कोरोना पर 10 अहम सवाल, जिनके जवाब देने से भाग रही है सरकार

कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने की तैयारी के लिये भारत में दो महीने से अधिक का समय हो गया है। चीन ने पिछले 31 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोविद -19 रोग के पहले मामले की सूचना दी। भारत ने 30 जनवरी को अपने पहले मामले की पुष्टि की। तब से, भारत सरकार ने बार-बार यह दावा किया है कि उसने देश की स्वास्थ्य प्रणालियों की समीक्षा की है और इसके लिये आवश्यक सभी कदम उठाये हैं। उन्हें मजबूत किया है। लेकिन सरकार बारीकियों का खुलासा करने से बचना चाहती है।

भारत में रविवार को देशव्यापी बंद (जनता कर्फ़्यू) के लिये कमर कसने के साथ, देश के स्वास्थ्य संवाददाताओं के एक समूह द्वारा सरकार के सामने 10 ज़रूरी सवाल रखे गये हैं, जो इस प्रकार हैं :

1. स्वास्थ्य सूची

क्या स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह गिनती पूरी कर ली है कि प्रत्येक राज्य और जिले में कितने डॉक्टर, नर्स, वेंटिलेटर, गहन देखभाल इकाइयां आदि उपलब्ध हैं? यदि हां, तो यह जानकारी जनता को आश्वस्त करने के लिये ऑनलाइन जारी क्यों नहीं की गयी है, जैसे अधिकांश देशों ने की है?

2. निजी क्षेत्र

भारत में सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में कितने बेड और वेंटिलेटर हैं, जो कोविद -19 के मरीजों की देखभाल के लिए तत्काल उपयोग के लिये स्थापित और तैयार हैं? क्या निजी क्षेत्र में लोगों की मुफ्त में इलाज़ की व्यवस्था की जाएगी, जैसा कि अन्य देशों में किया जा रहा है, विशेष रूप से स्पेन में?

3. चिकित्सा सुविधा तक पहुंच

कोविद -19 रोग के लक्षण दिखाने वाले रोगियों को अस्पताल से बाहर निकालने या भगा देने की कई ख़बरें सामने आ रही हैं। यदि आवश्यक हो तो ऐसे रोगियों की जांच, नैदानिक नमूने, जांच और संदर्भ देने के लिये सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के लिए क्या दिशा निर्देश हैं? क्या कोई अस्पताल सुविधाओं की कमी के आधार पर एक संदिग्ध कोविद -19 रोगी का इलाज़ करने से मना कर सकता है?

4. बीमा योजना

क्या सरकार अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत में कोविद -19 की पेशकश करने की सोच रही है, जो निजी अस्पतालों को मुफ्त में मरीजों को ले जाने की अनुमति देगा? यदि हां, तो सरकार वास्तव में ऐसा करने की योजना कब लाने जा रही है?

5. स्वास्थ्य कार्यकर्ता सुरक्षा

क्या सरकार के पास स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरण हैं? क्या आइसोलेशन वार्डों में काम करने वालों का नियमित रूप से परीक्षण किया जा रहा है? सरकार ने कोविद -19 रोगियों की देखभाल करने वाले डॉक्टरों और नर्सों के परीक्षण के मानदंडों का विस्तार क्यों नहीं किया है, भले ही उनके पास बीमारी के लक्षण हों या नहीं?

6. अस्पतालों में परिवहन

सरकार ने रविवार को देशव्यापी बंद (जनता कर्फ़्यू) का ऐलान किया है। यदि इस तरह के लॉकडाउन जारी रहते हैं, तो कोविद -19 और अन्य बीमारियों वाले मरीज अस्पताल कैसे पहुंचेंगे और वापस कैसे आएंगे? स्वास्थ्य प्रणालियों तक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति किस प्रकार होगी?

7. दवाएं और उपकरण

वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में आ रही बाधाओं को देखते हुए, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिये क्या कदम उठाए हैं कि भारत द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावज़ूद दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी?

8. एचआईवी दवा की उपलब्धता

एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की जमाखोरी और गैर-उपलब्धता के बारे में एक चिंता उभरी है, जो कोविद -19 उपचार में उपयोग के लिये अनुमोदित की गई है। यह एचआईवी रोगियों की देखभाल को प्रभावित कर सकता है। क्या स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इस संभावना से निपटने की योजना है?

9. अन्य रोग

क्या स्वास्थ्य मंत्रालय के पास यह सुनिश्चित करने की योजना है कि तपेदिक और कैंसर जैसी अन्य उच्च मृत्यु दर वाली बीमारियों के उपचार को रोका नहीं जायेगा? यदि हां, तो योजना क्या है?

10. सूचना प्रवाह

क्या कोई स्विफ्ट डेटा सूचना प्रणाली है, जो हर किसी को कोविद -19 मामलों की जांच, निदान, भर्ती, गहन देखभाल में रखे गये लोगों की संख्या, रिकवरी, डिस्चार्ज और मौतों पर विवरण के साथ हर जिले के लिये अप-टू-डेट जानकारी तक पहुंचने की अनुमति देती है? यदि नहीं, तो इस तरह की व्यवस्था कितनी जल्दी उपलब्ध हो जायेगी?

(दि स्क्रोल पर अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस लेख का हिंदी अनुवाद राजेश चंद्रा ने किया है।)

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