कमाई के लालच में यात्रियों के जीवन से खेल रहे उड़नखटोले

अगर केदारनाथ और उत्तरकाशी के हेलीकॉप्टर हादसों से सीख ली होती और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की तीन महीने पहले की चेतावनी को महत्व दिया गया होता तो आज केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसा न होता और ना ही 7 कीमती जानें चलीं जातीं। डीजीसीए ने गत अगस्त में ही सुरक्षा नियमों की अवहेलना पर पांच हेली कंपनियों पर जुर्माना ठोकने के साथ ही दो कंपनियों के पायलटों पर 3 माह की रोक लगा दी थी। बेकाबू कंपनियों के आगे राज्य की मशीनरी भी नतमस्तक हो गयी थी। इस प्रकार इस साल की चार धाम यात्रा में अब तक मरने वाले यात्रियों की संख्या 276 हो गयी है। सबसे अधिक 146 यात्रियों की जानें केदारनाथ में ही गयी हैं।

केदारनाथ क्षेत्र में यह पहला हेलीकॉप्टर हादसा नहीं है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि कुछ ही दिनों के अन्दर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केदारनाथ यात्रा होने वाली है। इसी साल 31 मई को जब केदारनाथ में लैंडिंग के समय एक हेलीकाप्टर के अनियंत्रित हो जाने से भीषण दुर्घटना होने से बाल-बाल बची थी तो डीजीसीए ने तत्काल एक टीम भेज कर 7 और 8 जून को केदारघाटी में हेली सेवाओं द्वारा सुरक्षा मानकों की अवहेलना की शिकायतों की जांच कराई थी। इस जांच में गंभीर अनियमितताएं पायी जाने पर डीजीसीए ने विस्तृत जांच का आदेश दिया था।

31 मई को थम्पी कंपनी के हेलीकॉप्टर ने जब अनियंत्रित स्थिति में केदारनाथ हेलीपैड पर हार्ड लैंडिंग की थी तो हेलीकाप्टर 270 डिग्री घूम गया था। उस स्थिति में अपनी बारी का इंतजार कर रहे सैकड़ों यात्रियों की जानें भी खतरे में पड़ गयीं थीं। डीजीसी की प्रारंभिक जांच के बाद जब 13 से लेकर 16 जून तक सुरक्षा मानकों का ऑडिट हुआ तो पाया गया कि पांच कंपनियों ने उड़ानों का सही और पूरा रिकार्ड ही मेंटेन नहीं कर रखा था। वह इसलिये कि ये कंपनियां अधिक से अधिक धन कमाने के लिये सुरक्षा मानकों की चिन्ता किये बगैर बेतहासा ढंग से उड़ानें भर रहीं थीं। दो अन्य कंपनियों के रिकार्ड तो मिले मगर उनके पायलट सुरक्षा दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे।

वहां पर कोआर्डिनेशन के लिये गढ़वाल मंडल विकास निगम का प्रतिनिधि भी होता है और लोकल एसडीएम का ओवरऑल सुपरविजन होता है। लेकिन अज्ञात कारणों से हेली कंपनियों को मनमानी की छूट दे दी जाती है। चैपर की बुकिंग में टिकट ब्लैक होने की शिकायतें भी आ रही थीं। महीने भर की एडवांस बुकिंग होने पर स्थानीय प्रशासन और सत्ताधारी अपनों-अपनों को पहले टिकट दिला रहे थे।

इस घोर लापरवाही पर डीजीसीए ने पांच कंपनियों पर 5-5 लाख का जुर्माना ठोकने के साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिये थे। जबकि दो अन्य कंपनियों के पायलटों के लाइसेंस तीन माह के लिये निलंबित कर दिये थे। बावजूद इसके फिर बेहद खराब मौसम में भी आर्यन कंपनी के पायलट ने केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिये उड़ान भर दी। जिस तरह सीडीएस जनरल बिपिन रावत का हेलीकापटर कोहरे के कारण विजिविलिटी के अभाव में पहाड़ी से टकरा गया था उसी प्रकार मंगलवार को हेलीकाप्टर केदारनाथ हेलीपैड से उड़ान भरने के पांच मिनट के अंदर ही खराब मौसम के कारण पहाड़ी से टकरा कर क्रैश हो गया। उस तंग घाटी में मौसम सदैव ही अनिश्चित और विकट रहता है। बरसात में तो खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। इस साल मानसून समय से बहुत बाद 14 अक्टूबर को लौटा और उसके साथ ही वहां बर्फबारी भी शुरू हो गयी। लेकिन हेली कंपनियां हर रोज की लाखों रुपये की कमाई छोड़ने का तैयार नहीं थीं। एक यात्री से आने जाने के लगभग 8 हजार रुपये लिये जाते हैं और एक समय में 6 यात्री बिठाये जाते हैं।

इस बार अब तक डेढ़ लाख यात्री हेलीकाप्टरों से केदारनाथ पहुंच चुके हैं। इस तरह देखा जाय तो 3 महीने में ही हेली कंपनियां 120 करोड़ रुपये कमा चुकी हैं। केदारनाथ में हेलीसेवा दे रही कंपनियों की शिकायतें काफी पहले से आ रही थीं। इससे पहले भी डीजीसीए ने नीची उड़ाने भरने पर हेली कंपनियों को आगाह किया था। इस साल अब तक मरने वाले यात्रियों की संख्या 276 हो गयी है। सबसे अधिक 146 यात्रियों की जानें केदारनाथ में ही गयी हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत की रिपोर्ट।)

जयसिंह रावत
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