मोदी के ‘विश्व गुरू’ के सपने पर वैश्विक महाबली का तुषारापात

वैश्विक महामारी कोरोना का कहर देश के लोगों को अपने घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है। सरकार देशव्यापी लॉक डाउन की घोषणा कर चुकी है और  तमाम सरकारी दावों के बावजूद लॉक डाउन की अवधि का बढ़ना लगभग तय दिख रहा है।

इस बीच, एक चौंकाने वाली बात सामने आयी है कि जब देशव्यापी लॉक डाउन के चलते आम जनमानस घरों में कैद रहने के लिए मजबूर है और उसके स्वास्थ्य परीक्षण और और मेडिकल सहायता के नाम पर सरकार के पास कुछ नहीं है तब सरकार ने अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देशों को मेडिकल सामग्री निर्यात करने का फ़ैसला किया है।

ताजा मामला सरकार द्वारा दवाओं और मेडिकल सामग्री के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का है। जो काफी अचरज भरा फैसला है क्योंकि कोरोना संकट के बीच देश खुद मेडिकल सामग्रियों और दवाओं की किल्लत झेल रहा है। 

प्रारम्भ में कोरोना के प्रति लापरवाह रही सरकार बहुत बाद में हरकत में आई और 3 मार्च 2020 को 26 दवा सामग्रियों (एपीआई) और उनके यौगिक दवाइयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन सरकार की विदेश नीति इतनी बेबस और लाचार है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के एक धमकी भरे बयान के सामने देश ने घुटने टेक दिए और जरूरी दवाओं के निर्यात पर लगी रोक को हटा ली।

चंद दिनों पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब फोन कर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर आवश्यक दवाओं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने को कहा तो भारतीय मीडिया इसे भी सत्ता की चाटुकारिता का मसाला बना लिया। भारतीय मीडिया में कहा गया कि – “अमेरिका भी मोदी से कर रहा है मदद की गुहार।” जमकर दरबारी मीडिया ने मजमा लगाया। मीडिया में यहां तक कहा गया कि  – “अमेरिका के दबाव के आगे नहीं झुकेगा भारत, दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा।”

इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का एक बयान मीडिया में आया जिसमें कोरोना के वायरस कोविड-19 पर प्रभावी ढंग से कार्य करने वाली मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन सहित अन्य आवश्यक दवाओं के निर्यात पर लगी रोक न हटाने पर चेतावनी भरे लहजे में भारत को धमकाया गया और दवा मुहैया न कराने पर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा गया।

ट्रम्प के इस बयान के बाद भारत की बेबस विदेश नीति की भद्द पिट गई और आनन-फानन में सरकार ने आवश्यक दवाओं के निर्यात पर लगा बैन हटा लिया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सरकार ने 12 जरूरी दवाओं और 12 एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (API) के निर्यात पर लगी रोक हटा दी है। 

जब केंद्र में मनमोहन सिंह जी की सरकार थी उस समय एंकर रजत शर्मा ने ‘आप की अदालत’ कार्यक्रम में विदेश नीति पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के सम्बंध में मोदी जी से प्रश्न किया था तो मोदी जी ने कहा था- ” भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश है, भारत पर कौन दबाव बनाएगा, अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव हम बनाएंगे।”

आज ट्रम्प के एक धमकी भरे बयान से मजबूत मोदी सरकार इतने दबाव में कैसे ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो बार-बार यह बयान देते रहे हैं कि ट्रम्प उनका बेहतरीन दोस्त है, ट्रम्प के लिए तो मोदी जी ने अमेरिका में आयोजित “हाउडी मोदी” कार्यक्रम में विदेश नीति के सामान्य अनुशासन और प्रोटोकॉल को तोड़कर चुनाव प्रचार तक किए थे। उन्होंने मंच से नारा तक लगवाया – “अबकी बार ट्रम्प सरकार”

इतना ही नही, भारत में दस्तक दे रहे कोरोना संकट से लापरवाह होकर ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें पानी की तरह पैसा बहाया गया। ट्रम्प के साथ अपनी दोस्ती का दम्भ भरते हुए मोदी यहाँ तक कहते थे कि – ‘ट्रम्प के साथ उनकी तू-तड़ाक वाली लगाव पूर्ण भाषा में बात होती है’। 

माननीय मोदी जी,

               आज कोरोना की इस भयंकर महामारी की स्थिति में जब देश के अंदर दवाओं, मेडिकल उपकरणों और आवश्यक चिकित्सीय सामग्रियों की घोर किल्लत है, आप अपने तू-तड़ाक वाले लेंग्वेज में ट्रम्प को क्यों नहीं कह देते कि हम इस वक्त दवाओं और अन्य आवश्यक मेडिकल सामग्रियों का निर्यात नहीं कर सकते … क्या आपके जिगरी दोस्त ट्रम्प आप की इतनी सी दरख्वास्त नहीं मानेंगे?

(दयानंद स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं।)

दया नंद
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