उत्तराखंड: बीजेपी में फूटे बागी सुर, एमएलए प्रणव चैंपियन ने थामा झंडा

नई दिल्ली। देश में बीजेपी के खिलाफ शायद ही कोई तबका हो जिसमें गुस्सा न हो। और इस गुस्से की झलक सड़कों पर भी दिख रही है। वह कभी छात्रों के आंदोलन के तौर पर सामने आती है तो कभी अल्पसंख्यकों के। मौजूदा समय में तो देश के किसानों ने केंद्र सरकार का सांस लेना भी दूभर कर दिया है। इस तरह की घेरेबंदी तो आजादी की लड़ाई के दौरान भी नहीं दिखी। कहते हैं जब बाहरी दुश्मनों की तादाद बढ़ जाती है तो भीतर के रिश्ते भी कमजोर होने शुरू हो जाते हैं। इसका नतीजा भीतरी टूटन और दरार के तौर पर सामने आता है। मौजूदा समय में यह बात बीजेपी की कतारों में जगह-जगह देखी जा सकती है।

इसका एक रूप उत्तराखंड में भी देखा जा रहा है। यहां कुछ बीजेपी नेता तकरीबन बगावत के मूड में हैं। उन्हीं में से एक हैं कुंवर प्रणव चैंपियन। प्रणव बीजेपी के विधायक हैं। लेकिन मौजूदा दौर में किसानों के प्रति बरते जा रहे है केंद्र सरकार के रवैये से खासे नाराज हैं। उन्होंने बाकायदा एक पंचायत बुला ली। जिसमें उनके साथ बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अवतार सिंह भड़ाना भी शामिल हुए। भड़ाना ने कहा कि दिल्ली में किसान बेहद पीड़ा में बैठे हैं। लिहाजा उनको अकेले नहीं छोड़ा जा सकता है। उन्होंने ऐलानिया तौर पर कहा कि वह दिल्ली जाएंगे और गाजीपुर बॉर्डर का मोर्चा संभालेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार जब तक किसानों की मांगें नहीं मान लेती है वह दिल्ली में ही जमे रहेंगे। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारिणा का सदस्य हूं। उन्होंने साथ खड़े कई बीजेपी नेताओं को दिखाते हुए कहा कि पार्टी ने मेरे समाज को कुछ नहीं दिया बल्कि उल्टे उन्हें अपमानित करने का काम किया है लिहाजा वो इसका बदला लेंगे।

दरअसल जिस तरह का नीचे से किसानों का दबाव है उससे बीजेपी नेता और खासकर वे नेता जिनको चुनाव लड़ना है, काफी परेशान हैं। वैसे भी उत्तराखंड में किसानों का आंदोलन बेहद गर्म है। उसके ऊधमसिंह नगर से अच्छी खासी तादाद में किसान दिल्ली आए हुए हैं। गाजीपुर का मोर्चा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के अलावा जिस दूसरे हिस्से ने संभाल लिया है।

लिहाजा मुजफ्फरनगर से लेकर पूरे उत्तराखंड में किसानों के आगे अब कोई दूसरा मुद्दा नहीं चल पा रहा है। लिहाजा तमाम जाति, धर्म और क्षेत्र की दीवारों को तोड़ते हुए यह आंदोलन अब सर्वव्यापी रूप अख्तियार करता जा रहा है। बागपत के डीएम को बड़ौत में हुए किसानों पर हमले के लिए जिस तरह से माफी मांगनी पड़ी वह बताता है कि किसानों के तेवर कितने उग्र हैं और प्रशासन कितना असहाय हो गया है। बहरहाल हरियाणा से लेकर उत्तराखंड में बीजेपी में बगावत की आग धीरे-धीरे सुलग रही है। यह कौन रूप लेगी और किस रूप में सामने आएगी कह पाना मुश्किल है। लेकिन इससे पार्टी का नुकसान होना बिल्कुल तय है।

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