बहुजन राजनीति को अलविदा कहने का वक्त

(स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने 29 सितंबर को सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के जिला कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पेश है उनका पूरा संबोधन- संपादक)

90 के दशक से शुरू हुई बहुजन राजनीति अपने चरित्र में पूंजीवादी-सामंती रही है। इसे अब अलविदा कह देने की जरूरत है। इस राजनीति ने देशद्रोही, जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी नई आर्थिक-औद्योगिक नीतियों का समर्थन किया। जहां इसकी सरकारें रही हैं वह अपनी पूर्ववर्ती सरकारों की ही नीतियों का अनुसरण करती रही हैं। इसने भी देश में आरएसएस-भाजपा की अधिनायकवादी राजनीति को बढ़ने में मदद की है। यह सामाजिक न्याय का पूंजीवादी-सामंती माडल है जिसने पिछड़े बर्बर पूंजीवादी-सामंती व्यवस्था पर चोट करने की जगह कुछ एक जाति को ही अपने प्रहार का निशाना बनाया और अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया।

दरअसल भारत में सामाजिक न्याय की जड़ें गहरी हैं। लोकायत परम्परा की वैज्ञानिक, श्रमण धर्म का बौद्धिक और ब्राह्मण-भक्ति आंदोलन के मानवतावाद की ध्वनि इसमें है। जरूरत आज है सामाजिक न्याय के मजदूर- किसान मॉडल को खड़ा करने की जो वर्गीय संतुलन को जनपक्षीय बनाने और सबको समता, बराबरी और सामाजिक न्याय की गारंटी करे।

सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली उत्तर प्रदेश का विशिष्ट इलाका है जो संघर्ष और जनांदोलन का विभिन्न स्वरूप अख्तियार करता रहा है। इसे प्रदेश की राजनीति में एक लोकतांत्रिक आंदोलन के क्षेत्र के बतौर खड़ा करने की जरूरत है। खनिज सम्पदा से समृद्ध आधुनिक औद्योगिक ईकाइयों वाले इस क्षेत्र में आज भी हल-बैल से खेती होती है, छोटी जोतें पसरी हुई हैं, औद्योगिक ईकाइयों में काम करने वाले ठेका मजदूरों को महीनों वेतन नहीं मिलता है और जो वेतन मिलता है वह उनकी सम्मानजनक जिंदगी के लिए बेहद कम है। जमीन का सवाल हल न होने से यहां उभ्भा काण्ड़ जैसी बर्बर घटना होती है।

यहां जरूरत है पुश्तैनी जमीनों पर बसे लोगों को जमीन का अधिकार मिले, वनाधिकार कानून को लागू किया जाए और स्वास्थ्य, शिक्षा, शुद्ध पेयजल, रोजगार की गारंटी की जाए, पर्यावरण की रक्षा की जाए। छोटी जोतों को सहकारीकरण की तरफ ले जाने के लिए सरकार को विशेष अनुदान की व्यवस्था करनी चाहिए, कृषि उपज की सरकारी खरीद और किसानों की कर्ज माफी की गारंटी व बेहद कम ब्याज पर कर्जे की व्यवस्था सहकारी बैंकों के माध्यम से की जानी चाहिए। 

जुलाई, अगस्त, सितम्बर महीने में स्वास्थ्य के सम्बंध यहां जो हालात दिख रहा है वह बेहद चिंताजनक है, गांव के गांव बीमारियों की चपेट में हैं। यहां फ्लोरोसिस जैसी लाइलाज बीमारी से लोग ग्रस्त हैं जिससे उनकी हड्डियां तक गल जाती हैं। प्रशासन द्वारा इसके रोकथाम के लिए की जाने वाली कार्यवाहियां पूरी तौर पर अपर्याप्त हैं। प्रशासन को आदिवासियों, वनाश्रितों व नागरिकों के स्वास्थ्य सम्बंधी नियमित मेडिकल बुलेटिन जारी करनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश शासन को सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के नौगढ़, चकिया क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कि लोगों को बीमारियों से बचाया जा सके, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जा सके और आवागमन और शिक्षा की गारंटी हो सके। बड़े पैमाने पर मनरेगा के तहत रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए और शहरी क्षेत्र के लोगों के लिए भी रोजगार के विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।

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