मणिपुर हिंसा के विरोध में बस्तर के आदिवासी संगठन सड़क पर उतरे

मणिपुर की कुकी आदिवासी महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के विरोध में देश के आदिवासी संगठन एक के बाद एक सड़कों पर उतर रहे हैं। झारखंड और गुजरात में आदिवासी निकायों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। गुजरात में रविवार 23 जुलाई को आदिवासी बहुल इलाकों में आदिवासियों ने बंद का आह्वान किया। इन दो राज्यों के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी संगठन सर्व आदिवासी समाज ने आदिवासी बहुल बस्तर डिवीजन में सोमवार को बंद का ऐलान किया था।

हाल के समय में आदिवासी समुदाय के साथ देश के अलग-अलग कोने में दरिंदगी देखने को मिली है, चाहे मध्य प्रदेश में पेशाब कांड हो या फिर मणिपुर का वायरल वीडियो। मणिपुर का वायरल वीडियो हर किसी को झकझोर देने वाला था, अब लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि कुकी-जो एक आदिवासी समुदाय है। आदिवासी समुदाय इस मामले में बंद का ऐलान करके अपनी नाराजगी जता रहा है।

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा, “मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। राज्य में चल रहे हिंसा पर संसद में बहस होनी चाहिए। यह बहुत ही गंभीर मामला है और केंद्र इस समस्या से निपटने में पूरी तरह से विफल रहा है। उन्होंने कहा कि ‘ मेरा मानना है कि इस समस्या के समाधान के लिए पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक समिति बनाई जानी चाहिए।’

आदिवासी समाज के राज्य सचिव विनोद नागवंशी ने कहा कि वायरल वीडियो में “पूरे आदिवासी समुदाय के खिलाफ एक दुष्टता” को दिखाया गया है। “हम मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा से बहुत परेशान और गुस्से में थे। लेकिन अचानक से महिलाओं को नग्न घुमाने के वीडियो ने हमारी आत्मा को झकझोर कर रख दिया। यह भारत में संपूर्ण आदिवासी समुदाय के खिलाफ किया गया एक अपराधिक कृत्य और समाज को अपमानित करने वाला है, और इसलिए हमने फैसला किया कि आदिवासी समाज को एकजुटता दिखाने का समय आ गया है।”

उन्होंने कहा कि, “आदिवासी समाज ने पहले भी हिंसा को लेकर राज्य में विरोध प्रदर्शन किया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था। कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न घुमाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हमने बंद रखने का फैसला किया। बंद को दुकानों तक ही सीमित रखा गया है वो भी शाम 5 बजे तक। जबकि परिवहन सेवाओं, शैक्षणिक संस्थानों,अस्पतालों और मेडिकल स्टोर जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया था।”

मणिपुर हिंसा के खिलाफ विभिन्न आदिवासी समूहों ने पिछले सप्ताह तीन दिनों तक रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर विरोध प्रदर्शन किया था। आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा, ये परिषद तमाड़ और बुंडू क्षेत्रों से शुरू होकर कई गांवों का दौरा करने की योजना बना रही है, ताकि लोगों को भाजपा सरकार की “आदिवासी विरोधी स्वभाव और नीतियों” के बारे में बताया जा सके।

गुजरात के आदिवासी इलाके में रविवार को बंद रखा गया था, आम आदमी पार्टी (आप) ने सबसे पहले इस बंद को समर्थन देते हुए मांग की कि मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को इस्तीफा देना चाहिए। राज्य की कांग्रेस इकाई भी इसमें शामिल हुई थी।

(द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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