असमिया कवि कविता कर्मकार को 2023 का सरोज सम्मान

वर्ष 2023 का जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति सम्मान असमिया भाषा की कवि कविता कर्मकार को प्रदान किया जायेगा। शिबसागर असम की निवासी कविता कर्मकार असमिया, बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी में लिखती हैं। असमिया भाषा में उनके दो कविता संग्रह तथा बांग्ला में एक संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी कविताओं का एक संग्रह प्रकाशनाधीन है।

इनके अलावा उनके द्वारा अनुवादित 17 किताबें भी हैं जिनका प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया और साहित्य अकादमी ने किया है। वे 7 किताबों का सम्पादन भी कर चुकी हैं। उनकी कहानियों तथा यात्रा वृतांतों को असम की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने स्थान दिया है।

कविता कर्मकार मानती हैं कि वर्तमान समाज में “कमज़ोर निर्बल लोगों का इतिहास नहीं लिखा जाता है बल्कि इतिहास के वह पन्ने ही गायब कर दिए जाते हैं जहां उनका वर्चस्व स्थापित होता नजर आये। जब कभी उभरता है उनका स्वर तो दबा दिया जाता है, उनकी समस्या, उनके संघर्ष को अनसुना किया जाता है। बचपन से उनकी सम्वेदनाओं को व्यक्त करते लोकगीत और उनके प्रति हो रहे सामूहिक दमन, सामूहिक प्रतिरोध और सामूहिक मुक्ति की कामना ने मुझे बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। इसी प्रभाव ने मुझे उनके मौन को स्वर और शब्द देने के लिए प्रेरित किया है।”

जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान सम्मान हिंदी के अलावा अब तक उर्दू, संथाली, बुन्देली, अंग्रेजी, ओरांव भाषा के कवियों को दिया जा चुका है। न्यास की विज्ञप्ति के अनुसार कविता कर्मकार को दिया जाने वाला यह 19वां सरोज सम्मान है तथा इससे सम्मानित होने वाली वे 20वी कवि हैं।

यह सम्मान उनकी रचनाधर्मिता के उत्तरोत्तर विकास की कामना के साथ उत्तरपूर्व की समृद्ध भाषाओं तथा उनमें सृजन करने वाले समर्थ रचनाकारों के प्रति आदर और कृतज्ञता की निर्मल अभिव्यक्ति भी है।

जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति सम्मान से अभी तक सीता किशोर खरे (सेंवढ़ा), निर्मला पुतुल (दुमका झारखण्ड), निदा फ़ाज़ली (मुम्बई), कृष्ण बक्षी (गंज बासौदा), अदम गौंडवी (गोंडा), उदय प्रताप सिंह (दिल्ली-मैनपुरी), नरेश सक्सेना (लख़नऊ), राजेश जोशी (भोपाल), डॉ. सविता सिंह (दिल्ली), राम अधीर (भोपाल), प्रकाश दीक्षित (ग्वालियर), कात्यायनी (लख़नऊ), महेश कटारे ‘सुगम’ (बीना), शुभा तथा मनमोहन (रोहतक), मालिनी गौतम (गुजरात), विष्णु नागर (दिल्ली), जसिंता केरकट्टा (रांची) तथा देवेन्द्र आर्य (गोरखपुर) को अभिनंदित किया जा चुका है।

Janchowk
Published by
Janchowk