जवाहरलाल नेहरू, एक विज़नरी लीडर

पंडित जवाहर लाल नेहरु की आज पुण्यतिथि है। नेहरु का स्मरण इसलिए भी जरूरी है, हम उन मूल्यों को याद कर सकें जो एक दौर में भारत के ह्रदय में धडकते थे। पंडित नेहरु का पूरा जीवन आधुनिक भारत को रचने में बीता। यह आधुनिक भारत जिसमें हर आदमी को बराबर का स्पेस हो। एक ऐसा भारत जो खाली पेट ना सोए, बल्कि दो जून की रोटी हर व्यक्ति को उपलब्ध हो। यह कहने के लिए आसान था मगर करने के लिए कठिन। हम जैसे कालखंड से गुजरकर आए थे, ऐसे में दुनिया को लगता था कि  “भारत अपनी आजादी और लोकतान्त्रिक मूल्यों को कैसे बचा पाएगा? एक सूखा अथवा अकाल पूरे भारत के लिए एक संकट बनकर उभरेगा। लोगों में असंतोष उत्पन्न होगा और सब कुछ धरा रह जायेगा”।

मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, नेहरु ने लोकतान्त्रिक मूल्यों और संस्थाओं की स्वायत्तता को अपने निजी विकल्प में सबसे ऊपर रखा। नेहरु के लिए आजादी आम जन की जिंदगी में फर्क लाने से शुरू होती थी। और इस विचार को एक मुहिम के रूप में तब्दील करने में उन्होंने अपना जीवन लगाया। नेहरु जिस समय और जिस पीढ़ी से आते थे, वह आजादी के आन्दोलन में तपकर कुंदन हुई पीढ़ी थी। उनके लिए निजी हितों से ऊपर देश था। यह बात भी गौर करने लायक है, उन लोगों के लिए देश कोई निष्प्राण इकाई नहीं थी। बल्कि जीते -जागते साँस लेते मनुष्यों का समूह। आपने एक सभा में भारत माता वाला प्रसंग तो सुना ही होगा। नदी, झरने, पहाड़ और मनुष्य इन सबसे मिलकर ही भारत माता बनती हैं। मुझे लगता है नेहरु के राजनेता रूप की दुनिया भर में चर्चा हुई ,कई बार तो उन्हें भारत का लेनिन कहा गया। उनकी लोकप्रियता  ने सरहदों को लांघा है। दुनिया भर के समाज विज्ञानियों और साइंटिस्ट लोगों की वह पसंद रहे।             

पंडित नेहरु एक पोएटिक लहजे के उदारमना व्यक्ति थे। एक राजनेता, आधुनिक भारत के शिल्पकार के साथ ही एक उत्कृष्ट लेखक होने का भी उन्हें सौभाग्य प्राप्त हैं। अपने व्यस्त समय में से भी समय निकालकर उन्होंने खूब पढ़ा, और संजीदा होकर काल को मात देने वाला लेखन किया। उनकी आत्मकथा पर अल्बर्ट आइन्स्टीन ने रिमार्क लिखा। जो यात्रा पिता के पत्र : पुत्री के नाम से शुरू हुई वह विश्व इतिहास की झलक, एन आटोबायोग्राफी , डिस्कवरी ऑफ इंडिया राजनीति से दूर, इतिहास के महापुरुष से आगे तक जाती हैं। उन पर दुनिया भर में काफी कुछ कहा गया -काफी कुछ लिखा गया। भारत के मर्म को सघनता के साथ समझने और साझा करने वाले इतिहासविद के रूप में भी उनकी ख्याति है।

जवाहर लाल नेहरु की अधिकारिक जीवनी सर्वपल्ली गोपाल ने  जवाहरलाल नेहरु ;ए बायोग्राफी  नाम से लिखी है। उनका  मानना है ,नेहरु राजनीति के लिए जन्मे ही नहीं थे। मगर जब गाँधी के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में स्वयं को अर्पित कर दिया, फिर उसके बाद कुछ नहीं सोचा। एक बहुपठित होने का लाभ उनके लिए यह था, वह समय से पार देख पाए। उन्हें इस देश के आमजन का सहयोग भी  मिल पाया। सहयोग से ज्यादा विश्वास और प्रेम जो किसी भी लोकप्रिय जन नेता के लिए जरूरी  होता है। लोगों से सुना है’ भगतसिंह ने एक बार नेहरु के बारे में कहा था’ नेहरु ही इस देश की बौद्धिक प्यास को शांत कर सकते हैं।

दुनिया जब दो गुटों में बुरी तरीके से विभक्त थी, ऐसे में नेहरु ने भारत को एक नया रास्ता दिखाया , गुटनिरपेक्ष होने का रास्ता। ऐसे में भारत पूरी दुनिया के लिए एक विकल्प के रूप में उभरा। जोसिप बरोज़ टीटो और कर्नल अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एक नया गुट निरपेक्ष आन्दोलन खड़ा किया। नेहरु को विश्व शांति के लिए गम्भीर पहल करने वाले के रूप में भी याद किया जाना चाहिए। दुनिया की राजनीति को एक नया विकल्प देने के साथ ही तनाव को कम करने के अपने प्रयासों के लिए भी। इसीलिए श्वेत कबूतर उन्हें बहुत प्रिय थे, क्योंकि शांति उन्हें प्रिय थी। दूसरे विश्व युद्ध की विभीषिका को वह भूल नहीं पाए थे।

इस दुनिया में जब तक शांति की जरूरत रहेगी, तब तक  नेहरु के विचारों में दुनिया रोशनाई की तलाश करेगी।

 (विपिन शर्मा कहानीकार हैं।)

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