भारत के किसानों के लिए कयामत साबित होगा बिल गेट्स का ‘कयामत का बीज बैंक’

बिल गेट्स दुनिया के सबसे बड़े किसानों में से एक हैं। बिल गेट्स अमेरिका में खेती योग्य जमीनों के सबसे बड़े मालिक हैं। यह आपको मालूम चल ही गया होगा, लेकिन आपको यह नहीं मालूम होगा कि 21वीं शताब्दी में बिल गेट्स का इरादा सिर्फ खेती करना नहीं है। उनका इरादा कृषि को एक तरह से कंट्रोल करना है। क्या आप जानते हैं कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने दुनिया के सबसे दूर दराज क्षेत्र में उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,100 किलोमीटर की दूरी पर आर्कटिक महासागर के पास बैरेट्स सी पर स्वालबार्ड में एक बीज बैंक का निर्माण किया है जिसे ‘कयामत का बीज बैंक’ कहा जाता है।

बिल गेट्स के साथ रॉकफेलर फाउंडेशन, मोनसेंटो कॉर्पोरेशन, सिनजेंटा फाउंडेशन और नॉर्वे की सरकार का इसमें निवेश है, जिसे ‘कयामत का बीज बैंक’ कहा जाता है। नार्वे की सरकार के अनुसार, इसमें पूरी दुनिया के तीन मिलियन विभिन्न प्रकार के बीज शामिल हैं, ताकि भविष्य के लिए फसल विविधता का संरक्षण किया जा सके। बीजों में नमी को बाहर करने के लिए बीज को विशेष रूप से सरंक्षित किया गया है।

आप कहेंगे कि इसमें क्या गलत है? यह तो होना ही चाहिए, लेकिन आप सोचिए कि इस तरह के बीज बैंक का उपयोग कौन करता है? प्लांट प्रजनक और शोधकर्ता जीन बैंकों के प्रमुख उपयोगकर्ता हैं। आज के सबसे बड़े प्लांट प्रजनकों में मोनसेंटो, ड्यूपॉन्ट, सिनजेन्टा और डॉव केमिकल हैं, जो ग्लोबल प्लांट-पेटेंटिंग जीएमओ दिग्गज हैं।

यानी मान लीजिए कि भारत के ऊंचे हिमालयन क्षेत्रों में उगने वाले गेंहू की तरह दिखने वाले एक पौधे का बीज ये लोग ले गए हैं, वहां उस पर शोध करते हैं। गेहूं का पौधा वास्तव में एक गेहूं की तरह नहीं दिखता है, लेकिन यह आनुवंशिक रूप से एक गेहूं है, साथ ही एक हजार साल के लिए पहाड़ों की ऊंचाई पर रहने के कारण इसे उगने में बहुत पानी की आवश्यकता नहीं है।

ऐसे बीज को यह जीएम बीज में बदल देते हैं और उस पर पेटेंट हासिल कर लेते हैं, फिर आपको इन्हीं से ये बीज खरीदना होगा। यह बीज टर्मिनेटर बीज होगा, यानी अगली फसल के लिए आप अपने द्वारा उत्पादित बीज का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। अगली बार आपको इन्हीं से बीज खरीदना होगा।

अब यह भी जान लीजिए कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन; यूएस एग्रीबिजनेस की दिग्गज कंपनी ड्यूपॉन्ट/पायनियर हाय-ब्रेड, पेटेंट किए गए आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएमओ) संयंत्र बीज और संबंधित कृषि संबंधी दुनिया के सबसे बड़े मालिकों में से एक हैं; दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत जीएम बीजों की मालिक कंपनी मोनसेंटो में भी बिल गेट्स की हिस्सेदारी है।

दुनिया में आलू की साढ़े चार हजार किस्में, 35,000 मक्का, 125,000 गेहूं, और चावल की 200,000 किस्में है। सब के बीज इन बड़े कॉरपोरेट द्वारा सरंक्षित हैं। उन पर शोध किए जा रहे हैं। प्रयोग किए जा रहे हैं, और एक दिन आप पाएंगे कि आपसे इन फसलों को उगाने का अधिकार छीन लिया गया है।

वो दिन बहुत दूर नहीं है। भारत में कृषि कानूनों में जो परिवर्तन किया गया है, वह इस वैश्विक साजिश का ही एक हिस्सा है। हमें कदम दर कदम इस तरफ धकेला जा रहा है कांट्रेक्ट फार्मिंग, जमाखोरी की छूट,  MSP को खत्म करना, दरअसल बिल गेट्स और उनसे जुड़े कृषि के क्षेत्र में काम कर रही वैश्विक कंपनियों के दबाव में किए जाने वाला कृत्य है।

(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

गिरीश मालवीय
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