निशाने पर हैं अमेरिका में मोदी विरोधी प्रदर्शन में शामिल मानवाधिकार कार्यकर्ता

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के विरोध में प्रदर्शन करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की कोशिश हो रही है? दरअसल, अमेरिका में सक्रिय मानवाधिकार संगठनों ने 22 जून को मोदी की यात्रा के विरोध में प्रदर्शन करने वालों का फ़िल्मांकन किये जाने के पीछे ग़लत इरादों को चिन्हित किया है। विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका (VHPA) की वकालत विंग, हिंदू पैक्ट के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने उस दिन प्रदर्शनकारियों का वीडियो शूट किया था जिस पर झड़प भी हुई थी। यह मामला पुलिस के हस्तक्षेप से ही हल हो सका था। 

इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) और हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स (HFHR) ने कहा  है कि वे सार्वजनिक रूपसे फ़िल्म बनाने के अधिकार के पक्ष में हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों को डराने या परेशान करने के उद्देश्य से इस अधिकार के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। आईएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने कहा, “भारत में मोदी शासन के आलोचकों को ऑनलाइन ट्रोल्स और स्वयं भारत सरकार के हाथों लगातार निगरानी, उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। इस दमन का अधिकांश हिस्सा अमेरिकी हिंदू वर्चस्ववादी समूहों के माध्यम से कार्यकर्ताओं की तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन प्रसारित किया जा रहा है”।

अहमद ने कहा, “हमने देखा है कि चीन और ईरान, अमेरिकी धरती पर अपने दमनकारी तंत्र का विस्तार कर रहे हैं, राजनीतिक आलोचकों पर निगरानी रख रहे हैं और इस देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं। हम बेहद चिंतित हैं कि चक्रवर्ती का फिल्मांकन मोदी शासन से उत्पन्न एक समान खतरे का प्रतिनिधित्व करता है। हम अमेरिकी अधिकारियों से अमेरिकी धरती पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने का आह्वान करते हैं।“

वहीं हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ ने भी इस पर चिंता ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका दोनों जगह लगातार ट्रोलिंग और निगरानी हो रही है जो स्पष्ट रूप से मोदी शासन की ओर से पैदा किया गया एक गंभीर खतरा है। हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम भाग्यशाली हैं कि हम यहां संयुक्त राज्य अमेरिका में सुरक्षित हैं। लेकिन भारत में रह रहे मुस्लिम, ईसाई, दलित और साहसी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हमारी चिंता और समर्थन की सख्त जरूरत है।”

ग़ौरतलब है कि उत्सव चक्रवर्ती का संगठन हिंदू पैक्ट विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका (वीएचपीए) की ओर से राजनीतिक मुद्दों की वकालत करता है, जो वीएचपी की एक अमेरिकी शाखा है। भारत में विहिप नेता नियमित रूप से मुसलमानों की सामूहिक हत्याओं का आह्वान करते हैं। उसके इस आचरण की वजह से सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक में इस समूह को “धार्मिक उग्रवादी संगठन” नामित किया गया है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के ब्रिज इनिशिएटिव ऑन इस्लामोफोबिया में बताया गया है कि कैसे वीएचपी सदस्यों ने 2002 के गुजरात नरसंहार के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें 2,000 से अधिक मुख्य रूप से मुस्लिम भारतीय मारे गए थे। बाबरी मस्जिद को तोड़ने, जिसका मक़सद भारत की मुस्लिम विरासत को नष्ट करना था, में भी इस संगठन की भूमिका थी।

अमेरिका में सक्रिय मानवाधिकार संगठन मानते हैं कि वीएचपीए, वीएचपी की अमेरिकी शाखा है, और वीएचपी मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन का हिस्सा है। इन संगठनों से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकियों ने चिंता व्यक्त की है कि चक्रवर्ती द्वारा अमेरिकी कार्यकर्ताओं का फिल्मांकन अमेरिका आधारित लोगों को डराने-धमकाने की कोशिश हो सकती है।

एचएफएचआर की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ और आईएएमसी एनजे चैप्टर के नेता तज़ीम अंसारी सहित अमेरिका स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता, हाल ही भाजपा नेताओं की ओर से भारत के राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रचारित एक व्यापक गलत सूचना और धमकी अभियान का लक्ष्य रहे हैं। उनका कहना है कि चीनी सरकार ने विदेशी पुलिस नेटवर्क के माध्यम से अमेरिका स्थित लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं और ईरानी विदेशी एजेंटों ने अमेरिका में रह रहीं ईरानी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को धमकाया और उन्हें निगरानी के निशाने पर रखा। भारतीय मूल के अमेरिकियों ने उत्सव चक्रवर्ती द्वारा कार्यकर्ताओं के फिल्मांकन की उनके संगठन के विदेशी उग्रवादी संगठनों से रिश्तों की गहन जांच की मांग की है।

(चेतन कुमार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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