तो क्या लिस्टिंग की नई व्यवस्था को लेकर जजों के बीच मतभेद है!

भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने मामलों को सूचीबद्ध करने की नई व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच मतभेद होने की खबरों से इनकार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामलों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने बुधवार को कहा था कि नई व्यवस्था से सुनवाई के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है। इसी के बाद गुरुवार को चीफ जस्टिस की टिप्पणी सामने आई है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से गुरुवार को हुए सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ललित ने कहा कि जो कुछ कहा जा रहा है, वह गलत है। सभी जजों में एक राय है। मामलों को सूचीबद्ध करने से लेकर बाकी चीजों तक कई बातें कही गई हैं। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि हमने मामलों को सूचीबद्ध करने का नया तरीका शुरू किया है। स्वाभाविक तौर पर इसमें कुछ दिक्कतें आनी थीं, लेकिन जो कुछ खबरों में कहा गया है, वह सही नहीं है।

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने बुधवार को कहा था कि मामलों को सूचीबद्ध करने की नई व्यवस्था से सुनवाई के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल रहा। ऐसा इसलिए है क्योंकि भोजनावकाश के बाद होने वाले सत्र में कई मामले सुनवाई के लिए सूचीबद्ध रहते हैं।

चीफ जस्टिस ललित ने कहा कि मामलों को सूचीबद्ध करने की नई व्यवस्था 29 अगस्त को लागू हुई थी और इसके बाद 14 सितंबर तक नए 1135 मुकदमे दायर हुए, लेकिन 5200 मामलों का निपटारा कर दिया गया। यह सब सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों और वकीलों की कोशिशों की वजह से संभव हो पाया। कई मुकदमे लंबित थे और अर्थहीन होते जा रहे थे। इसी वजह से हमें उनका निपटारा करना था और नतीजा आपके सामने है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि यह भी सही है कि इस बदलाव के बाद ऐसे कुछ उदाहरण सामने आए, जब मुकदमों को ऐन वक्त पर दायर किया गया। इससे जजों और वकीलों पर काम का अत्यधिक दबाव भी पड़ा लेकिन मैं अपने सभी न्यायाधीश भाई-बहनों का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुस्कुराहट के साथ मुकदमों को सुना। यही वजह है कि हम 5200 मुकदमों का निपटारा कर सके और लंबित मुकदमों की संख्या को चार हजार तक घटा सके। यह एक अच्छी शुरुआत है।

पदभार ग्रहण करने के बाद चीफ जस्टिस ललित ने जो शुरुआती बदलाव किए, उनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव मुकदमों को सूचीबद्ध करने की व्यवस्था से जुड़ा था। नई व्यवस्था लागू होने के बाद मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को शीर्ष अदालत सुबह साढ़े दस बजे से दोपहर एक बजे के बीच नियमित यानी पुराने मामलों पर सुनवाई कर रही है। वहीं, भोजनावकाश के बाद यानी दोपहर दो बजे से चार बजे के बीच नए या ऐसे मुकदमों पर सुनवाई कर रही है, जिनमें नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

पहले व्यवस्था कुछ इस तरह थी कि नए मामले पहले सुने जाते थे और दोपहर बाद नियमित सुनवाई होती थी। अब सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 जज मुकदमों की सुनवाई करते हैं। इसके लिए दो-दो जजों की पीठ का ही गठन किया जाता है। हर पीठ औसतन 60 से ज्यादा मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल होती हैं।

27 अगस्त को 49वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ले चुके यूयू ललित ने यह भी कहा कि वकील बनना सम्मान की बात थी। आज मैं जो कुछ हूं, इस पेशे की वजह से हूं। मैं इस पेशे के अलावा कुछ और बनने के बारे में नहीं सोच सकता था। इस बार एसोसिएशन का सदस्य होना भी सम्मान की बात थी। सुप्रीम कोर्ट का जज बनना हमेशा से एक सपना था।

दरअसल उच्चतम न्यायालय की जस्टिस कौल की पीठ ने वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए मामलों को सूचीबद्ध करने के वास्ते मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की ओर से पेश प्रणाली को लेकर अपने एक न्यायिक आदेश में नाखुशी जाहिर की थी।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय ओका की पीठ ने बाकायदा अपने ऑर्डर में टिप्पणी कर दी। उन्होंने आदेश में लिखा कि मामलों पर गौर करने के लिए जजों को पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने इसके लिए नई लिस्टिंग प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है। बड़ी बात यह है कि इस तरह का वाकया सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में बिरले ही सामने आता है।

किसी न्यायिक आदेश में इस तरह की नाराजगी जाहिर करने का यह अनोखा उदाहरण है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक आपराधिक मामले में जारी आदेश में कहा था कि मामलों को सूचीबद्ध करने की नयी प्रणाली मौजूदा मामले की तरह के मुकदमों की सुनवाई के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पा रही है, क्योंकि ‘भोजनावकाश के बाद के सत्र’ में कई मामले सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।

जस्टिस कौल वरीयता क्रम में उच्चतम न्यायालय के तीसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश 13 सितम्बर को जारी किया, जिसे आज की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। नयी प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के न्यायाधीश दो अलग-अलग पालियों में कार्य कर रहे हैं. नयी प्रणाली के तहत प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 न्यायाधीश मुकदमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है। प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नयी जनहित याचिकाएं शामिल हैं।

27 अगस्त को प्रधान न्यायाधीश के पदभार ग्रहण करने के दिन से अभी तक नयी प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत कुल 5000 से अधिक मामलों का निपटारा कर चुकी है।मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण के दिन से लेकर 13 कार्यदिवसों में शीर्ष अदालत ने 3500 मिश्रित मामलों, 250 से अधिक नियमित और 1200 स्थानांतरण याचिकाओं का निपटारा किया है। इस सप्ताह के प्रारम्भ में एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगले सप्ताह से यह निर्णय लिया गया है कि वैसे मामलों की एक ही समेकित सूची होगी, जिनमें नोटिस जारी हो चुके हैं।यह सूची एक पीठ के लिए पूरे हफ्ते जारी रहेगी।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने जो नई प्रणाली लागू की है उसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी 30 जजों के लिए दो शिफ्ट बना दिए गए हैं। इस नई व्यवस्था के तहत सोमवार से शुक्रवार तक वो नए-नए मामलों की सुनवाई के लिए 15 अलग-अलग पीठों में बैठते हैं और हर दिन 60 मामलों की सुनवाई करते हैं। तीन-तीन जजों की पीठ में सभी जजों ने मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1 बजे की पहली शिफ्ट में पुराने मामलों की सुनवाई की थी। उन दिनों दोपहर बाद की दूसरी शिफ्ट में दो-दो जजों की पीठ को 30 केस दिए गए जिनकी सुनवाई दो घंटे में करनी थी। यानी, औसतन 4 मिनट में एक केस का निपटारा कर देना था। हालांकि, चीफ जस्टिस ने मंगलवार से 30 की जगह केसों की संख्या घटाकर 20 कर दी थी।

जजों के बीच कानाफूसी पिछले हफ्ते ही शुरू हो गई थी। शुक्रवार को दो जजों की एक पीठ ने सुनवाई टालने से इनकार कर दिया था। जजों ने कहा था कि उन्होंने देर शाम तक काम करके पूरी केस फाइल पढ़ी और वकील दूसरे दिन भी इसे पढ़ने की अपेक्षा नहीं कर सकते। लेकिन, दूसरे केस में इसी पीठ को सुनवाई टालनी पड़ी। तब पीठ ने कहा, ‘हमें केस फाइल आखिरी वक्त में मिली। इस कारण हमें इसे पढ़ने का वक्त ही नहीं मिल पाया। चूंकि ‘लिस्ट ऑफ बिजनस’ दिन में देरी से प्रकाशित हुई थी जिस कारण रजिस्ट्री को जजों के घर पर केस फाइल भेजने में देरी हो गई।

दो जजों की दूसरी पीठ ने शुक्रवार को एक वकील मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख की बार-बार मांग रहा था, लेकिन जजों ने यह कहते हुए उसकी अपील ठुकरा दी कि नई लिस्टिंग प्रणाली के बाद तय तारीख पर सुनवाई करना दुभर हो गया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
Published by
जेपी सिंह