विषकाल के आठ साल

आज़ादी के मंथन से संविधान नाम का अमृत निकला था। जिसे विकारी संघ की सरकार विष में बदल रही है। विगत आठ साल से मोदी सरकार चुन-चुन कर संविधान की जड़ों को ध्वस्त कर रही है। बहुमत को बहुलतावाद में बदल रही है। सरेआम संघ संविधान के धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों की जड़ें खोद रहा है। अयोध्या से लेकर ज्ञानवापी, कुतुबमीनार, ताजमहल होते हुए मथुरा तक ताल ठोक रहा है। मोदी मीडिया दिन रात संघ के विकार में डूबे इतिहासकार,वकील और धर्मान्धों को अपनी नकली अदालतों में बैठाकर पूरे देश में धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ विष घोल रहा है।

चीन का सीमा में घुस आना और सीमा पर गाँव बनाने जैसे देश की सुरक्षा सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दे पर मीडिया मोदी जी के दिए मन्त्र ‘कोई नहीं घुसा’ से मौन साधे हुए है और चीन पुल पर पुल बना रहा है। सीमाओं की सुरक्षा से लेकर महंगाई, बेरोजगारी आदि जनता के किसी भी मुद्दे को गोदी मीडिया नहीं उठाता बस दिन रात धर्मनिरपेक्षता की जड़ों को खोदने में लगा है। असली अदालतें भी सारा दिन इन्हीं नकली मामलों में उलझी हुई हैं। इस रोज़ रोज़ के तमाशे पर रोक लगाने की बजाए उसे और हवा दे रही हैं। धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार करने वाले बहुलतावादी धर्म के मामलों की पैरवी करने वाले वकील सरेआम गोदी मीडिया में आकर बोलते हैं हमें नहीं चाहिए यह संविधान। पर अफ़सोस कोई भी अदालत उनके इस संविधान विरोधी ज़हर का संज्ञान नहीं लेती और जनमानस में उनका परोसा जा रहा विष रोज़ घुल रहा है। आठ साल से मोदी सरकार का हिन्दू राष्ट्र बनाने की दिशा में यह सबसे बड़ा संविधान विरोधी षड्यंत्र है।

दूसरा सबसे बड़ा कारनामा है मोदी सरकार का विगत आठ सालों में वो है बड़ी निर्लज्जता से सभी आरोपों को खारिज़ करना। मोदी सरकार अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करती है। बड़ी अनैतिकता से भरी है मोदी सरकार। पेगासस का मामला हो या मंत्री के बेटे द्वारा किसानों को रौंदने का। सबको बड़ी बेशर्मी से नकारती है। मंत्री के बेटे को अदालत ने जेल भेजा है फिर भी मोदी जी बड़ी अनैतिकता से अपने मंत्रिमंडल में मंत्री को बनाए हुए हैं और साफ़ साफ़ अदालतों को धमका रहे हैं की एफआईआर में नामजद मंत्री के खिलाफ कोई फैसला नहीं देना। ऐसा करते हुए लोकप्रिय मोदी जी को अतिरिक्त आनंद की अनुभूति होती होगी कि वो जो चाहे कर सकते हैं। ‘चुनाव जीत कर बहुमत के दम से संविधान को कुचल सकते हैं’ के अनोखे अहसास से भरे मोदी जी हिन्दू राष्ट्र के राजा होने का दिव्य अनुभव ले रहे होंगे!

अटल जी का दिया हुआ नारा चाल,चरित्र और चेहरा कहीं गर्त में समा गया। आरोप लगने पर इस्तीफा देने का अमृतकाल अब एफआईआर में नामजद होने के बाद भी पद पर बने रहने के विषकाल में बदल गया है यही भारत में पनपता संविधान विरोधी हिन्दू राष्ट्र है।

मोदी सरकार की विगत आठ साल में तीसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है झूठ का बोलबाला और सच का मुंह काला। मोदी जी स्वयं झूठ बोलते हैं संसद से लेकर सड़क तक। उनके मंत्री अपने ट्वीट से जनता को अलग अलग आंकड़ों से भरमाते हैं। एक आंकड़ा दूसरे आंकड़े से मेल नहीं खाता। इन सब का सत्यापन किया जाए तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा।

मोदी जी स्वयं अपने भाषणों में डालर के मुकाबले गिरते रुपये का किस्सा चाव से सुनाते थे। रुपये की गिरती कीमत को राजनैतिक निकम्मापन बताते थे। भ्रष्टाचार को रूपये के गिरने का बड़ा कारण मानते थे। रुपये के गिरने को देश की प्रतिष्ठा से जोड़ते थे। आज तो रुपया सबसे निचले स्तर पर गिरा हुआ है। इसका अर्थ मोदी जी के अनुसार उनकी सरकार निकम्मी है। उनकी सरकार में भ्रष्टाचारी हैं। उनकी सरकार देश की प्रतिष्ठा गिरा रही है। उनकी पार्टी के पुराने बयान के अनुसार तो प्रधानमंत्री पद की गरिमा भी गंवा रही है।

बड़ी अजीब बात यह है कि इन बयानों के सारे वीडियो आज भी मौजूद हैं। सोशल मीडिया पर चल रहे हैं। जीरो टीआरपी वाले न्यूज़ एंकर भी अपने शो में उनको दिखाते रहते हैं पर सरेआम झूठ बोलने वाले मोदी जी और उनकी सरकार चुनाव पर चुनाव जीतकर झूठ का राज स्थापित करने में सफ़ल है। मोदी जी भी अपने पुराने वीडियो देख देख कर गौरान्वित महसूस करते होंगे।

अपने झूठ बोलने के हठ से मोदी जी ने सत्यमेव जयते को लम्बे वनवास पर भेज कर देश को सत्य से मुक्त कर दिया है। मोदी से प्रेरित होकर देश में झूठ को सच मानने वाली भीड़ लगातार बढ़ रही है। इस विषकाल में सत्य की कोई जगह नहीं है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर चुके मोदी जी अब रिजर्व बैंक को लूट कर बर्बाद कर रहे हैं। नोटबंदी से कंगाल हुए, दाने दाने को मोहताज़ लोगों को मोदी जी हिंदुत्व के विष से आत्मनिर्भर बना रहे हैं।

चौथा सबसे बड़ा कारनामा है मोदी सरकार का देश को कब्रिस्तान और श्मशान बनाना। मोदी जी ने अपने चुनावी भाषणों में कहा था वो देश को कब्रिस्तान और श्मशान बना देंगे और सच में उन्होंने यह कारनामा कर दिखाया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 47 लाख भारतीयों को मौत के घाट उतार दिया गाय। लोग मर रहे थे, हर घर मरघट बन गया था, एक-एक सांस के लिए लोग तरस रहे थे। अपने परिजनों को लेकर दर-दर भटक रहे थे। श्मशान में लम्बी कतार लग गई थी। चिता की लकड़ी नहीं मिल रही थी। कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गई। सामूहिक चिताओं और कब्रों में लोगों को जलाया और दफ़नाया गया।

मौत देश में तांडव मचाती रही और मोदी जी बंगाल में चुनावी सभाएं करते रहे। इतने लोगों के मरने के बाद भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। पता नहीं मोदी जी इतनी मौतों को कैसे पचा गए। लगता है विवेकहीन होना आज बड़ी योग्यता है वरना इतने बड़े नरसंहार के बाद व्यक्ति हिम्मत नहीं करे देशभक्ति और राष्ट्र प्रेम पर बात करने की। गंगा भी अपने दामन में लाशें लिए अपने स्वघोषित पुत्र को ढूंढती रहीं। ऐसा नरसंहार देश के इतिहास में कब हुआ? फिर भी मोदी जी चुनाव जीत रहे हैं क्योंकि यह विषकाल है जिसमें विचार मूर्छित है और विकार तांडव मचा रहा है। मनुष्यता को निगल रहा है।

अच्छे दिनों की मृग मरीचिका रोज़मर्रा के उपभोग के सामान पर मुस्कुरा रही है। सामूहिक ठगी का परचम चारों ओर लहरा रहा है। महंगाई डायन बिस्कुट से लेकर आटे, दाल और नमक को भी निगल गई। पर मोदी जी का छल देखिये पाकेट पर दाम वही पर वजन आधे से कम और ऊपर से एक्स्ट्रा लिखने का दुस्साहस। गज़ब है यह छल मोदी जी के होने से ही मुमकिन हो सकता है। लिस्ट बहुत लम्बी है।

इतिहास कभी-कभी अपना विध्वंस खुद लिखता है। जब वो ऐसा करता है तब विसंगतियाँ चरम पर होती हैं जैसे 80 करोड़ गरीब और कुपोषित जनता के लोकप्रिय प्रधानमंत्री का होना! विगत आठ साल से भारत अपना विध्वंस लिख रहा है। आजकल संविधान सम्मत भारत को खोद कर वर्णवादी हिन्दू राष्ट्र निकाला जा रहा है। उसका आवेग इतना भयावह है कि संविधान की रक्षक अदालतें उससे खौफज़दा हैं। अंधी भीड़ चुनावी जीत के माध्यम से भारत की विविधता और धर्मनिरपेक्षता को निगल रही हैं मोदी जी इसकी अगुवाई कर रहे हैं। हिन्दू राष्ट्र का सपना पालने वाला संघ मुस्कुरा रहा है। विडम्बना देखिये भारत की आज़ादी के अमृतकाल में संघ विगत आठ साल से विषकाल चला रहा है।

(मंजुल भारद्वाज टिप्पणीकार एवं रंगकर्मी हैं।)

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