पंचायत चुनाव में TMC की गुंडागर्दी, निशाने पर विपक्षी कार्यकर्ता

पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होना है। 9 जून से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 जून है। नामांकन दाखिले के पहले दिन ही चुनावी हिंसा शुरू हो गई। नामांकन की तारीख के पहले ही दिन कई इलाकों में हिंसा हुई। ज्यादातर हमले विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों पर हुए हैं। कांग्रेस, सीपीआई (एम) और अन्य विपक्षी पार्टियों और उम्मीदवारों ने यह आरोप लगाया है कि ये हमले सत्तारूढ़ पार्टी (TMC) के कार्यकर्ताओं ने किए हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

नामंकन के पहले दिन (9 जून) को कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई। पूर्बा वर्धमान जिले के बारसुल के सीपीआई (एम) के पंचायत उम्मीदवार को पर्चा दाखिल नहीं करने दिया गया। पुलिस का कहना है कि यहां पर टीएमसी और सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे पर ईंट-पत्थर फेंके। जिसमें तीन पुलिस वाले भी घायल हुए।

नार्थ 24 परगना जिला के मीनाखान में सीपाआई (एम) के उम्मीदवार को पर्चा दाखिन न करने देने का आरोप पार्टी ने लगाया है। यहीं पर सीपीआई (एम) राज्य कमेटी की सदस्य सोमादास टीमएसी कार्यकर्ताओं के हमले में बुरी तरह घायल हो गईं हैं। पार्टी का कहना है कि टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने उसके कार्यालय पर हमला किया। इस हमले में कई लोग घायल हुए हैं। पश्चिम वर्धमान जिले के जुमरिया क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवारों को नामंकन न दाखिल करने देने की खबर भी आई है।

बंकुरा जिले के सोनामुखी में टीएमसी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष की खबरें आई हैं। भाजपा का आरोप है कि उसके विधायक दिबाकर घरामी को पुलिस की मौजूदगी में धक्का दिया गया और मारपीट की गई। कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि दक्षिण-24 परगना जिले के भांगर-11 ब्लाक में उसके उम्मीदवार को नामंकन दाखिल करने से रोका गया। इस जिले के काकद्वीप में इसी तरह की घटना की खबर आ रही है।

इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) की पंचायत उम्मीदवार अस्मा खातून को भांगर के BDO ऑफिस में करीब 4 घंटे तक टीएमसी के उम्मीदवारों ने बंदी बनाकर रखा। उनको किसी अन्य गेट से निकलना पड़ा। मंच का कहना है कि इसका उद्देश्य विपक्षी उम्मीदवारों को नामंकन दाखिल करने से रोकना है। 

कांग्रेस पार्टी के राज्य प्रमुख अधीर रंजन चौधरी के वकीलों ने अदालत से प्रार्थना की थी कि शांति पूर्वक स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय बलों को तैनात करने का राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए। उन्होंने इस संदर्भ में चुनाव आयोग और राज्यपाल दोनों को पत्र लिखा है। चुनाव आयोग ने नामंकन केंद्रों के एक किलोमीटर के दायरे में धारा-144 लागू कर दिया। 

विभिन्न पार्टियों ने नामंकन और चुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस पर राज्य चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि नामांकन की तारीख बढ़ाना सही नहीं है। इसे ज्यादा से ज्यादा 15 जून से बढ़ाकर 16 जून तक किया जा सकता है। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

बंगाल पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिनमें पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नोटिफिकेशन के कुछ हिस्सों को चुनौती दी गई है। एक याचिका राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने और दूसरी याचिका शुभेंदु अधिकारी ने दाखिल की थी। 

(जनचौक की रिपोर्ट)

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