एनएसई की पूर्व एमडी की गिरफ्तारी और उससे उठती आशंकाएं

आखिरकार, एक हिमालयन योगी के ईमेल से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का  प्रबंधन करने वाली, एमडी चित्रा रामकृष्ण को सीबीआई ने गिरफ्तार कर ही लिया। अकेले चित्रा को ही नहीं गिरफ्तार किया गया है, बल्कि एनएसई के सीईओ आनंद सुब्रमण्यम को भी गिरफ्तार किया गया है। आनन्द की नियुक्ति, चित्रा ने इस महत्वपूर्ण पद पर, उसी हिमालयी योगी के कहने पर किया था। दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण को एनएसई को-लोकेशन घोटाला मामले में सात दिन की हिरासत में लेकर पूछताछ करने की 7 मार्च को अनुमति भी दे दी है। सीबीआई के स्पेशल जज, संजीव अग्रवाल ने सीबीआई और आरोपियों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया है, हालांकि, सीबीआई ने उनसे पूछताछ के लिए 14 दिन की हिरासत की मांग की थी।

पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण पर यह आरोप है कि कुछ शेयर दलालों ने, उनसे और सीईओ आनंद सुब्रमण्यम से मिलीभगत करके, एल्गोरिदम और को-लोकेशन सुविधा का दुरुपयोग करके अप्रत्याशित लाभ कमाया है। इस मामले की जांच पिछले तीन वर्षों से चल रही है और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक ताजा रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने यह गिरफ्तारी की है। बाजार नियामक सेबी की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि,

देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण, नियमों का उल्लंघन करते हुए बाज़ार के वित्तीय अनुमानों, व्यावसायिक योजनाओं और बोर्ड के एजेंडे सहित महत्वपूर्ण जानकारियां एक कथित आध्यात्मिक गुरु से साझा करती थीं। उन पर आनंद सुब्रमण्यम को अपना सलाहकार और समूह संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने में नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप है।

एनएसई में अनियमितताओं के बारे में ताजा खुलासे के बीच यह गिरफ्तारी को-लोकेशन घोटाले से संबंधित मामले में की गई थी, जिसके लिए एफआईआर मई 2018 में दर्ज की गई थी।

संक्षेप में पूरा प्रकरण इस प्रकार है,

● वर्ष 2013 में एनएसई के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रवि नारायण की जगह लेने वाली चित्रा रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को अपना सलाहकार नियुक्त किया था।

● इसके बाद आनंद सुब्रमण्यम को ₹4.21 करोड़ के मोटे वेतन पर समूह संचालन अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया था।

● सेबी ने अपनी रिपोर्ट में चित्रा रामकृष्ण और अन्य लोगों पर आनंद सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त करने के अलावा समूह संचालन अधिकारी और प्रबंधक निदेशक (रामकृष्ण) के सलाहकार के पद पर पुन: नियुक्त करने में, नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

● सेबी ने नियमों के उल्लंघन के मामले में, चित्रा रामकृष्ण पर ₹3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

● सेबी ने एनएसई पर ₹2 करोड़ रुपये, पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ रवि नारायण पर जुर्माना लगाया है।

● मुख्य नियामक अधिकारी और अनुपालन अधिकारी वीआर नरसिम्हन पर ₹6 लाख का जुर्माना लगाया है।

एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण के खिलाफ आयकर विभाग ने भी जांच शुरू कर दिया है और हिमालय के उस रहस्यमय योगी की भी पहचान लगभग हो गई है जो ईमेल भेज कर चित्रा को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की कार्यप्रणाली के बारे में अक्सर मशविरे देता रहता था और उसी के दिशा निर्देशों पर चित्रा, एनएसई का प्रशासन संभालती थी। वह हिमालयन योगी कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम नाम का एक व्यक्ति है जिसे चित्रा ने अपना सलाहकार बना रखा था, जिसे न तो वित्तीय मामलों की कोई समझ थी और न ही उसे शेयर बाजार के कार्यप्रणाली के बारे में कोई जानकारी थी, पर चित्रा ने उसे सिर्फ इसलिए अपना सलाहकार बनाया था कि, ऐसा करने के लिये उन्हें, हिमालयन योगी, जिसे वह शिरोमणि कह कर संबोधित करती है, ने कहा था। इसी आनंद सुब्रमण्यम उर्फ सुब्बू उर्फ हिमालयन योगी और चित्रा रामकृष्ण के आवास पर हाल ही में, आयकर (आईटी) विभाग ने छापा मारा और तलाशी ली है। यह एक सन्देह है, जिसकी पुष्टि जांच एजेंसियों द्वारा अभी की जानी है। पर अब तक जो सुबूत मिले हैं, उनसे यह संदेह पुख्ता होता जा रहा है।

मनीलाइफ वेबसाइट जो अर्थ विषयक समाचारों और विश्लेषण की एक प्रमुख वेबसाइट है, में लिखे एक लेख में, इस प्रकरण और, आनंद सुब्रमण्यम के बारे में विस्तार से कई रिपोर्ट छपी हैं। वेबसाइट में छपे एक लेख मे लिखा है कि,

” पहली बार, हमारे पास बेहद विवादास्पद और रहस्यमय आनंद सुब्रमण्यम की तस्वीर है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि, जैसा कि सुचेता दलाल और देबाशीष बसु ने एनएसई पर अपनी पुस्तक एब्सोल्यूट पावर में लिखा है, “एनएसई के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने बताया कि कैसे लिंक्डइन या कॉर्पोरेट प्रोफाइल को ट्रैक करने वाली कई वेबसाइटों पर उनके बारे में बहुत कम जानकारी है या कोई जानकारी नहीं है।”

क्या कोई व्यक्ति अपने सारे क्रियाकलाप नेट से पूरी तरह से मिटा सकता है? इस सवाल का उत्तर तो, साइबर एक्सपर्ट ही दे सकते हैं। पर मनीलाइफ के लेख के अनुसार, “पेपैल जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के आंतरिक दिशानिर्देशों का कहना है कि अगर किसी के फ़ूटप्रिंट यानी आईपी एड्रेस को पूरी तरह से नेट से मिटा दिया गया है तो यह समझना चाहिए कि मामला बेहद संदिग्ध हो गया है।”

आनंद सुब्रमण्यम, जिसपर हिमालयी बाबा होने का संदेह अभी तक हो रहा है, का कोई भी डिजिटल फ़ूटप्रिंट या आईपी एड्रेस नहीं मिल रहा है। फिर वह ईमेल अकाउंट किसका था ? आंनद सुब्रमण्यम, आखिर कैसे, एनएसई जैसे एक बहुत बड़े, अत्यधिक प्रौद्योगिकी-गहन और संवेदनशील संगठन में समूह संचालन का एक महत्वपूर्ण अधिकारी बन गया ? हालांकि, इसका उत्तर तो एनएसई की एमडी ने ही दे दिया कि, आनंद सुब्रमण्यम को सीईओ और अपना सलाहकार नियुक्त करने का, निर्देश, उसी हिमालयन योगी, जिसे, चित्रा, शिरोमणि के नाम से सम्बोधित करती हैं, ने ईमेल से दिया था। अब जाकर पता लगता है कि, संदेह की सुई आंनद सुब्रमण्यम पर ही टिक रही है कि, हिमालयन योगी तो, कोई और नहीं, यही आनंद सुब्रमण्यम है। फिलहाल अभी जांच चल रही है।

पिछले महीने, आयकर विभाग के करीब आठ से नौ अधिकारियों ने चित्रा रामकृष्ण और उनकी मां के घर पर सुबह सुबह छापा मारा। चित्रा रामकृष्ण, मुंबई के चेंबूर इलाके में रहती हैं, जबकि उनकी मां अलग घर में रहती हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि,

“तलाशी का उद्देश्य उनके और अन्य के खिलाफ कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना है। उन पर ऐसे आरोप हैं कि, उन्होंने एनएसई की आंतरिक जानकारी किसी अज्ञात तीसरे व्यक्ति को दी, जिसे उन्होंने हिमालयन योगी कहा है, और उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध लाभ कमाया है।”

निश्चित रूप से यह एक बेहद गंभीर मामला है। पद का दुरुपयोग तो उनके बयान से ही स्पष्ट है कि, उन्होंने एनएसई के आंतरिक प्रशासन का संचालन, एक अज्ञात व्यक्ति के कहने पर किया है। रहा सवाल धन कमाने और अन्य लाभ लेने का तो, इसकी जांच सीबीआई द्वारा कराई जानी चाहिए। आयकर विभाग को भ्रष्टाचार के मामलों में जांच करने की पुलिस शक्तियां नहीं होती हैं। वे बिना कर अदायगी के कमाए धन पर, टैक्स या पेनाल्टी वसूल कर सकते हैं, पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत जांच और अभियोजन नहीं कर सकते हैं।

हालांकि, सेबी ने हाल ही में चित्रा रामकृष्ण को, एनएसई से जुड़ी महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारियों को, हिमालय में रहने वाले एक अज्ञात या फेसलेस आध्यात्मिक शक्ति से साझा करने के लिए दंडित ज़रूर किया है, पर इससे, उनके द्वारा किये गए या उन पर लगाये गए, भ्रष्टाचार के आरोपों का शमन नहीं हो जाता है। पिछले महीने जारी एक आदेश में, सेबी ने चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण, पूर्व उपाध्यक्ष और आनंद सुब्रमण्यम, पूर्व जीओओ और एमडी और सीईओ के सलाहकार को किसी भी बाजार अवसंरचना संस्थान, मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूट, (एमआईआई) या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने से रोक दिया है। चित्रा रामकृष्ण पर ₹3 करोड़ का जुर्माना लगाते हुए, बाजार नियामक संस्था सेबी ने, एनएसई को 1.54 करोड़ रुपये के अतिरिक्त अवकाश नकदीकरण और 2.83 करोड़ रुपये के आस्थगित बोनस को जब्त करने के लिए कहा है, जो चित्रा को वीआरएस लेने पर दिया जाना है। साथ ही, सेबी ने एनएसई को छह महीने के लिए कोई नया उत्पाद लॉन्च करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था।

चित्रा रामकृष्ण ने 2 दिसंबर, 2016 को एनएसई से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, सेबी ने इस इस्तीफे पर भी गंभीर सवाल उठाया कि एनएसई बोर्ड ने उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने और साझा करने में कदाचार के बावजूद एक्सचेंज से इस्तीफा देकर, बाहर निकल जाने की अनुमति कैसे दे दी। इस संबंध में मनीलाइफ के लेख का निम्न अंश पढ़ें,

“सेबी की जांच में पाया गया कि 21 अक्टूबर, 2016 को हुई एनआरसी और एनएसई बोर्ड की बैठक में आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति पर चित्रा रामकृष्ण की ओर से इस तरह की गंभीर अनियमितताओं और कदाचार की जानकारी होने के बावजूद और चित्रा रामकृष्ण द्वारा गोपनीय जानकारी के आदान-प्रदान की जानकारी के बावजूद, 2 दिसंबर 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में चित्रा रामकृष्ण को इस तरह के गम्भीर और विचित्र कदाचार के बावजूद, इस्तीफे के माध्यम से, बाहर निकल जाने की अनुमति दे दी, जैसा कि उनके (एनएसई बोर्ड) द्वारा परिलक्षित होता है। इस संबंध में कोई कार्रवाई किए बिना एक फर्जी ईमेल पते के साथ ईमेल पत्राचार, जाहिर तौर पर आनंद सुब्रमण्यम से संबंधित है।”

 सेबी ने अपने जांच पड़ताल के निष्कर्ष में कहा है कि, “एनएसई बोर्ड की मिलीभगत से आनंद सुब्रमण्यम की असाधारण पदोन्नति होते जाना, यह प्रमाणित करता है कि उनके प्रति अनावश्यक और नियमों को ताक पर रख कर उन्हें पदोन्नत किया गया है। उन्हें एक प्रमुख प्रबंधन व्यक्ति (केएमपी) घोषित किए बिना, जबकि उन्हें एनएसई की सहायक कंपनियों के बोर्ड में नियुक्त किया गया था और एक्सचेंज के लगभग हर निर्णय, में उनका दखल रहा, ऐसा होने देना, एनएसई को एक निजी संस्था की तरह संचालित करना रहा है। एक सलाहकार के रूप में उन्होंने एनएसई के हर संवेदनशील मामले में हस्तक्षेप किया और वे, एमडी चित्रा रामचंद्र के विश्वासपात्र बने रहे। उन्होंने उन भत्तों का भी लाभ उठाया जो किसी अन्य सलाहकार को नहीं दिए गए थे। उन्होंने दुनिया भर में प्रथम श्रेणी की यात्रा की। वे अक्सर सुश्री रामकृष्ण के साथ दौरों पर जाते थे और उन्हें चेन्नई में सप्ताह में दो से तीन दिन बिताने की अनुमति भी दी जाती थी, जहां उनकी पत्नी भी स्टॉक एक्सचेंज में कार्यरत थीं।”

 सेबी की पड़ताल आगे कहती है, “इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका मूल्यांकन मानव संसाधन विभाग, एचआर द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से नहीं हुआ था और इसका निर्णय अकेले सुश्री चित्रा रामकृष्ण ने लिया था। यह एक घोटाला है कि यह सब नियामक के लिए एक अजीबोगरीब स्थिति थी। हालांकि एनएसई एक अत्यधिक विनियमित और बहुत संवेदनशील बाजार संस्थान है।”

शिकायतें मिलने के बाद, सेबी ने 2016 में चार बार एनएसई से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या आनंद सुब्रमण्यम को केएमपी के रूप में नामित किया गया था। तत्कालीन सीआरओ डॉ नरसिम्हन ने सेबी को बताया कि श्री सुब्रमण्यम और एमडी की नियुक्ति में प्रतिभूति अनुबंध (विनियम) (स्टॉक एक्सचेंज और समाशोधन निगम) विनियम, 2012 (एसईसीसी विनियम) का कोई उल्लंघन नहीं था, एक सक्षम प्राधिकारी होने के नाते, उसे नियुक्त किया। आनंद सुब्रमण्यम को अक्टूबर 2016 में इस्तीफा देने के लिए कहा गया था और उनके निष्कासन के नाटक को मनीलाइफ के संपादकों सुचेता दलाल और देबाशीष बसु ने अपनी पुस्तक “एब्सोल्यूट पावर: इनसाइड स्टोरी ऑफ द नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की अद्भुत सफलता, जिसके कारण अभिमान, नियामक कब्जा और एल्गो घोटाला”, जून 2021 में जारी किया गया। सेबी 2014 से इस जानकारी पर चुप्पी ताने बैठा था और अभी उसने अपना आदेश जारी किया है।

किसी भी देश की प्रगति का आधार उस देश का वित्तीय प्रबंधन और प्रशासन होता है। इसी से देश मे आर्थिक संपन्नता आती है, अनेक विकास से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन होता है, जनहितकारी और लोककल्याण से जुड़ी तमाम योजनाएं धरातल पर उतरती हैं, आयात निर्यात में देश विश्व व्यापार में अपना दखल बढ़ाता है, इससे न केवल उसकी राजनीतिक साख बढ़ती है बल्कि विश्व कूटनीति में भी वह एक महत्वपूर्ण आवाज़ बन कर उभरता है। शेयर मार्केट, कम्पनियों की सेहत, साख, उपलब्धियों और अर्थ की दशा दिशा का पैमाना होता है। हालांकि यह एक मैनीपुलेटेड बाजार भी कहा जाता है और यह भी कहा जाता है कि, इसे बड़ी कम्पनियों का एक कॉकस अपनी मर्जी से संचालित करता है, फिर भी इन आरोपों और विवाद के बाद भी देश में शेयर मार्केट का सूचकांक ही विदेशी निवेशकों के लिये पहला आकलन बिंदु भी होता है।

इस शेयर मार्केट को संचालित करता है नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। और उसी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को संचालित कर रहा है हिमालय में बैठा एक योगी ! और वह भी वहां से ईमेल भेज कर, सभी महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेजों का अध्ययन कर के ! कहानी एक खूबसूरत फंतासी जैसी नहीं लग रही है ? पर यह कहानी सच है। एनएसई लम्बे समय तक उस अज्ञात हिमालयी योगी के की बोर्ड से संचालित होती रही है और एमडी चित्रा रामचन्द्र उस योगी की कठपुतली रही हैं। अब उनकी गिरफ्तारी हुई है। सीईओ आनंद सुब्रमण्यम भी जेल में हैं और योगी ? इसके बारे में अभी तक यही संदेह पुख्ता है कि आनंद सुब्रमण्यम ही योगी है। यदि यह बात प्रमाणित होती है तो यह एक बेहद शातिर और महीनी से बुना गया षड्यंत्र है, जिसके किरदार चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम हैं। अभी जांच चल रही है। लेकिन सरकार को सभी वित्तीय संस्थानों की एक आकस्मिक छानबीन करा लेनी चाहिए, कि कहीं वहां भी तो इस तरह के घपले नहीं हो रहे हैं ?

(विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।)

विजय शंकर सिंह
Published by
विजय शंकर सिंह