संकट में साथः अकील ने रोजा तोड़कर दो हिंदू महिलाओं को प्लाजमा देकर बचाई जान

सियासतदां और मीडिया कितना भी हिंदू-मुस्लिम कर ले, लेकिन देश के मजबूत सामाजिक ताने-बाने ने दोनों धर्मों के लोगों को जोड़कर रखा है। उदयपुर के उदय सागर चौराहा निवासी 32 वर्षीय अकील मंसूरी ने रोजा तोड़ते हुए अपना प्लाज्मा डोनेट करके दो हिंदू महिलाओं की जान बचाई है।

रक्त युवा वाहिनी के कार्यकर्ता अकील के पास प्लाजमा डोनेशन की फरियाद लेकर पहुंचे थे। बदले में अकील ने अनूठा उदाहरण पेश कर समाज को बता दिया कि किसी की सेवा करना भी अल्लाह की सबसे बड़ी इबादत है। अकील ने कोरोना पीड़ित दो महिलाओं का जीवन बचाने के लिए न केवल अपना रोजा तोड़ा, बल्कि तीसरी बार प्लाज्मा भी डोनेट किया।

उदयपुर टाइम्स की एक ख़बर के मुताबिक़ शहर के पेसिफिक हॉस्पिटल में चार दिन से भर्ती छोटी सादड़ी निवासी 36 वर्षीय निर्मला और दो दिन से भर्ती ऋषभदेव निवासी 30 वर्षीया  अलका की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। दोनों महिलाओं को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा हुआ था। दोनों का ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव था और दोनों को जान बचाने के लिए प्लाज्मा की ज़रूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने तुरंत व्यवस्था करने को कहा, लेकिन कहीं से बंदोबस्त नहीं हो पा रहा था। इस बीच रक्त युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं तक सूचना पहुंची। रक्त युवा वाहिनी के अर्पित कोठारी ने अकील मंसूरी से सम्पर्क किया, क्योंकि वे 17 बार रक्तदान कर चुके थे जिसके चलते उनका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव सबको मालूम भी था।

चूंकि दोनों महिलाओं को कोई ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति ही प्लाज्मा दे सकता था। अतः रक्त युवा वाहिनी के अर्पित कोठारी ने अकील से प्लाज्मा देने का निवेदन किया। अकील ने पाक रमजान महीने का पहला रोजा रखा हुआ था। बावजूद इसके वे प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच गए, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि खाली पेट उनका प्लाज्मा नहीं ले सकते।

अकील ने पहला रोजा तोड़ना तय किया और अल्लाह का शुक्रिया करते हुए कहा कि उनका जीवन किसी का जीवन बचाने के काम आ रहा है, इससे बड़ा क्या धर्म होगा। खुदा को ये मौका देने के लिए उन्होंने खुदा का शुक्र अदा किया और इसके बाद अस्पताल में ही फटाफट नाश्ता किया, फिर डॉक्टरों ने उनका एंटी बॉडी टेस्ट किया और प्लाज्मा लिया। ये प्लाज़्मा दोनों महिलाओं को चढ़ाया गया। बता दें कि अकील ने तीसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया है।

अकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे पास फोन आने पर मैं प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच गया, लेकिन डॉक्टरों ने भूखे पेट प्लाजमा लेने से मना कर दिया। अकील कहते हैं कि अल्लाह की इबादत किसी की सेवा करना है। मैंने रोजा तोड़ा और नाश्ता करने के बाद प्लाज्मा डोनेट किया। मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।

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