आरएसएस और बीजेपी के बीच ये रार है या तकरार?

आखिर आरएसएस में क्या चल रहा है। एक ओर कहा जा रहा है कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को आरएसएस का समर्थन प्राप्त है तो दूसरी और कहा जा रहा है कि आरएसएस मोदी से बहुत नाराज है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और दिल्ली दरबार के बीच तनाव में आरएसएस योगी के साथ है तो उधर मोदी के वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी द्वारा मोदी सरकार की नीतियों, कार्यप्रणाली की लगातार आलोचना को आरएसएस का समर्थन प्राप्त है। इस बीच भाजपा संसदीय बोर्ड से गडकरी को बाहर कर दिया जाना यही संकेत दे रहा है कि कुछ तो गड़बड़ है। अब आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने मोदी सरकार पर अप्रत्यक्ष हमला कर दिया है।

होसबोले ने कहा है कि देश में 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं। 23 करोड़ लोगों की आय प्रति दिन 375 रुपये से कम है। देश में चार करोड़ बेरोजगार लोग हैं। श्रम बल सर्वेक्षण कहता है कि हमारे पास 7.6 प्रतिशत का बेरोजगारी दर है।     

अब इसे क्या कहेंगे कि आरएसएस द्वारा देश में गरीबी, महंगाई, असमानता और बेरोजगारी के बढ़ने का मुद्दा उठाना मोदी सरकार को पसंद नहीं आया है। संघ महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के बयान के एक दिन बाद मोदी सरकार के मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया कि दालों और सब्जियों सहित कुछ वस्तुओं की कीमत में गिरावट आई है।

आरएसएस द्वारा त्योहारी सीजन के बीच कीमतों में बढ़ोतरी, गरीबी में वृद्धि का मुद्दा उठाने पर उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को ट्विटर पर दावा किया कि पिछले महीने की तुलना में दालों और सब्जियों सहित कुछ वस्तुओं

की कीमतों में गिरावट आई है। यह बयान आरएसएस द्वारा देश में बढ़ती असमानता और बेरोजगारी पर सवाल उठाने के एक दिन बाद आया है।

पीयूष गोयल ने सोमवार को ट्विटर पर कहा, “त्योहारों के समय में खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट, घर में जश्न, बजट में राहत”। उन्होंने ट्वीट के साथ एक ग्राफिक भी संलग्न किया जिसमें दिखाया गया है कि कैसे कई वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है। ग्राफिक में दिखाया गया है कि पिछले महीने की इसी तारीख की तुलना में 2 अक्टूबर को पाम तेल की कीमत में 11 प्रतिशत, प्याज में 8 प्रतिशत और आलू की कीमत में 7 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह, इसी अवधि के दौरान चना दाल की कीमत में 4 प्रतिशत और सरसों के तेल की कीमत में 3 प्रतिशत की कमी आई है।

रविवार को आरएसएस ने देश में गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता का मुद्दा उठाया था। संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के एक वेबिनार के दौरान कहा कि, देश में गरीबी हमारे सामने एक राक्षस की तरह खड़ी है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस राक्षस को मार डालें। 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो हमें बहुत दुखी करता है। 23 करोड़ लोगों की आय प्रति दिन 375 रुपये से कम है। देश में चार करोड़ बेरोजगार लोग हैं। श्रम बल सर्वेक्षण कहता है कि हमारे पास 7.6 प्रतिशत का बेरोजगारी दर है।

आरएसएस नेता ने कहा कि गरीबी के अलावा असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है।देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं। श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है। हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल अखिल भारतीय योजनाओं की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय योजनाओं की भी आवश्यकता है।

आर्थिक कारणों से पलायन और गांवों में नौकरियों की कमी के मुद्दे पर आरएसएस नेता ने कहा कि श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत है और नौकरियों के बारे में मानसिकता बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी नौकरियों को सम्मान के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता है और इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है कि केवल ह्वाइट कॉलर वाली नौकरियां ही सम्मानजनक हैं।

होसबोले ने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कौशल प्रशिक्षण न केवल शहरी-उन्मुख हो सकता है, बल्कि इसे ग्रामीण क्षेत्रों के कौशल का भी ध्यान रखना होगा। किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। क्या केवल अधिकारी और उद्यमी बनना संभव है, क्या हमें मेहनती लोगों की जरूरत नहीं है। आरएसएस और उसके सहयोगी सरकार पर अपनी आर्थिक नीतियों पर फिर से विचार करने और स्वदेशी पर जोर देने, घरेलू उत्पादन बढ़ाने और स्थानीय व्यापार और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आयात में कटौती करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। वह कई बार अपनी ही सरकार की आलोचना कर बैठते हैं। केंद्रीय मंत्री ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुछ ऐसा कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ही निशाने पर आ गई है।उन्होंने कहा कि सरकार समय पर निर्णय नहीं लेती है और यह एक समस्या है।

नैटकॉन 2022 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि आप चमत्कार कर सकते हैं और क्षमता है। मेरा सुझाव है कि भारतीय बुनियादी ढांचे का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। हमें दुनिया और देश में अच्छी तकनीक, अच्छे अनुसंधान, अच्छे शोध और सफल प्रथाओं को स्वीकार करने की जरूरत है। हमारे पास वैकल्पिक सामग्री होनी चाहिए जिससे हम गुणवत्ता से समझौता किए बिना लागत कम कर सकें। निर्माण में समय सबसे महत्वपूर्ण चीज है। समय सबसे बड़ी पूंजी है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार समय पर निर्णय नहीं ले रही है।

नितिन गडकरी ने कहा कि जब मैं महाराष्ट्र में मंत्री था, मैंने कहा था कि एक दिन पहले बनाने पर एक लाख रुपये का ईनाम दिया जाएगा। अगर देरी हुई है तो जुर्माना उसी के अनुसार देना होगा। माहिम फ्लाईओवर का निर्माण पहले 24 महीने में होने वाला था। इसे 21 महीने में ही एक ठेकेदार ने पूरा कर लिया। इसकी वजह से उसे बोनस मिला।

नितिन गडकरी अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं जो उन्हीं की सरकार में बैठे लोगों को चुभ सकते हैं। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि आज की राजनीति सत्ता की राजनीति हो गई है। इसका जनकल्याण से कोई लेना-देना नहीं है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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