बाबा साहेब ने छुआछूत को खत्म करने में निभाई थी बड़ी भूमिका, हम भी तय करें अपनी जिम्मेदारी

वाराणसी/जौनपुर। समाज में व्याप्त उंच-नीच, भेदभाव और छूआछूत जैसी कुप्रथा को खत्म किए बिना न तो समाज का भला होने वाला है और ना ही देश का। हम बंधुत्व की बात करते तो हैं लेकिन बंधुओं (दलितों-शोषितों-वंचितों) को गले नहीं लगाते। यह धारणा क्यों? और आखिर कब तक? यह कहते हुए चंदा की आंखें डबडबा उठती हैं।

चंदा सवाल उठाती हैं और कहती हैं कि “देश को अंग्रेजों की गुलामी से जरूर आजादी मिली है, लेकिन अभी भी हम कुप्रथा और भेदभाव वाली मानसिक गुलामी से मुक्त नहीं हो पाए हैं। जब तक हम सभी इस गुलामी से मुक्त नहीं होंगे, तब तक देश में खुशहाली और आजादी का कोई मायने नहीं दिखता है।”

चंदा के इन शब्दों में दम नजर आता है। चंदा वाराणसी जिले के सरहदी जौनपुर जिले के केराकत तहसील क्षेत्र अंतर्गत दक्षिणांचल क्षेत्र की रहने वाली हैं। वह सौहार्द बंधुता मंच के तत्वावधान में आयोजित चौपाल में अपने विचारों को रखते हुए बोल रही थीं।

वह यहीं नहीं रुकती। वह कहती हैं कि “हम बाबा साहेब के बताए मार्ग पर चलने की बात करते हैं, लेकिन अमल में नहीं लाते, जो हमारे पिछड़ेपन व हाशिए पर खड़े होने का बड़ा कारण है। जिस नशे और कुरीतियों से दूर होने का उन्होंने (डॉ भीमराव अंबेडकर) आह्वान किया था आज उसी से हम जकड़े हुए हैं।”

वो कहती हैं कि “शराब जैसी तमाम बुराइयों को समेटे हुए हम पूंजीपतियों की झोली तो भरते जा रहे हैं पर अपनी झोली (हालत) क्या से क्या होती जा रही है सोचते तक नहीं। जब तक इससे (नशा) दूर नहीं होंगे उन्नति नहीं होगी, बल्कि आर्थिक विपदा हमें घेरे रहेगी।”

चंदा के विचारों का समर्थन करते हुए चौपाल में जुटी अन्य महिलाएं भी सवाल करती हैं कि “आखिरकार इस देश से कब कुप्रथा, भेदभाव और छुआछूत और नशाखोरी जैसी बीमारियां समाप्त होंगी?

दरअसल, मां दुर्गा ग्रामीण विकास समिति एवं सौहार्द बंधुता मंच के नेतृत्व में सौहार्द जागरूक अभियान का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत गांव-गांव, दलित-आदिवासी-पिछड़े-वंचित समुदायों की बस्तियों में जाकर संविधान की उपयोगिता बताने, छुआछूत, भेदभाव, कुप्रथाओं से बाहर निकल कर शिक्षा से जुड़ने और अपने हक अधिकार को जानने के प्रति लोगों को निरंतर जागरूक और सचेत किया जा रहा है। संविधान दिवस अवसर से यह कार्यक्रम 16 नवंबर 2023 से प्रारंभ होकर 26 जनवरी 2024 चलेगा।

“जनचौक” को जानकारी देते हुए सौहार्द फेलो नीरा आर्या बताती हैं कि “उनके नेतृत्व में महिलाओं की टोली पैदल मार्च निकाल कर महिलाओं को उनके हक़ अधिकार सहित कुप्रथा, प्रचलित व्यवस्थाओं की जकड़न से निकलकर स्वच्छ वातावरण में जीने और दूसरों को भी प्रेरित करने का संदेश दे रही हैं।”

नीरा आर्या कहती हैं कि “समाज में महिलाएं आज भी घूंघट की ओट में जीवन जीने को विवश हैं। पुरूष सत्ता की कामयाबी में भले ही महिलाओं का हाथ हो, लेकिन खुद उन्हें अपनी कामयाबी (आगे बढ़ने के लिए) के लिए पुरुषों की ओर देखना होता है।”

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लगने वाले जौनपुर जिले के केराकत तहसील क्षेत्र के दक्षिणांचल में स्थित थानागद्दी, नाऊपुर, रतनूपुर, बेहड़ा, रघ्घूपुर, बराई, मोढ़ैला, चंदवक, भैंसा, मई टिसौरी, जलालपुर इत्यादि पिछड़े इलाकों में पिछले कई वर्षों से लोगों को उनके हक़ अधिकारों के प्रति जागरूक करती आ रही नीरा आर्या संवैधानिक अधिकारों के प्रति भी महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।

कैंडिल मार्च के जरिए महिलाएं दे रही हैं संदेश

संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर विविध आयोजनों के बाद भले ही लोग इस दिवस को भूल बैठे होंगे, लेकिन नीरा और उनकी महिलाओं की टोली निरंतर संविधान शिल्पकार बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए 26 जनवरी 2024 तक विविध कार्यक्रमों, आयोजनों के जरिए बाबा साहेब के विचारों और उनकी कही हुई बातों को जन-जन खासकर शोषित, पीड़ितों, वंचित समुदायों के बीच पहुंचाने में जुटी हुई हैं।

भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ भीम राव अम्बेडकर ने 6 दिसंबर 1956 को जीवन की अंतिम सांस ली थी। इस दिवस को उनके परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर देश भर में कई कार्यक्रम किए जाते हैं। इस दिन सौहार्द बंधुता मंच के तत्वाधान में पैदल कैंडल मार्च निकाला गया था जो आज भी कई गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ है।

कैंडल मार्च केराकत विकास खंड क्षेत्र के बंबावन गांव से शुरू होकर बेहड़ा, बराई सहित वाराणसी के सरहदी गांव सिंधौरा इत्यादि गांव से होते हुए अब तक दर्जनों गांवों का भ्रमण कर जन जागरूकता अभियान में जुटा हुआ है।

कैंडल मार्च का नेतृत्व कर रही सौहार्द फेलो नीरा आर्या ने कहती हैं कि “हमारे संविधान को तैयार करने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की बड़ी भूमिका रही है। इस वजह से वह संविधान के निर्माता के तौर पर जाने जाते हैं। वह बड़े समाज सुधारक व विद्वान थे। दलित, पिछड़ों में सुधार लाने के लिए उन्होंने काफी काम किया। छुआछूत जैसी प्रथा को खत्म करने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही। इसलिए उनको बौद्ध गुरू भी माना जाता है।”

उन्होंने कहा कि “डॉ अंबेडकर अपने कार्यों की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके थे, यही वजह है उनकी पुण्यतिथि को महा परिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है।”

अधिकारों को जाने बगैर जकड़न से मुक्ति नहीं

मां दुर्गा ग्रामीण विकास समिति एवं सौहार्द बंधुता मंच की टोली में शामिल सविता, चंदा, धनरा, शालू, मालती देवी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ती समेत समस्त समुदाय से जुड़ी महिलाओं के अलावा पुरुष व बच्चे भी शामिल हो रहे हैं और लोगों को मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

मालती देवी कहती हैं “सरकार द्वारा गरीब, दलित, मुसहर जाति के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में ग्रामीण महिलाएं इन योजनाओं से वंचित हो जाती हैं, तो कहीं बिचौलिए के हाथों ठगी जाती हैं। कुछ महिलाएं योजना का लाभ पाने के लिए चढ़ावा देती हैं, तब जाकर वह उन योजनाओं का लाभ पाती हैं। यहां तक कि तहसील और थानों पर भी उन्हें अपनी फरियाद लेकर जाने में भय लगता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में इन महिलाओं को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें संवैधानिक अधिकार और वर्णित व्यवस्थाओं को जानने के बारे में भी जानकारी दी जा रही है, ताकि वह अपने अधिकार को जानने-समझने के साथ-साथ असमानता, भेदभाव, छूआछूत पर भी डटकर कह-बोल सकें।

महिलाओं की टोली पद यात्रा कर दिला रही शपथ

कैंडल मार्च, जन जागरूकता, चौपाल, बैठक के साथ ही महिलाओं की टोली पद यात्रा कर गांव-गांव जाकर लोगों को शपथ दिलाते हुए नशा मुक्ति, भेदभाव, कुरीतियों, और पाखंड की जकड़न से बाहर आने का आह्वान करते हुए जागरूक कर रही हैं।

जागरूकता अभियान में जुटी महिलाएं बताती हैं कि “दलित और पिछड़ों की स्थिति में सुधार लाने के लिए बाबा साहेब ने जिस प्रकार से काफी काम किया और छुआछूत जैसी प्रथा को खत्म करने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है, ठीक उसी प्रकार से हमें भी समाज के दबे-कुचले लोगों की मदद के साथ उन्हें नशाखोरी, कुप्रथाओं से मुक्ति दिलाने के लिए आगे आकर लोगों को जागरूक करना होगा।”

इस अवसर पर बंधुता मंच की महिला कार्यकर्ताओं ने कैंडल जलाकर पद यात्रा करते हुए लोगों को शपथ दिलाई, कि वह संविधान निर्माता डॉ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करते हुए खुद के साथ दूसरों को भी प्रेरित करेंगें।

इस दौरान नीरा आर्या, बन्धुता मंच की सविता, चंदा, धनरा, शालू, मालती देवी सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और समस्त समुदाय की महिलाएं, पुरुष और बच्चों ने कैंडल मार्च निकालकर, पदयात्रा कर बाबा साहेब के विचारों को जन-जन, घर-घर पहुंचाने और लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं।

(संतोष देव गिरी की रिपोर्ट।)

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