ऐपवा ने दलित-महिला उत्पीड़न के खिलाफ चलाया प्रदेश व्यापी अभियान और भगत सिंह जयंती पर भी लखनऊ में हुआ कार्यक्रम

लखनऊ। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में लगातार महिला उत्पीड़न, दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़ अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन और इंकालबी नौजवान सभा ने 24 से 30 सितंबर तक साप्ताहिक विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम लिया हुआ है इसके तहत जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस बीच शहीद भगत सिंह की 115 वीं जयंती के अवसर पर इंसाफ मंच व ऐपवा लखनऊ की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

साप्ताहिक अभियान के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि हाथरस से लेकर लखीमपुरखीरी , पीलीभीत, बंदायू, मेरठ, मुरादाबाद और औरैया आदि जिलों की विभत्स घटनाएं यह साबित कर रही है कि योगीराज में महिला /दलित उत्पीड़न  अपने चरम पर है। जिसकी पुष्टि ख़ुद एनसीआरबी के सरकारी आंकड़े कर रहे हैं। कृष्णा अधिकारी ने कहा कि लखीमपुरखीरी से लेकर मुरादाबाद की शर्मनाक घटनाएं बता रही है कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। अपराधियों और बलात्कारियों के मंसूबे बढ़े हुए है उन्हें क़ानून का कोई खौफ नहीं है। 

गौरतलब है कि ऐपवा की राज्यस्तरीय टीम कृष्णा अधिकारी के नेतृत्व में निघासन कांड की जांच करने लखीमपुरखीरी गई थी जिसके तहत जांच टीम ने निघासन कांड की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

ऐपवा की राज्य सचिव कुसम वर्मा ने कहा कि अपने 6 महीने के कार्यकाल के कसीदे गढ़ते हुए मुख्यमंत्री सरकारी आंकड़ों को नकारते हुए उत्तर प्रदेश में विकास और कानून व्यवस्था का रिपोर्ट कार्ड जारी कर रहे हैं।

र्मुख्यमंत्री योगी खुद सरकार आंकड़ों को नकारते हुए अपराध पर काबू पाने , महिलाओं पर हिंसा, हत्या, बलात्कार पर  रोक लगाने और हर महिला के लिए यूपी को सुरक्षित करने के बजाय यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहे है कि यूपी पुलिस अपराधियों को 24 घण्टे में गिरफ्तार कर ले रही है जबकि हम जानते हैं कि हाथरस की दलित छात्रा को आज तक न्याय नहीं मिल सका है।

कुसुम वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी यूपी में पुरुषसत्तात्मक वर्चस्ववादी जातिवादी, अहंकारी बुलडोजर राजनीति के प्रतीक बन गए है जहां महिला सम्मान की कोई जगह नहीं बची है बल्कि पूरे प्रदेश में गरीबों, दलितों , महिलाओं के हक अधिकार को कुचला जा रहा है।

इंकलाबी नौजवान सभा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में कानून का राज की बात करते हैं लेकिन महिला उत्पीड़न के अधिकांश मामलों में थानों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही है। उल्टे कई थानों में रिपोर्ट लिखवाने गई महिलाओं के साथ बद्सलूकी की घटनाओं तक की खबरें आ रही हैं। इन अपराधों के लिए थाना प्रभारियों पर कोई कड़ी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ महिला सशक्तिकरण का ढोंग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि यूपी दलित उत्पीड़न में भी शर्मनाक ढंग से अव्वल है। राजस्थान के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की ही तरह उत्तर प्रदेश के औरैया में कक्षा 10 के छात्र की पीटकर हत्या कर दी जाती है और मुख्यमंत्री दलित उत्पीड़न पर चुप्पी साधे हैं।

आरवाईए के प्रदेश सचिव सुनील मौर्या ने कहा कि योगीराज में गरीबों के आर्थिक विकास का कोई मॉडल काम नहीं कर रहा है। आज प्रदेश प्रदेश में ऐसी ह्रदयविदारक घटनाएं भी घट रही हैं जहां महिलाएं आर्थिक तंगी से अपने बच्चों समेत आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रही हैं। महिलाओं के सम्मानजनक रोजगार की कोई गारंटी नहीं है बल्कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों की महंगी फीस नौजवान महिलाओं के बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा से महरूम कर रही है।

ऐपवा और आरवाईए ने प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदेश के क़ई जिलों में विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिया।

उधर भगत सिंह जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐपवा प्रदेश सहसचिव मीना सिंह ने कहा कि भगत सिंह के जिन क्रांतिकारी विचारों से डरकर ब्रिटिश साम्राज्य वादी हुकूमत ने उन्हें भौतिक रूप से मिटाने में अपनी भलाई समझी थी, उन विचारों को छुपाने या मिटाने की कोशिश नए शासक वर्ग ने भी भरसक की है ।

मीना सिंह ने कहा कि भगत सिंह सिर्फ साम्रज्यवाद से ही मुक्ति नहीं चाहते थे बल्कि वे सामंतवाद, जातिवाद  और साम्प्रदायिकता से भी मुक्ति चाहते थे । वे एक ऐसा देश बनाना चाहते थे जहाँ मनुष्य का शोषण मनुष्य के द्वारा न हो । किसी भी इंसान की पहचान उसके जाति या धर्म से न हो । वे मेहनतकशों , किसानों व मजदूरों का राज्य बनाना चाहते थे । साम्प्रदायिकता को वे देश और समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते थे । भगत सिंह गैरबराबरी को मिटाकर मजदूरों-किसानों का समाजवादी राज बनाना चाहते थे जहां किसी का शोषण-उत्पीड़न न हो। आज़ादी के 75 साल बाद भी शोषण मुक्त समाज का निर्माण तो नहीं ही हो पाया है लेकिन कार्पोरेट – पूंजीपतियों का राज कायम किया जा रहा है ।

सभा को सम्बोधित करते हुए इंसाफ मंच के अध्यक्ष आर बी सिंह ने कहा कि पूरे देश में दलितों , गरीबों , आदिवासियों और महिलाओं पर हिंसा व दमन की जैसे बाढ़ आ गयी है । NCRB के रिपोर्ट के अनुसार महिला और दलित हिंसा में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर है ।  गैर – बराबरी और छुआछूत आज भी समाज में कायम है । उदाहरण के तौर पर हम औरैया की घटना को देख सकते है । जहां एक अध्यापक ने 15 साल के दलित परिवार से आने वाले एक छात्र को इतना पीटा कि कुछ दिन पहले उसकी मौत हो गई ।

सभा को सम्बोधित करते हुए इंसाफ मंच के उपाध्यक्ष प्रद्दुम्न ने कहा कि नई शिक्षा नीति के कारण शिक्षा अब दलितों , गरीबों और लड़कियों के पहुंच से बाहर हो गई है । उन्होंने कहा कि गरीबों और दलितों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है जबकि सरकार को सभी को शिक्षा मुफ्त में देनी चाहिए क्योकिं पढ़ेगा इंडिया तभी तो विश्वगुरु बनेगा इंडिया ।

सभा का संचालन करते हुए इंसाफ मंच के सचिव ओमप्रकाश राज ने कहा कि मोदी सरकार देश के नौजवानों को रोजगारी देने में पूरी तरह से असफल रही हैं । जिसके कारण देश के नौजवान आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे है। साथ ही महंगाई ने आम जनता का जीवन दूभर कर दिया है ।

सभा में आकाश, अनीता, राम खेलावन , मीना,  U B siddiqui, A N Singh राम अवतार, ओमकार राज आकाश राना व राम बख़्श जी आदि प्रमुख लोग शामिल हुए।

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