आप पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ हुई साजिश का सच आया सामने, ताहिर ने कहा- 24 फरवरी को ही मैंने छोड़ दिया था मकान

नई दिल्ली। ‘आप’ पार्षद ताहिर हुसैन के जिस वीडियो को दिखाकर देश भर में उन्हें दिल्ली दंगे का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है उस साजिश की सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। और कुछ चीजें जिन्हें ताहिर ने बताया है उसकी पुलिस के एक अधिकारी एडिशनल सीपी अजीत के सिंगला ने भी पुष्टि कर दी है।

ताहिर को दंगे का मास्टरमाइंड बनाने के सिलसिले में दो वीडियो घूम रहे हैं। एक वीडियो 24 फरवरी का है जिसमें खुद ताहिर मौजूद हैं। जबकि दूसरा वीडियो 25 फरवरी का है जो अब वायरल हो चुका है। और देश के तमाम न्यूज चैनलों के जरिये भी इसे प्रसारित और प्रचारित किया जा चुका है। इस वीडियो में छत पर भारी तादाद में लोगों को देखा जा सकता है। जो पत्थर फेंक रहे हैं। पेट्रोल की जलती बोतलें मार रहे हैं। और हर तरह के दंगाई काम में लगे हैं। बाद में कुछ चैनलों ने उस स्थान का दौरा भी किया तो उनके रिपोर्टरों को भी वहां भारी तादाद में ईंट-पत्थर, पेट्रोल की बोलतें और कुछ गुलेल मिले। ये सारी चीजें एकबारगी किसी को भी इस भ्रम में डाल सकती हैं कि इन सारी चीजों के पीछे ताहिर हुसैन का हाथ है।

लेकिन ताहिर हुसैन के हवाले से जो बात सामने आ रही है वह पूरी तस्वीर का रुख पलट देती है। टीवी-18 के एक पत्रकार ने ताहिर हुसैन से मुलाकात की और उनसे इन सभी पहलुओं पर बात की। उन्होंने बताया कि वह 24 फरवरी की रात तक वहां यानी अपने घर पर मौजूद थे। लिहाजा उनके जाने के बाद उनके घर पर क्या हुआ उसकी उनको कोई जानकारी नहीं है।

उन्होंने 24 फरवरी के घटनाक्रम के बारे में बताया कि दोपहर के वक्त दंगाइयों ने उनके घर में घुसने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर उसका पूरा प्रतिरोध किया। इस कड़ी में उन्होंने पुलिस को भी फोन किया। उन्होंने बताया कि तकरीबन 5-6 बार पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। एक बार उनकी कंट्रोल रूम से बात हुई जिसमें उन्होंने पूरी घटना की जानाकारी दी। इस फोन को उन्होंने रिकार्ड भी कर लिया था जो यहां दिए गए वीडियो में सुना जा सकता है। यह फोन 24 फरवरी को 2 बजकर 52 मिनट पर किया गया था। इसमें दूसरी तरफ पुलिसकर्मी की आवाज है जो यह कह रहा है उनकी सूचना थाने को दे दी गयी है और जल्द ही पुलिस फोर्स उनके घर पर पहुंच जाएगी।

इसी समय का एक वीडियो है जिसमें वह लाल स्वेटर पहने हुए हैं। उनका कहना है कि वह दंगाइयों को डंडा लेकर रोकने की कोशिश कर रहे थे। उनको इस बात का डर था कि कहीं वे परिवार और दूसरी तरफ आस-पड़ोस में रहने वाले हिंदू भाइयों को न नुकसान पहुंचा दें।

जब उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई तब मजबूर होकर उन्हें अपने यानी आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को फोन करना पड़ा। उन्होंने बताया कि शाम को 4 बजे उन्होंने संजय सिंह को फोन किया। और उन्हें पूरे हालात के बारे में बताया। साथ ही उनसे तत्काल पुलिस की मदद पहुंचाने की गुहार लगायी। इसके लिए उनसे कमिश्नर से बात करने की गुजारिश की। जिसके बाद उन्होंने डीसीपी सूर्या से बात की। साथ ही उनका नंबर भी ताहिर के पास भेज दिया। बाद में संजय सिंह का ताहिर के पास फिर फोन आया और पूछा कि क्या डीसीपी से बात हुई तो ताहिर ने डीसीपी का नंबर न मिल पाने की बात कही।

उसके बाद संजय सिंह ने कांफ्रेंसिंग में लेकर दोनों की आपस में बात करायी। जिसमें डीसीपी ने फोर्स भेजने और स्थिति को नियंत्रित करने का भरोसा दिलाया। ताहिर का कहना है कि शाम को साढ़े सात बजे फोर्स आयी। और नीचे से सूचना दी गयी कि फोर्स आ गयी है लिहाजा वो ज्यादा परेशान न हों। उनका कहना था कि इस सूचना के आने के आधे घंटे बाद वह छत से उतरे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें इस बात की आशंका थी कि कहीं साजिश के तहत नीचे बुला कर उनकी हत्या न कर दी जाए। बाद में छत से उतरने पर दिखा कि पुलिस अच्छी खासी तादाद में थी।

उस समय आस-पास अच्छी खासी भीड़ थी। और लोग उग्र थे। इस हालत में उन्होंने नतीजा निकाला कि रात में घर पर रुकना उचित नहीं है। लिहाजा उन्होंने पत्नी को फोन किया और उनसे कहा कि बच्चों समेत उन्हें सपरिवार घर छोड़ना पड़ेगा। इसके साथ ही जरूरी सामान लेकर पुलिस की मौजूदगी में अपने परिवार को उन्होंने वहां से भेज दिया। और वह खुद तकरीबन 11.30 बजे रात तक वहां पुलिस के साथ रहे। उनका कहना था कि डीसीपी एके सिंगला तथा ज्वाइंट सीपी आलोक कुमार दोनों मौजूद थे। 

इन दोनों अफसरों ने बताया कि लोगों का कहना है कि उनके घर में कुछ लोग छुपे हुए हैं। उसके बाद ताहिर ने उनको पूरे घर की तलाशी लेने का प्रस्ताव दिया। उसके बाद उनका कहना था कि उन्होंने पूरी बिल्डिंग पुलिस के हवाले कर दी। फिर पुलिस ने पूरी बिल्डिंग की तलाशी ली। उनका कहना था कि यहां तक कि पिछले फ्लैट की भी चाभी पत्नी से मंगवाकर चेक करवाई जिससे किसी भी तरह की आशंका न रह जाए। बाद में एक सब इंस्पेक्टर की निगरानी में बिल्डिंग को देकर अफसरान 11.30 बजे चले गए।

आईबी सिपाही अंकित शर्मा की हत्या से जुड़े आरोपों के बारे में उनका कहना था कि वह वहां थे ही नहीं। वह 24 फरवरी को ही अपना मकान छोड़ दिए थे। लिहाजा उसके बारे में कुछ भी बता पाना मुश्किल है। साथ ही उन्होंने शर्मा की हत्या पर बेहद अफसोस जाहिर किया और कहा कि जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंकित के परिवार को न्याय मिलना चाहिए। इस बीच बताया जा रहा है कि ताहिर की फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। छुपने के सवाल पर उनका कहना था कि वह कभी नहीं छुपे। लेकिन जिस तरह से उनके खिलाफ माहौल बनाया गया है और जिस तरह से उनके खिलाफ रोष पैदा किया गया उससे उनकी जान को खतरा है। लिहाजा किसी भी रूप में खुले में आना उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। टीवी-18 के रिपोर्टर ने ताहिर के साथ एक छुपी जगह पर यह पूरी बातचीत की।

इस तरह की घटनाएं कई जगहों पर हुई हैं। जिसमें मुसलमानों के मकानों पर कब्जा कर दंगाइयों ने ईंट-पत्थर चलायी और फिर बाद में इस तरह से पेश किया जाने लगा जैसे यह सब कुछ मुसलमानों ने ही किया हो। नॉर्थ-ईस्ट के एक गांव गांवड़ी में एक बुजुर्ग ने दिखाया कि किस तरह से दंगाइयों द्वारा मुस्लिम घरों में फेंके गए पत्थरों को ही अब उनके ऊपर थोप दिया गया है। और उनको उन्हें ही दंगाई साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।   

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