अपनी छात्र राजनीति की कर्मभूमि इलाहाबाद में भी याद किए गए वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय

प्रयागराज। अंजुमन-ए-रूहें-अदब में आयोजित कार्यक्रम में दिवंगत वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे की याद में पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्हें स्मरण किया गया। उनकी याद में उनके जीवन व संघर्षों पर आधारित ‘स्मृतियों के आईने’ में नामक किताब का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कॉमरेड कुमुदिनीपति के व्याख्यान से हुआ जिसमें उन्होंने अरुण पांडेय के छात्र राजनीति पीएसओ से लेकर  वाम राजनीति व जनपक्षधर पत्रकारिता से जुड़े उनके सरोकार पर बात रखी।

उनको याद करते हुए कुमुदिनीपति ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाने वाले अरुण पांडे की शख्सियत सत्ता के बिगड़ती सूर को हमेशा चुनौती देती रहेंगी। छात्र संगठनों से प्रतिनिधियों में आइसा से मनीष कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा विश्वविद्यालयों और शिक्षा पर बढ़ते हमलों के दौर में अरुण पांडेय की विरासत प्रासंगिक हो जाती है। आईसीएम से विवेक ने अपनी बात रखते हुए कहा कि छात्र राजनीति के जनवादीकरण करने में अरुण पांडेय की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

अवधेश कुमार सिंह ने अरुण पांडेय को याद करते हुए कहा कि वह एक अकादमी व्यक्तित्व होने के साथ-साथ आम जनमानस के बीच मजबूत पैठ बनाने वाले शख्सियत थे। रिटायर्ड प्रोफेसर हेरम चतुर्वेदी ने उनको याद करते हुए कहा कि अरुण पांडेय की उत्कंठा थी कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए अपने अंदर एक मशाल जलाए रखनी होगी। हरीश चंद्र द्विवेदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अरुण पांडेय की याद में भी विमोचन पुस्तक में हमें उनके संघर्षों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा। रवि किरण जैन ने उनके साथ हुई मुलाकातों में उनकी गर्मजोशी को याद किया तथा कार्यक्रम का समापन अंतिम वक्ता के तौर पर हरिश्चंद्र दिवेदी के व्याख्यान से हुआ। कार्यक्रम का आयोजन केके राय द्वारा किया गया था।

कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और अरुण पांडेय के छात्र और पत्रकारिता जीवन के सहयोगी राम शिरोमणि शुक्ला द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अरुण पांडेय की पत्नी सुनीता, बेटा तन्मय समेत पद्मा सिंह, सुधांशु मालवीय, संध्या निवेदिता, रितेश मिश्रा,विनोद तिवारी, विश्वविजय, सीमा आजाद, राजनारायण सिंह, आनंद मालवीय, विवेक तिवारी समेत तमाम छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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