कोरोना को परास्त करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सर्वदलीय समितियों का हो गठन

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ब्रिटेन समेत समस्त यूरोप पर हमले की तैयारी कर रहा था। उस समय ब्रिटेन सबसे शक्तिशाली देश था और नेविल चैम्बरलेन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। ब्रिटेन की जनता की राय थी कि चेम्बरलेन के नेतृत्व में हिटलर का मुकाबला नहीं हो सकेगा। इसलिए उन्हें हटाने की मांग उठने लगी। उन पर आरोप था कि सामरिक तैयारी करने के स्थान पर चेम्बरलेन हिटलर का तुष्टीकरण कर रहे हैं। अंततः चेम्बरलेन को हटना पड़ा। उनके स्थान पर विंस्टन चर्चिल को प्रधानमंत्री बनाया गया। 

चर्चिल का मानना था कि अकेली उनकी कंजरवेटिव पार्टी और वे हिटलर का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। इसलिए उन्होंने  मिली जुली सरकार बनाई और लेबर पार्टी के नेता क्लीमेन्ट एटली को उपप्रधानमंत्री बनाया। अंततः ब्रिटेन और दुनिया के अन्य देशों ने मिलकर हिटलर और जर्मनी को परास्त किया। 

मेरी राय में कोरोना का हमला हिटलर के हमले से कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। इसके बावजूद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। कोरोना से लड़ने के बजाए वे एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। यह स्थिति किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। स्थिति इतनी गंभीर है कि उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद और विधायक, यहां तक कि एक केन्द्रीय मंत्री भी अपनी ही पार्टी के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की आलोचना कर रहे हैं। 

इस स्थिति पर शीघ्र विराम लगना चाहिए और राजनैतिक दलों के बीच सीजफायर (युद्ध विराम) लागू होना चाहिए। संयुक्त सरकार के स्थान पर सिर्फ कोरोना के संकट से निपटने के लिए संसद में जिन दलों का प्रतिनिधित्व है उनकी राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों के स्तर पर मिलीजुली कमेटी बनाई जाए। इस कमेटी का अध्यक्ष राष्ट्रपति को बनाया जाए। कमेटी का स्वरूप राष्ट्रीय एकता परिषद (National Integration Council) के समान होना चाहिए – एक अंतर के साथ। वह यह कि एकता परिषद का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता था और इस समिति का अध्यक्ष राष्ट्रपति होगा।  

(एलएस हरदेनिया सामाजिक चिंतक हैं।)  

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