रूपानी के बाद पाटीदार नेता को भाजपा बना सकती है मुख्यमंत्री

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक 15 महीने पहले मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने राज्यपाल का आभार व्यक्त करते हुए हिंदी भाषा में त्यागपत्र सौंप दिया। रूपानी को मोदी शाह का रबर स्टैम्प मुख्यमंत्री कहा जाता था। मोदी शाह दोनों की गुड बुक में जगह पाने वाले रूपानी का लंबे समय से प्रदेश प्रमुख सीआर पटेल से विवाद चल रहा था जिस कारण सरकार और संगठन में समन्वय ठीक ठाक नहीं था। इस्तीफे के बाद रूपानी इतने नराराज थे कि पाटिल के साथ 4:30 पर होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करनी पड़ी। अंदरूनी कलह के अलावा पाटीदार समाज से पाटीदार मुख्यमंत्री की डिमांड और कोविड में सरकार का बुरी तरह से असफल होना भी इस्तीफे का कारण माना जा रहा है। भाजपा इस्तीफे के माध्यम से सत्ता विरोधी लहर को कमजोर करना चाहती है।

मुख्यमंत्री बदलने से भाजपा की चुनौतियां कम हों ऐसा लगता नहीं।

जानकारों का मानना है कि भाजपा राज्य को पाटीदार मुख्यमंत्री दे सकती है। अन्य बड़ी जातियों को अपने पाले में बनाए रखने के लिए भाजपा पिछड़े और अनुसूचित जनजाति से एक एक उप मुख्यमंत्री बना सकती है। मुख्यमंत्री की रेस में जो नाम चर्चे में हैं वह इस प्रकार हैं-

1) हिंदुत्व की राजनीति में फिट बैठने वाला नाम गोर्धन झड़पिया जो 2002 दंगे के समय गृह राज्य मंत्री थे। पाटीदारों में मज़बूत पकड़ लेकिन भूतकाल में मोदी शाह विरोधी और बागी होने का भी रिकॉर्ड है।

2)मनसुख मंडाविया जो एक साफ सुथरी और पाटीदार नेता की छवि रखते हैं। केंद्र में मंत्री और पहले भी रूपानी की जगह मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा हो चुकी है।

3) नितिन पटेल, 1990 से विधायक बनते आ रहे हैं। पाटीदार समाज पर जबरदस्त पकड़ और वर्तमान में उप मुख्मंत्री हैं। कोरोना काल में खराब काम माइनस प्वाइंट है।

4) प्रफुल पटेल, वर्तमान में लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली दमन दीव के प्रशासक के तौर पर भाजपा की नीति के अनुसार काम करना तथा मोदी का भरोसेमंद होने के अलावा पाटीदार हैं। मोदी के समय गृह राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।

5) आरएसएस अपने भरोसेमंद भीखूभाई दलसाणिया को भी प्रोजेक्ट कर सकता है। दलसणिया पाटीदार के अलावा संगठन में भी मजबूत पकड़ रखते हैं।

6) काला घोड़ा

वर्तमान में विधान सभा की परिस्थिति कुछ इस प्रकार है:

भाजपा 112

कांग्रेस   65

बीटीपी   02

एनसीपी  01

निर्दलीय  01

जाति के अनुसार भाजपा में विधायकों की संख्या

पाटीदार 32

सवर्ण      25

पिछड़ा वर्ग 31

दलित      08

आदिवासी  12

अन्य        04

भाजपा चुनाव से पहले संगठन और सरकार में संतुलन बनाना चाहती है। राज्य में सबसे बड़ी संख्या पिछड़े वर्ग की है। जो 54 प्रतिशत है। आदिवासी 15 प्रतिशत हैं। जबकि पाटीदार 14 प्रतिशत हैं। भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी कि कैसे सभी के बीच संतुलन और ताल मेल बनाए।

रूपानी के इस्तीफे की एक बड़ी वजह आम आदमी पार्टी की बढ़ती ताकत भी है। आम आदमी पार्टी की सूरत नगर निगम में सफलता और राज्य में हुई जन संवेदना यात्रा की सफलता से भाजपा डरी हुई है। आम आदमी पार्टी कोराना से हुई मौतों का सही आंकड़ा जल्द जारी करने वाली है। आम आदमी पार्टी कोरोना से मरने वालों को मुआवजा देने की मांग कर रही है। सौराष्ट्र में आम आदमी पार्टी को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। भाजपा का पाटीदार वोट आम आदमी की तरफ खिसकता दिख पाटीदार मुख्यमंत्री पर भाजपा दांव लगाने की सोच रही है।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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