केजरीवाल सरकार ने अतिथि शिक्षकों को कोरोना योद्धा के तौर पर इस्तेमाल कर सड़क पर छोड़ दिया: अनिल चौधरी

“अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के झूठे वादे के बाद अब हजारों की संख्या में सत्र-दर-सत्र हटा रहे केजरीवाल” – उपरोक्त आरोप दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने लगाया है दिल्ली की आम आदमी सरकार पर। 

चौ. अनिल कुमार ने दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार द्वारा मिलीभगत से निगमों व दिल्ली सरकार के अंदर काम करने वाले हजारों अतिथि शिक्षकों की सेवा को विस्तार करने की जगह खत्म किए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए आम आदमी पार्टी व भाजपा की नीतियों के बारे में कहा है कि “निगम व दिल्ली सरकार के विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है इसे भरने की दिशा में दोनों पार्टियों ने कोई काम नहीं किया, महामारी के दौरान जिन अतिथि शिक्षक कोरोना योद्धाओं ने आगे बढ़कर दिल्ली की सेवा की उनके सेवा को फ़ंड का बहाना बना कर खत्म कर दिया।” 

प्रेस कांफ्रेंस में चौ. अनिल कुमार ने कहा कि “समग्र शिक्षा के तहत दिल्ली के स्कूलों में कुल 2766 शिक्षक कार्यरत थे, इसमें 1673 दिल्ली सरकार के स्कूलों में, 1093 शिक्षक पूर्वी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत थे, जिनकी सेवा जनवरी-2021 में खत्म हो गई। उनमें से मात्र 1001 शिक्षकों को दिल्ली सरकार ने बतौर अतिथि शिक्षक सेवा का विस्तार किया  है,  लेकिन बाकी 1765 शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया। जिनकी सेवाओं को विस्तार किया है सभी टीजीटी के शिक्षक हैं, इन्हें भी 31 मार्च तक ही सेवाओं का विस्तार दिया गया है,  प्राइमरी शिक्षकों (पीआरटी) को फिलहाल नियुक्त नहीं किया गया है।”

 उन्होंने आगे कहा कि “समग्र शिक्षा के तहत शिक्षकों के वेतन का 60% खर्च केंद्र सरकार व 40% खर्च दिल्ली सरकार वहन करती है। प्रोग्राम अप्रूवल बोर्ड की मई 2020 की बैठक में ही दोनों सरकारों ने 6 महीने काम करा कर हटाने का निर्णय लिया था, ताकि कोरोना महामारी में इनकी सेवा ली जा सके। जब जनवरी के अंतिम सप्ताह में मामले का खुलासा हुआ तो मामले की लीपापोती के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को चिट्ठी लिख दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने मामले की लीपापोती की व अतिथि शिक्षकों को नहीं हटाये जाने की बात कही, दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा 11 फरवरी को जारी आदेश से यह खुलासा होता है कि 1765 अतिथि शिक्षकों को नियुक्त ही नहीं किया गया। “

चौ. अनिल कुमार ने दिल्ली  के स्कूलों की खस्ताहाली पर सवाल उठाते हुए कहा -” निगम व दिल्ली सरकार के विद्यालयों की हालत दयनीय हो चुकी है छात्रों के भविष्य के साथ तो खिलवाड़ हो ही रहा शिक्षकों का भविष्य भी दांव पर लगा है।  केजरीवाल सरकार ने अपने घोषणापत्र में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का वादा किया था, नियमित करना तो दूर अब हजारों की संख्या में सत्र दर सत्र शिक्षकों को हटा रहे हैं। दिल्ली सरकार के विद्यालयों में खाली पड़े लगभग 45% पदों को नहीं भरा जा रहा हैं, दिल्ली के निजी विद्यालयों में छात्रों की बढ़ती संख्या केजरीवाल सरकार के विज्ञापन “शिक्षा मॉडल” की पोल खोल दी है। “

केजरीवाल सरकार पर दिल्ली स्कूलों के अतिथि शिक्षकों को धोखा देकर उनका शोषण करने का आरोप लगाते चौ. अनिल कुमार ने बताया कि-” केंद्र की मोदी सरकार व दिल्ली की केजरीवाल सरकार  की नीतियों के कारण जनता पहले से ही भयंकर बेरोजगारी के दौर से गुजर रही है, नई नौकरियाँ तो दूर लाखों की संख्या में लोगों के रोजगार छिन चुके हैं तथा कोरोना महामारी के कारण बेरोजगारी अपनी  चरम सीमा पर पहुँच गई है। ऐसे में कोरोना योद्धा के रूप में अपनी जान की परवाह किए बगैर दिल्ली की सेवा करने वाले अतिथि शिक्षकों को सेवा से अलग कर देना घोर अमानवीय कदम है, दिल्ली सरकार व नगर निगमों को इस कुकृत्य से बचना चाहिए। सरकारों के इस कदम से हजारों परिवार सड़क पर आ चुके हैं। दिल्ली कांग्रेस सभी शिक्षकों को तुरंत प्रभाव से सेवा में वापस लेने की माँग करती है। “

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