Author: विजय शंकर सिंह
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सीडीएस की नियुक्ति और सेना में वरिष्ठता की परंपरा
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सीडीएस का पद सभी सेनाध्यक्षों के ऊपर एक केंद्रीय कमांडर की तरह होता है। तीनों सेनाओं के, सेनाध्यक्ष, जिसमें, जनरल, एयर चीफ मार्शल, एडमिरल भी शामिल हैं, फोर स्टार जनरल के होते हैं। प्रथम, सीडीएस के रूप में बनाए गए जनरल विपिन रावत, भी सीडीएस बनने के पहले तक, जनरल/थल सेनाध्यक्ष…
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गांधी की दांडी यात्रा-6: छात्रों, व्यापारियों और जनता को युद्ध में शामिल होने का आह्वान
इकतीस हजार की आबादी वाले शहर नदियाड में गांधी लोगों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं, “मैं अक्सर नदियाड आया हूं और यहां कई भाषण दिए हैं, लेकिन इससे पहले मैंने जनता का इतना बड़ा जनसमूह कभी नहीं देखा है। गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए, आज हम कुचले जा रहे हैं और हम…
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कागज पर ही बना हुआ है पुलिस सुधार संबंधी सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सोलह साल पहले, यूपी और बीएसएफ के डीजी रह चुके, प्रकाश सिंह जी की पुलिस सुधार संबंधी एक जनहित याचिका पर, 22 सितंबर 2006 को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि, धर्मवीर की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशें सरकार लागू करे। लेकिन आज सोलह साल बाद भी सीबीआई तोते से…
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गांधी की दांडी यात्रा-5: जैसे-जैसे यात्रा बढ़ती गई, कारवां बनता गया
दांडी यात्रा के दूसरे दिन, 13 मार्च को गांधी और उनके सहयात्री, बवेजा गांव पहुंचे और वहां उनका पड़ाव था। गांधी ने यात्रा की तैयारी के दौरान, रास्ते में पड़ने वाले गांवों से, कुछ जरूरी सूचनाएं मंगवाई थी। उन्होंने बवेजा गांव के संबंध में मिली सूचनाओं के बारे में, ग्रामीणों से कहा कि, ‘उन्हें ‘इसे…
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गांधी की दांडी यात्रा-4: देशवासियों की रगों में खून बनकर दौड़ने लगा नमक सत्याग्रह
12 मार्च, 1930 को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर, गांधी, प्रभाशंकर पटानी, महादेव देसाई और अपने सचिव प्यारेलाल के साथ, अपने कमरे से बाहर आए। वे शांत और आत्मविश्वास से भरे दिख रहे थे। उन्होंने प्रार्थना की, अपनी घड़ी देखी और ठीक 6.30 बजे गांधी और उनके साथी, आश्रम से बाहर निकले और बाएं…
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भारत के इथोपिया के रूप में जाना जाता है चीतों के लिए बनाया गया कुनो अभयारण्य
17 सितंबर का दिन एक उत्सव के दिन की तरह मनाया गया। उस दिन अफ्रीका के नामीबिया से चीते भारत लाये गए और उन्हें मध्य प्रदेश के कुनो अभयारण्य में रखा गया। चीते भारत से विलुप्त हो गए थे और 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त वन्य जीव प्रजाति घोषित कर दिया था।…
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गांधी की दांडी यात्रा-3: यात्रा की एक रात पहले
वाइसरॉय और उनका पूरा सूचना तंत्र, इस बात पर निश्चिंत था कि, नमक कर के विरुद्ध होने वाला गांधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन की तरह न तो व्यापक होगा और न ही, उससे ब्रिटिश सरकार को कोई बहुत प्रभाव पड़ेगा। नमक पर सत्याग्रह को लेकर, कांग्रेस के बड़े नेताओं में भी संशय…
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गांधी की दांडी यात्रा-2: नमक कर के विरोध का इतिहास और सत्याग्रह की भूमिका
गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन और सत्याग्रह की योजना के पहले, नमक पर कर और उसके विरोध के इतिहास पर भी एक नजर डालते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि नमक पर, कर 1930 में ही लगाया गया था, बल्कि नमक पर कर का इतिहास उसके बहुत पहले से शुरू होता है। ईस्ट इंडिया…
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गांधी की दांडी यात्रा-1: यात्रा के पहले देश की स्थिति
महात्मा गांधी द्वारा किया गया, नमक कानून का विरोध, जो, दांडी यात्रा के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध है, के पहले देश की राजनीतिक स्थिति, बहुत कुछ निराशाजनक थी। गांधी 1924 में अपने दो लेखों के कारण देशद्रोह के आरोप में 6 साल के लिए सज़ा पा कर यरवदा जेल भेजे गए, हालांकि वे…
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सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है एयरपोर्ट से सीआईएसएफ सुरक्षा को कम करना
यह भी एक विडंबना है कि सरकार को, 1980 से लंबित पड़ी, धर्मवीर कमीशन की रिपोर्ट जो पुलिस सुधार के बारे में है, को सुप्रीम कोर्ट के अनेक आदेश देने के बाद भी, लागू करने की जल्दी नहीं है, पर लगभग सभी बड़े हवाई अड्डों को, अडानी समूह को सौंप देने के बाद, यह निर्णय…