले से हर छः महीने पर होने वाली 1,44,000 मातृ मृत्यु में इजाफा करेंगी। इसका कारण समय से उन्हें स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध न हो पाना है।

लगभग 10 ऐसे देश हैं जहाँ शिशु मृत्यु की दर सबसे ज्यादा है एवं इन देशों में यूनिसेफ ने ऐसे मौतों में बढ़ोतरी की आशंका जतायी है। ये देश हैं- बांग्लादेश, ब्राजील, कांगो, इथोपिया, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, तंजानिया और युगांडा।

क्या कोरोना संकट के नाम पर इन 10 लाख से अधिक बच्चों को यों ही मरने के लिए छोड़ दिया जाए?

(इमानुद्दीन पत्रकार अनुवादक हैं और आजकल गोरखपुर में रहते हैं।)

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