हाथरस कांडः पीड़िता के बयान पर शुरू हुई गोदी मीडिया की कलाबाजी

डीएम हाथरस प्रवीण कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वो दिवंगत पीड़िता के पिता को बताते हैं कि बयान बदलने से तुम्हारी विश्वसनीयता कम होगी। अब सवाल है कि कौन सा बयान। किस बयान की बात डीएम हाथरस कर रहे थे, और उस बयान में था क्या? दरअसल 14 सितंबर को दलित लड़की के साथ इस घटना को अंजाम दिया गया था। घटना के पांच दिन बाद 19 सितंबर को पीड़िता का बयान लेने कार्यवाहक सीओ सादाबाद महिला आरक्षियों संग अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज गए तो युवती की हालत बहुत ठीक नहीं थी।

दलित और आर्थिक, शैक्षणिक रूप से बेहद पिछड़े परिवार से ताल्लुक़ रखने वाली पीड़िता गांव में रहती थी, जहां शहरी बोलचाल और टीवी की भाषा अभी नहीं पहुंची है। पीड़िता अनपढ़ थी और पहली बार पीड़िता का बयान लेने पहुंची हाथरस पुलिस ने उससे पूछा था कि तुम्हारे साथ ‘रेप’ भी हुआ है क्या? और पीड़िता लड़की ने असमंजस से पुलिस का मुंह देखा, दरअसल उसे रेप का मतलब ही नहीं पता था, उसने सिर हिला दिया था। थाना चंदपा में एफआईआर संख्य-136/2020 के अंतर्गत जान से मारने की कोशिश की धारा 307 और 3(2)5 एससी/एसटी अधिनियम के तहत पंजीकृत नामजद अभियुक्त संदीप को 19 सिंतबर को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया।

दूसरी बार 22 सितंबर को मौजूदा सीओ सादाबाद महिला आरक्षी संग पीड़िता का बयान लेने गए। दोबारा बयान लेने गए पुलिसकर्मी गांव के रहे होंगे या ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने का अनुभव रहा होगा। उन्होंने पीड़िता से पूछा कि क्या तुम्हारे साथ कुछ गलत भी हुआ है और लड़की ने कहा, “हां, मेरे साथ गलत हुआ है।”

इसके बाद पीड़िता का बयान दर्ज करके मुकदमे में सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376-(घ) की बढ़ोत्तरी कर तीन आरोपियों की तलाश तेज की गई। तीनों अभियुक्तों में से अभियुक्त लवकुश पुत्र रामवीर उपरोक्त को 23 सितंबर को गिरफ्तार किया गया। अभियुक्त रवि पुत्र अतर सिंह को 25 सितंबर को, तीसरे और अंतिम अभियुक्त रामू पुत्र राकेश को 26 सितंबर को गिरफ्तार कर के जेल भेजा गया। पीड़िता लड़की का तीसरा बयान 27 सितंबर को दर्ज किया गया और तीसरे बयान में भी पीड़िता ने कहा था कि उसके साथ गलत (गैंगरेप) हुआ है।

पीड़िता लड़की के तीन बयानों के अंतर को आधार बनाकर हो रहा खेल
गोदी मीडिया का कट्टर राष्ट्रवादी धड़ा यानी रिपब्लिक टीवी और जी न्यूज जैसे चैनल एक्टिव हो गए हैं। जो पीड़िता लड़की के तीनों बयानों के अंतर को आधार बनाकर सवर्णवादी एजेंडे का खेल खेलने में लग गए हैं। पीड़िता के बयानों के अंतर को आधार बनाकर रिपब्लिक और जी न्यूज जैसे चैनल हाथरस पीड़िता के परिवार द्वारा मीडिया में दिए बयान को कांग्रेस और विपक्षी दलों की साजिश साबित करने में लग गए हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार भाजपा की है। पुलिस भाजपा सरकार के आदेश पालन का करते हुए किसी नेता को गांव में फटकने तक नहीं दे रही है और आप कह रहे हो कि पीड़ित परिवार विपक्षी दलों के बहकावे में आकर बयान बदल रहा है।

पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट कराने का योगी आदित्यनाथ का आदेश
पूरी क्रूरता और शातिरपने के बावजूद हाथरस प्रशासन मामले को छुपा पाने में नाकाम हो गया। गांव में धारा 144 लगाकर नाकेबंदी करने, मीडिया और तमाम लोगों को गांव के बाहर रोक कर रखने, पीड़ित परिवार को उनके घर में रखने के बावजूद मीडिया ने लगातार हाथरस मामले में योगी सरकार और हाथरस प्रशासन को नंगा कर दिया है। योगी सरकार ने अब अपने आदेश में पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट कराने का आदेश जारी किया है। योगी सरकार के इस आदेश को आरोपियों के पक्ष में लामबंद हुए सवर्णों के दबाव के रूप में देखा जा रहा है।

कांवड़ियों पर फूल बरसाने वाले एडीजी ने रेप के आरोप को नकारा
वहीं योगी आदित्यनाथ के कांवड़ियों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाकर एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) बने प्रशांत कुमार ने भी मथुरा लैब के आगरा विधि विज्ञान प्रयोगशाला की जांच का हवाला देकर कहा है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि मामले को तूल देकर माहौल खराब करने वालों के खिलाफ़ कार्रवाई होगी।

आरोपियों के पक्ष में लामबंद हुआ सवर्ण समाज
वहीं पिछले एक सप्ताह से हाथरस गैंग रेप मामले में आरोपियों के समर्थन में सवर्ण समुदाय के लोग लामबंद हो रहे हैं। कल 2 अक्टूबर शुक्रवार को बूलगढ़ी गांव के पास ही स्थित बघना गांव में ठाकुर और दूसरे सवर्ण समुदाय की लोगों ने पंचायत करके सरकार से मामले की सीबीआई जांच और पीड़ित परजनों के नार्को टेस्ट कराने की मांग की थी। साथ ही पंचायत में आरोपियों की रिहाई के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए अभियान चलाने की रणनीति अपनाने का फैसला लिया गया। पंचायत में बूलगढ़ी और आसपास के करीब दर्जन भर गांव के सवर्ण समुदाय के लोग शामिल हुए। पंचायत में कहा गया कि इस घटना की आड़ में सवर्णों को निशाना बनाया जा रहा है और सवर्ण समाज के खिलाफ दलितों का आक्रोश भड़काया जा रहा है, जबकि मेडिकल रिपोर्ट में गैंग रेप की पुष्टि ही नहीं हुई है तब आरोपियों को किस आधार पर निशाना बनाया गया है।

मीडिया को गांव में न घुसने देने का फरमान
सवर्णों की पंचायत में एकराय इस पर भी बनी कि पीड़िता के गांव में किसी बाहरी को नहीं घुसने दिया जाएगा। ठाकुर समाज को लग रहा है कि मीडिया ने सिर्फ पीड़ित परिवार का पक्ष दिखाया है और आरोपियों के परिजनों का पक्ष नज़रअंदाज़ किया है।वहीं ठाकुर समाज से संबंध रखने वाले भाजपा के पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान के बयान ने मामले को नया रंग देते हुए कहा है कि पीड़िता की मां और भाई ने ही अपनी लड़की को मारा है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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