जन (स्त्री), जीवन, आज़ादी: ईरान में स्कूली छात्राओं ने संभाला विरोध मोर्चा, 150 से अधिक लोगों की मौत

‘जन (स्त्री) ज़िंदगी आज़ादी’ (Women, Life, Freedom) के नारे के साथ स्कूली किशोरियां आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। 22 वर्षीय कुर्दिश महिला महसा अमीनी की कस्टोडियल हत्या के बाद विगत 21 दिनों से ईरान में ज़ारी विरोध-प्रदर्शन का मोर्चा स्कूली किशोरियों ने अपने हाथों में ले लिया है। तानाशाह की मौत, प्रदर्शनकारी लड़कियों का कहना है कि जन, जीवन, आज़ादी केवल इस तरह का नारा लिखने पर आपको गिरफ्तार किया जा सकता है, प्रताड़ित किया जा सकता है या मार भी दिया जा सकता है।  और वे कहते हैं कि हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। यह सिर्फ हिजाब के बारे में नहीं था, यह एक सामान्य इंसान की तरह जीने के हमारे अधिकार के बारे में है।

शरीफ विश्वविद्यालय की परिषद, इसकी मुख्य प्रशासनिक संस्था, ने गुरुवार को एक बयान जारी कर विश्वविद्यालय पर सुरक्षा बलों के छापे और छात्रों की पिटाई और गिरफ्तारी की निंदा की है। बता दें कि प्रदर्शनकारियों पर जारी कार्रवाई की निंदा करने के लिए शरीफ के छात्रों ने 2 अक्टूबर रविवार को धरना दिया था। धरने के दौरान दंगा पुलिस ने धावा बोल दिया और बड़ी संख्या में छात्रों को गिरफ्तार कर अज्ञात स्थानों पर ले गई। शरीफ काउंसिल के बयान से संकेत मिलता है कि कम से कम 30 से 40 छात्रों को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से कई अभी भी लापता हैं।

स्कूली छात्राएं पिछले कुछ दिनों में देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने वाला नवीनतम समूह हैं। दरअसल सरकार विरोधी प्रदर्शन कम संख्या के चलते अपने तीसरे सप्ताह के अंत में संकट में आ गया, लेकिन फिर तेहरान के शरीफ विश्वविद्यालय में 2 अक्टूबर की रात छात्रों पर की गई हिंसक कार्रवाई के बाद 3 अक्टूबर को कई विश्वविद्यालयों में विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। छात्राओं की पिटाई का सोशल मीडिया पर साझा किए गए फुटेज ने ऐसा माहौल बनाया कि रातों रात कई शहरों में नये प्रदर्शनकारी सामने आये। और शुक्रवार की बीती रात को प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर स्कूली छात्राएं थीं, जिन्होंने अपना स्कार्फ हटा दिया और ‘तानाशाह की मौत!’ के नारे लगाए।

कई ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई स्कूलों के कर्मचारी और शिक्षक नाराज छात्रों के साथ हिंसक रूप से भिड़ गए हैं। इस्फ़हान के प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में, ‘आज़ादी , आज़ादी, आज़ादी के नारे के लगाये हैं। भारी कार्रवाई के बावजूद, ईरानी स्कूली छात्राओं ने अरक शहर में सड़कों पर उतरकर ‘जन, जीवन, आज़ादी’ नारा लगाया। ईरान में स्कूली छात्राओं ने देश में विरोध-प्रदर्शनों के समर्थन के अभूतपूर्व प्रदर्शन में, हवा में अपने सिर पर हाथ फेरते हुए और लिपिक अधिकारियों के ख़िलाफ़ नारे लगाए हैं। स्कूली लड़कियों के प्रदर्शन पर क़ाबू पाने के लिये 5-6 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित कर दिया गया, इसके बाद लड़कियों ने स्कूल छोड़ सड़कों का रुख़ किया।

यह रिपोर्ट ईरानी पत्रकारों मसी सलोनजद (Masih Alinejad), समीरा मोहिद्दीन, जोस करम (Joyce Karam), ओमिद मेमारियन ( Omid Memarian), करीम सदजादपुर, मरयम मोकद्दम, कियान शरीफ़ी, पेरिसा हफ़ीज़ी के बयानों और उनके द्वारा उपलब्ध कराये गये वीडियो और तस्वीरों पर आधारित है। कारज (Karaj) शहर में, लड़कियों ने एक शिक्षा अधिकारी को घेर लिया और अपने हिजाब उतारकर आप पर शर्म आती है (Shame on you) के नारे लगाते हुये उक्त शिक्षा अधिकारी को अपने स्कूल से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया। घटना के वायरल वीडियो में दिख रहा है कि ‘आप पर शर्म आती है’ चिल्लाते हुए और उस आदमी पर खाली पानी की बोतलें फेंकते हुए लड़कियां उस आदमी को तब तक घेरकर आगे बढ़ती हैं, जब तक कि वह एक गेट से पीछे नहीं हट जाता।

सैनिक बल के एक सदस्य को छात्रों को हिजाब के बाबत बात करने के लिये बुलाया। उस वक्ता ने जैसे ही बोलने के लिये मुंह खोला स्कूल की सभी लड़कियों ने एक साथ अपने हिजाब उतारकर ‘गेट लॉस्ट बसीजी’ के नारे लगाये।

कारज के एक अन्य वीडियो में, जो राजधानी तेहरान के पश्चिम में है, छात्रों को चिल्लाते हुए सुना जा सकता है कि ‘अगर हम एकजुट नहीं हुए, तो वे हमें एक-एक करके मार डालेंगे।’ दक्षिणी शहर शिराज में, सोमवार को दर्जनों स्कूली छात्राओं ने अपने सिर पर स्कार्फ़ लहराते हुए और ‘तानाशाह को मौत’ के नारे लगाते हुए एक मुख्य सड़क पर यातायात अवरुद्ध कर दिया।

गोहरदश्त (Gohardasht) कारज में एक मार्च को, स्कूली छात्राओं ने आज ‘तानाशाह की मौत’ का नारा लगाते हुए अपने सिर से हिजाब हटा दिया वहीं लड़कियों के समर्थन में सड़कों पर आम लोगों ने कारों के हॉर्न बजाकर हौसला दिया। कारज में स्कूली छात्राओं ने सड़क पर मार्च निकाला, हिजाब हटाया और ‘जन, जीवन,आज़ादी’ और “मुल्लाओं को ‘जाना चाहिए’ के नारे लगाये।

वहीं तेहरान की सड़कों पर लगे बिल बोर्ड में फ़ारसी भाषा में ‘हम तुमसे नहीं डरते’ डिस्प्ले हो रहा है। 

किशोरियों की हत्या कर रही सरकार

ईरान के तमाम स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की लड़कियां हिजाब को परचम की तरह लहराती हुई खुले सिर के साथ सड़कों पर हैं। जिससे खुमैनी सरकार दहशत में है। नतीजन अब तक 150 प्रदर्शनकारियों के मौत की आधिकारिक पुष्टि की गई है। असल आंकड़ा इससे ज़्यादा भयावह है। अली खुमैनी, अयातुल्लाह खुमैनी की सरकार इस विरोध प्रदर्शन से इतनी ज़्यादा ख़ौफ़ज़दा है कि उनकी पुलिस किशोरियों की हत्या, अपहरण और गैंगरेप जैसे कुकृत्यों को अंजाम दे रही है। विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद इस्लामिक रिपब्लिक के भाड़े के सैनिकों ने सरीना एस्माईलज़ादेह की हत्या कर दी। वह 16 वर्ष की थी और जीवन के लिए जुनून से भरी थी।

16 साल की नीका शकरमी 20 सितंबर को तेहरान में एक सड़क पर विरोध प्रदर्शन के दौरान गायब हो गई थी। जब वह आधी रात तक घर नहीं लौटी, तो उसके परिवार ने 10 दिन बाद एक मुर्दाघर में उसका शव खोजने के लिए जेलों, निरोध केंद्रों, पुलिस कार्यालयों और अस्पतालों में खोजबीन की। क़रीब 10 दिनों बाद उसकी डेडबॉडी मिली। पोस्टमोर्टम रिपोर्ट में उसकी नाक टूटी हुई, कई वार के चलते खोपड़ी टूटी हुई और लगातार कई दिनों तक गैंगरेप होने की पुष्टि हुई। उसके पेट से छाती तक टांके लगे थे। दफ़नाने की रस्म के दौरान उसकी लाश को भी ग़ायब कर दिया गया।

रेडियो फरदा को गुरुवार को भेजे गए एक वीडियो में, नीका की मां, नसरीन शाहकरमी ने कहा कि उन पर अपनी बेटी की मौत के बारे में झूठा बयान देने के लिए दबाव डाला गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। नीका की चाची और चाचा पहले राज्य टेलीविजन पर मौत का लेखा-जोखा देते हुए दिखाई दिए थे जिसे व्यापक रूप से जबरन और गलत के रूप में दिखाया गया था।

इस बीच ईरान के न्यायपालिका के अधिकारियों ने यह भी कहा कि 16 वर्षीय सरीना इस्माइलज़ादेह की मृत्यु उसी तरह से हुई, जिस तरह से नीका शकरमी की मृत्यु हुई थी। गौरतलब है कि अल्बोर्ज़ प्रांत के मुख्य अभियोजक होसैन फ़ज़ेली हरिकंडी ने सरीना इस्माइलज़ादेह की मौत का कारण ‘ऊंचाई से गिरने’ के रूप में घोषित किया, इस तरह अधिकारियों ने नीका की मौत को समझाने की कोशिश की।

इस बीच, राजधानी तेहरान में शरीफ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में विश्वविद्यालय के परिसर में सुरक्षा बलों के हमले की निंदा करने के लिए शनिवार को धरना देने की योजना बनाई है।

मतिन केवल 14 वर्ष के थे!  उसने कुछ विरोध भी नहीं किया!  वह अपने पिता के साथ पिछले शुक्रवार की नमाज में गया था और ईरान के इस्लामी शासन द्वारा उसे गोली मार दी गई थी। ज़ाहेदान में इस सप्ताह ईरान के इस्लामी शासन द्वारा 14 वर्ष से कम आयु के कम से कम 8 बच्चों की हत्या कर दी गई! प्रदर्शन के मोर्चे पर अभी भी डटी हुई लड़कियों का कहना है कि वो चाहे जितने लोगों की हत्या कर दें लेकिन हम अब तानाशाही सरकार को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

प्रदर्शन के दौरान ईरानी पुलिस द्वारा जान से मार दी गई मीनू मज़ीदी की किशोर बेटी की तस्वीर भी प्रोटेस्ट की आईकॉनिक तस्वीर बनकर उभरी हुई है। जिसमें वो खुले सिर अपनी मां की क़ब्र पर अपने हाथों में अपने सिर कटे हुये बाल लिये खड़ी हैं।

गायक हुसैन सफामनेश को ईरान खुफिया बलों ने गिरफ़्तार कर लिया है। गौरतलब है कि उन्होंने ईरान शासन का विरोध करने वालों का समर्थन करते हुये कहा था कि – जबकि हमारे लोग सड़कों पर विरोध कर रहे हैं मेरा संगीत समारोह स्थल सड़कों पर होगा।

सरकार विरोधी प्रदर्शनों की एक लहर शुक्रवार को भी जारी रही क्योंकि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनों में भाग लेने वालों और सप्ताहांत के लिए अधिक नियोजित विरोध प्रदर्शनों के बीच रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी तेज कर दी। अहवाज़ में एक प्रसिद्ध नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इमाद हैदरी, जिसे राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के हिरासत में रहते हुए उनकी मौत हो गयी है।

ईरान वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक खूज़ेस्तान प्रांत में कई नागरिक अधिकारों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की तरह इमाद हैदरी को सितंबर में अहवाज़ [आईआरजीसी] के खुफिया कार्यालयों में बुलाया गया था। वह वहां ठीक-ठाक और अपने पैरों पर चला गया, लेकिन 10 दिन बाद, उसका शव उसके परिवार को सौंप दिया गया। इमाद एक युवा पारिवारिक व्यक्ति था और उसकी दो महीने पहले ही शादी हुई थी। प्रदर्शनकारियों को दबाने के एक आवर्ती प्रयास में, इमाद के शोकग्रस्त परिवार को आईआरजीसी द्वारा चेतावनी दी गई कि वे लोग दफ़न करने और अंतिम संस्कार के लिए उसकी बॉडी तभी प्राप्त कर सकेंगे यदि वे सुनिश्चित करते हैं कि अंतिम संस्कार निजी और शांत तरीके से अंजाम देंगे। सुरक्षा बलों की चेतावनी सार्वजनिक होने के बावजूद अहवाज़ में कई नागरिक अधिकार और सांस्कृतिक कार्यकर्ता अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

ये हिजाब नहीं बर्लिन की दीवार है, इसे गिरनी ही चाहिये

ईरानी पत्रकार व एक्टिविस्ट Masih Alinejad प्रतिक्रिया देते हुये कहती हैं- आप में से कितने लोग अपने बालों से प्यार करते हैं? आप में से कितने लोग खुद को ख़ूबसूरत बनाने के लिये आइने का इस्तेमाल करते हैं। 40 साल से हम खुद को वैसा बनाने के लिये आइने का इस्तेमाल करते आ रहे हैं जैसा कि ईरान की हमारी सरकार चाहती है। वो कहती हैं आज महसा अमीनी सिर्फ़ ईरानी सरकार ही नहीं धार्मिक तानाशाही के ख़िलाफ़ भी प्रतिरोध की आवाज़ बन चुकी हैं। आधी सदी से हम ईरान की स्त्रियां हिजाब पुलिस के ख़तरे को सहती आ रही हैं। अनिवार्य हिजाब सिर्फ़ एक कपड़े का टुकड़ा भर नहीं ये बर्लिन की दीवार है स्त्री और पुरुषों को अलगाने वाली। इस दीवार को गिराने का समय आ गया है। ईरानी रिपब्लिक को बचाने के लिये स्त्रियां लड़कियां सड़कों पर हैं। खुमैनी महिलाओं और स्कूली छात्राओं से डरते हैं और उन्हें धमकाते हैं। हम खुमैनी के नाज़ायज़ शासन को खत्म होने तक साथ खड़े हैं।  

उन्होंने आगे कहा है कि ईरान की महिलाओं को सिर्फ अपने बाल काटने के लिए पश्चिमी राजनेताओं की ज़रूरत नहीं है, हम चाहते हैं कि वे हमारे हत्यारों से अपने संबंध तोड़ लें। यही असली एकजुटता दिखती है। 

निर्माता कॉमेडियन मैक्स अमीनी ने ईरान संकट को ठीक से कवर करने में पश्चिमी मीडिया की विफलता पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुये आक्रोश जाहिर किया है।

मानवाधिकार समूहों ने व्यक्त की चिंता

मानवाधिकार समूहों ने बंदियों के भाग्य पर चिंता जताई क्योंकि मरने वालों की संख्या 150 से अधिक थी, उनमें से कम से कम 9 की आयु 18 वर्ष से कम थी। कार्यकर्ताओं ने कहा है कि प्रदर्शनों में मारे गए लोगों की औसत आयु 20 है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया है कि ईरानी सुरक्षा बलों ने ‘गैरकानूनी रूप से’ बच्चों सहित कम से कम 82 लोगों की हत्या कर दी, और  30 सितंबर को ज़ाहेदान में शुक्रवार की नमाज के बाद हिंसक कार्रवाई के दौरान प्रदर्शनकारियों, दर्शकों और उपासकों पर गोला बारूद, धातु के गोले और आंसू गैस के गोले दागने के बाद सैकड़ों अन्य को घायल कर दिया। एमनेस्टी ने कहा है कि ईरानी अधिकारियों ने बार-बार मानव जीवन की गरिमा की पूरी तरह से अवहेलना की है और सत्ता को बनाए रखने के लिए कुछ भी नहीं करने दिया जा सकता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने गुरुवार को कहा, ईरान के सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही क्रूर हिंसा शून्य में नहीं हो रही है। यह व्यवस्थित दण्ड से मुक्ति और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा मंद प्रतिक्रिया का परिणाम है।”

कैलामार्ड ने आगे कहा है कि यह विशेष रूप से घृणित है कि नवंबर 2019 के विरोध के लगभग तीन साल बाद, जिसमें सैकड़ों लोग अवैध रूप से मारे गए थे, ईरानी अधिकारियों ने बेशर्मी से मानव जीवन पर अपना क्रूर हमला जारी रखा है।  इस तरह की कार्रवाइयों को सशक्त बनाने वाली दण्ड से मुक्ति का एकमात्र तरीका संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के लिए ईरान में किए गए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सबसे गंभीर अपराधों के लिए एक स्वतंत्र जांच और जवाबदेही तंत्र की तत्काल स्थापना करना है।

अमेरिका और कनाडा ने की कार्रवाई

ईरानी सरकार द्वारा अपने नागरिकों के दमन के जवाब में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सात वरिष्ठ ईरानी अधिकारियों पर और प्रतिबंधों की घोषणा की है। व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि विरोध-प्रदर्शनों पर ईरान की प्रतिक्रिया को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान के ख़िलाफ़ आगे की कार्रवाई करने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को एक बयान जारी कर ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के अपराधियों पर’ आगे की कार्रवाई का वादा किया।

वहीं विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि गुरुवार को घोषित नए अमेरिकी प्रतिबंध इसलिए लगाए गए क्योंकि ईरान ने महसा अमिनी की मौत के बाद ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार, जिसमें इंटरनेट का उपयोग बंद करना शामिल है’ का दमन जारी रखा था।

ब्लिंकन ने आगे कहा कि आज की कार्रवाई 22 सितंबर को मोरलिटी पुलिस, उसके वरिष्ठ नेतृत्व और अन्य वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के पदनाम और ईरान से संबंधित जनरल लाइसेंस डी-2 की रिहाई का अनुसरण करती है, जो एक साथ प्रदर्शित करती है कि संयुक्त राज्य अमेरिका बहादुर नागरिकों के साथ खड़ा है और ईरान की बहादुर महिलाएं जो अभी अपने मूल अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं।

नए प्रतिबंध ईरान के आंतरिक मंत्री, अहमद वाहिदी को लक्षित करते हैं, जो देश के सभी कानून प्रवर्तन बलों की देख-रेख करते हैं जिनका उपयोग प्रदर्शनकारियों, उनके परिवारों और पत्रकारों पर कार्रवाई करने के लिए किया गया है।

कनाडा ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प को एक आतंकवादी इकाई घोषित किया है साथ ही उन्होंने 10,000 आरजीसी सदस्यों को प्रतिबंध सूची में सूचीबद्ध करने और मैग्निट्स्की अधिनियम को लागू करने की घोषणा की है। साथ ही कनाडा में इस्लामिक रिपब्लिक और उनके परिवार के सदस्यों का प्रवेश निषिद्ध और मनी लॉन्ड्रिंग को खत्म करने की बात कही गई है।

फ्क्लॉवड जीएमबीएच की जांच करनी चाहिए और उसे जब्त करना चाहिए। कंपनी अबरारवन से जुड़ी हुई है, जो एक ऐसी कंपनी है जो इस्लामिक रिपब्लिक को इंटरनेट बंद करने में मदद करती है। जर्मनी को उन वार्ताओं को भी बंद करना चाहिए जो शासन को निधि देती हैं, और सभी संबंधों को खत्म कर देना चाहिये। वहीं पत्रकार आजादे हकबा (Azade Hakba) कहती हैं ईरानियों की मदद के लिए जर्मनी क्या कर सकता है, इस बारे में अधिक जानकारी के लिए इसकी पूरी जांच शुरू करें और इन इस्लामिक रिपब्लिक के साइबर निगरानी और सेंसरशिप के हथियारों को अपने देश में काम करने देना बंद करें।

फ्रांस ने अपने नागरिकों से ईरान छोड़ने का आग्रह किया है। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा, है कि दोहरे नागरिकों सहित किसी भी फ्रांसीसी आगंतुक को गिरफ्तारी, मनमाने ढंग से हिरासत और अनुचित परीक्षण के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है। अतः वो लोग अविलंब ईरान छोड़ दें।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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