जाने-माने शायर डॉ मनोहर सहाय ‘अनवर’की रचनाएं अब ‘कलाम-ए-अनवर’ में

उर्दू शायरी की जानी-मानी शख़्सियत डॉ मनोहर सहाय ‘अनवर’ (1900-1974) की रचनाओं को अब ‘कलाम-ए-अनवर’ में पढ़ा जा सकता है। उनकी चुनिंदा रचनाओं को इस पुस्तक में संकलित किया गया है। डॉ सहाय की रचनाओं का विषय जश्न-ए-आज़ादी, जम्हूरियत, इश्के हकीकी और इश्क-ए-मजाज़ी रहा है। शनिवार, 20 नवंबर को सुबह 10 बजे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के संगोष्ठी हॉल में किताब को लांच किया जाएगा। पुस्तक का लोकार्पण उर्दू साहित्य के जाने-माने विद्वान प्रो.सादिक करेंगे।

डॉ सहाय एक प्रख्यात विद्वान, उर्दू भाषा के जाने-माने आलोचक और शायर थे। वे बदायूँ और दिल्ली के रहने वाले एक विद्वान कायस्थ परिवार से थे। इस परिवार ने मुगलकाल के दौरान और बाद में कई फ़ारसी के विद्वानों और लेखकों को प्रेरणा दी। इस सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का डॉ सहाय पर गहरा असर पड़ा और उनका लेखन की तरफ रुझान हुआ। उनकी रचनाओं में प्रगतिशील और समाज के प्रति व्यापक दृष्टिकोण देखने को मिलता है। उनके लेखन में उर्दू शायरी के परंपरागत चलन और आधुनिकता का अनूठा संयोग देखने को मिलता है। उन्होंने जो उच्च शिक्षा हासिल की थी उसका भी उनकी शायरी पर असर देखा जा सकता है।

डॉ ‘अनवर’ ने स्नातकोत्तर के बाद फारसी में डॉक्टरेट किया और पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से हिंदी और पंजाबी में डिप्लोमा किया था। उन्होंने अपने समय में संयुक्त पंजाब और बाद में देश के कई अन्य हिस्सों में काव्य संगोष्ठी और साहित्यिक सम्मेलनों की अध्यक्षता की। उन्होंने प्रसिद्ध उर्दू पत्रिका ‘बीसवीं सदी’ के लिए कई लेख, कविताएँ और स्तंभ लिखे। इसके अलावा ‘उर्दू मजलिस’ पर नियमित रूप से अपनी काव्य रचनाओं का पाठ किया, जो आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो), नई दिल्ली, अखिल भारतीय द्वारा प्रसारित किया गया था।

Janchowk
Published by
Janchowk