पंजाब कांग्रेस के विभाजन की वजह तो नहीं बनेगा ‘इंडिया?’

राजग के खिलाफ 26 विपक्षी दलों ने एकजुट होकर इंडियन नेशनल डेवेलपमेंट इंन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) का गठन किया है। मकसद महज एक है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को 2023 के चुनाव में सत्ता से बाहर करना। अभी ‘इंडिया’ के गठन को चौबीस घंटे भी नहीं बीते कि इसके चंद नागवार पहलू भी दरपेश होने लगे हैं। पहला और बड़ा मामला पंजाब का है। ‘इंडिया’ में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों शुमार हैं लेकिन पंजाब में दोनों पार्टियों को कतई यह मंजूर नहीं कि वे एकजुट होकर यहां काम करें।

सन् 2021 के आम विधानसभा चुनाव में ‘आप’ ने कांग्रेस सहित तमाम पार्टियों को धूल चटाते हुए बहुमत हासिल किया था और सरकार बनाई थी। कांग्रेस के अतिरिक्त शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और बसपा मुख्य प्रतिद्वंदी दल थे। लेकिन सरकार का गठन होते ही सबसे पहले कांग्रेस को निशाने पर लिया गया। कल तक सत्ता में रही इस पार्टी के बेशुमार कद्दावर नेताओं को भ्रष्टाचार तथा अन्य आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे डाला गया। कई वरिष्ठ नेताओं, पूर्व मंत्रियों और विधायकों की जमानत तक नहीं हुई। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तक को नहीं बख्शा गया। आप सरकार की सरकारी मशीनरी ने इन सब को पलभर में अर्श से फर्श पर ला दिया। राज्य का विजिलेंस ब्यूरो अभी भी कई वरिष्ठ कांग्रेसियों के खिलाफ सुबूत इकट्ठा कर रहा है ताकि उन्हें भी जेल भेजा जाए।

पिछले हफ्ते ही पूर्व उपमुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी को विजिलेंस ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया। रिमांड के दौरान वह बीमार हो गए और अब उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। सात दिन के बाद पंजाब सतर्कता ब्यूरो उन्हें फिर रिमांड पर लेगा। ऐसे हालात में पंजाब कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं कि पार्टी उस गठबंधन का हिस्सा बने, जिसमें आप भी हो-जो चुन-चुन कर कांग्रेस के बड़े नेताओं पर बाजरिया विजिलेंस शिकंजा कस रही हो।

दरअसल आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल होना राज्य कांग्रेस के लिए मुफीद नहीं। पंजाब के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वेडिंग और नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा तक ऐसा मांगते हैं और इस बाबत खुलकर बोलते हैं। पंजाब कांग्रेस को मानो ग्रहण लग गया है और यह आप के साथ गठबंधन में शामिल होने के बाद और ज्यादा गहरा गया है। ‘इंडिया’ में आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का बैठना सूबे के कांग्रेसियों को सिरे से नामंजूर है।

दरअसल, 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस पंजाब में लगातार कमजोर होने लगी थी। चुनावों से ऐन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से दरकिनार कर दिया गया और कम जनाधार रखने वाले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। चन्नी के मुख्यमंत्री बनते ही पार्टी और ज्यादा डूबने लगी थी। कई खेमे बन गए। सुनील कुमार जाखड़ और नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। कांग्रेस ने ‘दलित कार्ड’ खेलने की मंशा से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। एक तो उनके पास वक्त बहुत कम था और दूसरे उन पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने लगे। यहां तक कि ईडी ने उनके करीबी रिश्तेदारों को सुबूतों के साथ पकड़ लिया। आंच नए मुख्यमंत्री तक भी आई।

भगवंत मान सरकार बनते ही चन्नी के खिलाफ विजिलेंस की कई फाइलें खुल गईं। हालात का सामना करने की बजाय पूर्व मुख्यमंत्री पीएचडी करने और आंखों के इलाज के बहाने लंबे अरसे के लिए विदेश चले गए। तमाम कवायद के बावजूद उनके खिलाफ खुलीं फाइलें बंद नहीं हुईं हैं। उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। स्थानीय नेताओं का तर्क है कि उसके बड़े नेताओं के खिलाफ राज्य की एजेंसियां बाकायदा मुहिम छेड़े हुए हैं और जिस पार्टी की सरकार की कथित हिदायत पर यह सब हो रहा है, उसके साथ गठजोड़ में शामिल होना बहुत बड़ी राजनीतिक भूल है।

राज्य के कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल एक घाघ राजनेता हैं फिलहाल वह इसलिए भी ‘इंडिया’ का हिस्सा बने हैं कि कांग्रेस को हर जगह कमजोर किया जाए। कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी तकरीबन अनसुना कर दिया। केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि उनके एक हाथ में क्या है, वह इसे दूसरे हाथ को भी पता नहीं चलने देते। यानी बहुत सूक्ष्म चाल चलते हैं।

सन् 2021 में आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब थी। यह दीवारों पर लिखा सच था। कांग्रेस का जहाज पंजाब में डूब रहा था तो अकाली-भाजपा गठबंधन टूटने का नुकसान भी सामने आना ही था। कांग्रेस के बड़े दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा में चले गए और बाद में दो बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष तथा नेता प्रतिपक्ष रहे सुनील कुमार जाखड़ ने भी भगवा ओढ़ लिया। दोनों के साथ उनके कई समर्थक और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी भाजपा का हिस्सा हो गए। यह सिलसिला थमा नहीं है।

पिछले हफ्ते ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री अश्विनी सेखड़ी अपने कई समर्थकों सहित भाजपा में शामिल हो गए। कुछ ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा। जालंधर के वर्तमान सांसद सुशील कुमार रिंकू उनमें से प्रमुख हैं। कयास हैं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस को ज्यादा कमजोर करने वाले कुछ नेता भाजपा या आप में जा सकते हैं।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा कई महीनों से कवायद कर रहे थे कि अब दलबदल का सिलसिला रुके और कांग्रेस की मजबूती के लिए नए सिरे से कुछ किया जाए। लेकिन अब ‘इंडिया’ की अवधारणा ने पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के होश उड़ा दिए हैं। अमरिंदर सिंह राजा वडिंग कहते हैं, “आम आदमी पार्टी ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस को समर्थन दिया है। हमने बैठक करके हाईकमान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि समर्थन अध्यादेश तक ही सीमित रहे। अगर पंजाब में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई भी बात हुई तो पंजाब कांग्रेस इसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।”

वहीं नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के अनुसार, “पंजाब कांग्रेस भवन में बैठक के दौरान आप आलाकमान के फैसले से बेहद खफा नेताओं ने बैठक की। बैठक में नेताओं ने अलग मान के फैसले पर सख्त नाराजगी जताई (यहां इशारा ‘इंडिया’ की ओर है) और कहा कि राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे अलग हैं और राज्यों के मुद्दे एकदम अलहदा। अगर कांग्रेस और आप एक ही गठजोड़ में शामिल होंगे तो हमें कार्यकर्ताओं को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। हमारे वरिष्ठ नेताओं पर ही नहीं आम कार्यकर्ताओं पर भी सरकार के इशारे पर जुल्म ढाए जा रहे हैं। अवाम गठबंधन को लेकर हमसे सवाल पूछ रहा है। इसका जवाब तो आलाकमान ही दे सकता है।”

गौरतलब है कि ‘इंडिया’ की नीति के तहत बात सीटों के बंटवारे की आएगी तो कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से बहुत कम सीटें हासिल होंगीं। इसलिए भी कि आप पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है। ‘इंडिया’ के गठन के बाद अतिरिक्त उत्साह में भी। गठजोड़ के बाद कांग्रेस सड़क से लेकर विधानसभा तक उसके खिलाफ वह तल्खी नहीं दिखा पाएगी जो अब तक दिखाती आई है। यानी ‘इंडिया’ आम आदमी पार्टी को कम से कम पंजाब में तो बहुत ज्यादा फायदा देगा। कांग्रेस सूबे में मुख्य विपक्षी दल है। भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के पास पुख्ता फ्रंट नहीं है–जहां से वे आप की घेराबंदी कर सकें। ‘इंडिया’ के तहत आप और कांग्रेस एक छतरी के नीचे आ जाते हैं तो राज्य की राजनीति के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे और राज्य के राजनीतिक इतिहास का एक नया पन्ना खुल जाएगा।

जिस अहम बैठक में कांग्रेसियों की तरफ से फैसला लिया गया कि पार्टी को आप के साथ राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले गठजोड़ ‘इंडिया’ के साथ हरगिज़ नहीं जाना चाहिए; उसमें अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, राजेंद्र कौर भट्टल, राजकुमार चब्बेवाल, राजेंद्र सिंह बाजवा, भारत भूषण आशू, ब्रह्म महिंद्रा, सुखविंदर सिंह सुख सरकारिया, अरुणा चौधरी, गुरकीरत सिंह कोटली, राणा केपी सिंह और सुखविंदर सिंह डैनी सरीखे वरिष्ठ कांग्रेसी मौजूद थे। बुलावे के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू बैठक में शामिल नहीं हुए। उनके कुछ नजदीकी सूत्रों ने बताया कि वे ‘तीर्थ यात्रा’ पर गए हैं, इसलिए बैठक में शामिल होने में असमर्थ थे।

इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंन्क्लूसिव यानी ‘इंडिया’ कहीं पंजाब में कांग्रेस को एक और विभाजन की ओर तो नहीं ले जाएगा? राजनीतिक गलियारों से उठा यह सवाल आम लोग और उनमें भी कांग्रेसी कार्यकर्ता शिद्दत से पूछ रहे हैं। फिलवक्त इसका जवाब किसी के पास नहीं। आगामी कुछ घंटों में तस्वीर साफ हो सकती है, इसकी संभावना जरूर है। कुछ पुराने बुजुर्गों को 1977 की जनता पार्टी और उसका हश्र भी याद आ रहा है। बहुत संभव है कि गलतियां दोहराई नहीं जाएंगीं।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

अमरीक

View Comments

Published by
अमरीक