लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह

हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह आजकल लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। पिछले 6 महीने से जालंधर और लुधियाना के प्रतिष्ठित अस्पतालों में इलाज कराने के बाद वह पिछले दिनों करीब 20 दिनों तक जालंधर मेडिकल कॉलेज के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती रहे। कुछ आराम होने के बाद उन्हें अस्पताल से घर शिफ्ट कर दिया गया है,  लेकिन उनकी हालत में बहुत सुधार नहीं है।

बताते हैं कि उनका लिवर 80% तक काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से उन्हें काफी परेशानी है। आगे का इलाज कराने के लिए उन्होंने दिल्ली एम्स में आवेदन कर रखा है। आवेदन किए हुए उन्हें 15 दिनों से अधिक हो चुके हैं,  लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है। यदि एम्स से जवाब मिलने में देरी होती है तो यह उनके सेहत के लिए भारी पड़ सकता है।

बता दें कि अमरीक सिंह हिंदी के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक हैं। लगभग हर विषय पर उनकी गहरी पकड़ है और इस बारे में वह बहुत ही शिद्दत से अपनी कलम चलाते हैं। अमरीक सिंह न केवल वरिष्ठ पत्रकार हैं बल्कि वह साहित्य के गहन अध्येता भी हैं। हिंदी और पंजाबी का कोई ऐसा लेखक नहीं है, जिसे उन्होंने नहीं पढ़ा होगा। यही नहीं उन्होंने हिंदी और पंजाबी के कई लेखकों की संपूर्ण रचनाओं को पढ़ रखा है। उनका यह गहन अध्ययन उनके लेखन में भी साफ झलकता है।

लॉकडाउन के समय उन्होंने विभिन्न पोर्टलों पर न्यूज़ स्टोरी लिखी,  जो काफी चर्चित रहीं। अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद इस पर उन्होंने काफी रिपोर्ट्स और रिपोतार्ज लिखे, जो नेशनल हेराल्ड, नवजीवन, जनचौक, सत्य hindi.com आदि वेबसाइटों और अखबारों में प्रकाशित हुईं। तालाबंदी और मजदूरों के पलायन पर भी उन्होंने कई मार्मिक रिपोर्ट्स लिखीं। अपने इस लेखन से हुई करीब 5 लाख की आय को वह अब तक अपने इलाज पर खर्च कर चुके हैं। आगे के महंगे इलाज के लिए उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। ऐसी स्थिति में भी उन्होंने सरकारी मदद लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा अपनी कलम व्यवस्था के खिलाफ चलाई है। अब ऐसी व्यवस्था से आर्थिक मदद नहीं ले सकता। डाक्टरों का कहना कि उन्हें ठीक होने में छह माह लग सकते हैं। इसी बीच उनकी यूरोलॉजी से संबंधित बीमारी का ऑपरेशन भी होना है। यह ऑपरेशन चंडीगढ़ या लुधियाना के किसी अस्पताल में हो सकता है।

अमरीक सिंह हमेशा व्यवस्था के खिलाफ और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लिखते रहे हैं। इसलिए उन्होंने सरकारी मदद से इलाज कराने से इंकार कर दिया है। फिलहाल उनके पास जो भी बचत थी वह इलाज पर खत्म हो चुकी है।

हालांकि वह साधन संपन्न परिवार से आते हैं लेकिन उन्होंने अपने बीमार होने की बात घर वालों को भी नहीं बताई। उन्होंने अपनी बीमारी की जानकारी किसी दोस्त को भी नहीं दी। यह बात उन्हीं को पता चली जो लगातार उनके संपर्क में थे। और इनमें से कई लोगों ने उनकी आर्थिक मदद की है।

डाक्टरों का कहना है कि उनकी यह बीमारी वंशानुगत है। पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित हो जाती है। अमरीक सिंह हिंदी के बहुत वरिष्ठ पत्रकार हैं। मूल रूप से हरियाणा के सिरसा के रहने वाले अमरीक सिंह इस समय पंजाब के कपूरथला में रह रहे हैं। लेकिन उनका अधिकतर समय जालंधर और लुधियाना में बीतता रहा है। शुरुआत से ही वह स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर अपनी लेखनी का लोहा मनवाते रहे हैं। बीच-बीच में उन्होंने अमर उजाला और दैनिक जागरण के पंजाब के जालंधर संस्करण में नौकरी भी की है। लेकिन किसी दायरे में बंध कर काम करना उन्हें कभी पसंद नहीं आया। इसी कारण उन्हें नौकरी भी कभी रास नहीं आयी। स्वतंत्र विचाधारा ही नहीं आजाद तबियत के अमरीक सिंह को संकीर्णता कतई पसंद नहीं है।

वह लगातार पत्र-पत्रिकाओं, अखबार और पोर्टल के लिए विभिन्न विषयों पर रिपोर्ट और रिपोतार्ज लिखते रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने आम लोगों की आवाज को बहुत ही शिद्दत के साथ उठाया। बीमारी की वजह से आम लोगों के हक में उठने वाली यह कलम आजकल खामोश है। लोग उनकी लेखनी की कमी को महसूस कर रहे हैं। उनके शुभचिंतक और उनके सुधी पाठक उनके स्वस्थ होने की दुआ और कामना कर रहे हैं । उन्हें इंतजार है कि आम आदमी के हक में उठने वाली कलम जल्दी से स्वस्थ हो और पुनः अपने लेखन के माध्यम से आम आदमी के हक को सरकार और जनता के सामने लाए। 

अमरीक सिंह किसान आंदोलन पर सबसे पहले कलम चलाने वाले पत्रकारों में से हैं। उन्होंने प्रस्तावित बिजली सुधार बिल और पराली से संबंधित बिल के बारे में सबसे पहले कलम चलाई। इसी तरह उन्होंने कृषि कानूनों पर भी बहुत तीखे और तल्ख अंदाज में लेख और रिपोर्ट लिखी हैं, जो कि काफी चर्चित रही हैं। आज जबकि किसान आंदोलन चरम पर है तो वह बीमार हैं और इस वजह से वह कुछ लिख नहीं पा रहे हैं। इससे जहां उनके खुद के अंदर न लिख पाने की बेचैनी है वहीं उनके पाठकों को उनका लिखा हुआ नहीं मिल पाने से काफी निराशा है। ऐसे सभी सुधी पाठक उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।

(ओम प्रकाश तिवारी वरिष्ठ पत्रकार हैं और अमरीक सिंह के मित्र हैं।)

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