Author: अनिल जैन

  • सरकार की शह पर जारी है देश में गृहयुद्ध के हालात पैदा करने के प्रयास

    सरकार की शह पर जारी है देश में गृहयुद्ध के हालात पैदा करने के प्रयास

    उत्तराखंड के हरिद्वार और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हिंदुत्ववादी संगठनों की हाल ही में हुई तथाकथित धर्म संसद में जिस तरह की बातें कही गईं, वैसी बातें अगर मुसलमानों, ईसाइयों या सिखों की किसी मजलिस या जलसे में हुई होती तो उसके आयोजकों और उसमें भाषण देने वालों पर देश भर में राजद्रोह के…

  • संभावित हार से बचने के लिए हाईकोर्ट ने दिखाया रास्ता, यूपी में टाले जा सकते हैं चुनाव

    संभावित हार से बचने के लिए हाईकोर्ट ने दिखाया रास्ता, यूपी में टाले जा सकते हैं चुनाव

    उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए लगता नहीं कि राज्य विधानसभा के चुनाव निर्धारित समय पर हो पाएंगे। हालांकि इस बारे में चुनाव आयोग अगले सप्ताह फैसला लेगा, लेकिन जिस तरह इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना (ओमिक्रॉन) की…

  • अजय मिश्र की गृहराज्य मंत्री पद से बर्खास्तगी की एक नहीं, दर्जन भर हैं वजहें

    अजय मिश्र की गृहराज्य मंत्री पद से बर्खास्तगी की एक नहीं, दर्जन भर हैं वजहें

    लखीमपुर खीरी कांड में उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर विपक्षी पार्टियां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी को बर्खास्त करने की मांग कर रही हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न तो उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं और न ही उन्हें बर्खास्त कर रहे हैं। भारतीय…

  • सरकार की कारगुजारियों से त्रस्त कामगार वर्ग के लिए सबक है यह किसान आंदोलन

    सरकार की कारगुजारियों से त्रस्त कामगार वर्ग के लिए सबक है यह किसान आंदोलन

    एक साल से कुछ ज्यादा दिन तक चले किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों के बहुआयामी दमनचक्र का जिस शिद्दत से मुकाबला करते हुए उन्हें अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर किया है, वह अपने आप में ऐतिहासिक है और साथ ही केंद्र सरकार के तुगलकी फैसलों से आहत समाज के दूसरे…

  • कृषि कानूनों की वापसी से पंजाब में बदल सकती है राजनीतिक तस्वीर

    कृषि कानूनों की वापसी से पंजाब में बदल सकती है राजनीतिक तस्वीर

    तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दांव का पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन पर कोई असर नहीं हुआ है। किसानों ने कह दिया है कि वे एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य, बिजली कानून, आंदोलन के दौरान किसानों पर कायम किए गए फर्जी मुकदमों की वापसी जैसे मुद्दों…

  • यह सरकार के साथ ही बाजार की ताकतों की भी हार है!

    यह सरकार के साथ ही बाजार की ताकतों की भी हार है!

    जिन तीन कृषि कानूनों को केंद्र की शक्तिशाली सरकार अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना चुकी थी, उन्हें वापस लेने की ‘महाप्रतापी’ प्रधानमंत्री की ‘विनम्र’ घोषणा बताती है कि अगर आंदोलन का उद्देश्य पवित्र हो, आंदोलन के नेतृत्व में चारित्रिक बल हो और आंदोलनकारियों में धीरज हो तो शक्तिशाली सरकारों को भी झुकाया जा सकता है…

  • हिंदुत्व के नाम पर हिंसा आतंकवाद नहीं तो और क्या है?

    हिंदुत्व के नाम पर हिंसा आतंकवाद नहीं तो और क्या है?

    कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना बोको हरम और आईएसआईएस जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों की विचारधारा से की और हिंदुत्ववादियों ने नैनीताल में उनके घर में आग लगा कर इस तुलना को सही साबित कर दिया। हिंदुत्ववादी ब्रिगेड ने हमेशा की तरह हिंदू धर्म के साथ…

  • गंभीर आरोपों से घिरे समीर वानखेड़े पर पूरा सिस्टम क्यों मेहरबान है?

    गंभीर आरोपों से घिरे समीर वानखेड़े पर पूरा सिस्टम क्यों मेहरबान है?

    मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर दाउद वानखेड़े और उनके गैर सरकारी सहयोगियों के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे कर रहे हैं। उनके खुलासों से सिर्फ समीर वानखेड़े ही नहीं बल्कि…

  • गोवर्धन पूजा: निरंकुश सत्ता-व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह का पर्व

    गोवर्धन पूजा: निरंकुश सत्ता-व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह का पर्व

    गोवर्धन पूजा यानी उत्तर भारत में पशुपालकों का बड़ा पर्व। यह पर्व भारतीय संस्कृति में स्थापित मान्यताओं के प्रति उस पहले विद्रोह का प्रतीक भी है, जो द्वापर युग में देवराज इंद्र की निरंकुश सत्ता-व्यवस्था के खिलाफ कृष्ण के नेतृत्व में हुआ था। इसी विद्रोह से कृष्ण की सामाजिक क्रांति के योद्धा-नायक की छवि उभरती…

  • दीपावली की सामाजिकता को तो नष्ट कर चुका है बाजार

    दीपावली की सामाजिकता को तो नष्ट कर चुका है बाजार

    पिछले दिनों राष्ट्र के नाम संबोधन में उत्सव प्रेमी प्रधानमंत्री ने फरमाया है कि देशवासी खूब धूमधाम से दीपावली मनाएं। उनका यह फरमान आम आदमी के जले पर नमक छिड़कने जैसा है। इसलिए कि बगैर सोची-समझी नोटबंदी और दिशाहीन जीएसटी की मार से छोटा और मध्यम कारोबारी तबका अभी उबर भी नहीं पाया था कि…