अडानी एलआईसी का भी 16 हजार करोड़ ले डूबे

अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी समूह के आर्थिक साम्राज्य को हिलाकर रख दिया है। समूह की कंपनियों के शेयर गिरावट पर हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट व उसका शेयर बाजार पर व्यापक बुरा प्रभाव काफी चर्चाओं में है। केंद्र सरकार चुप है जबकि देश के करोड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई दांव पर लगी है।

अडानी समूह के शेयरों में शुक्रवार को एक ही दिन में कुल मार्केट कैपिटल में 3.37 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जीवन बीमा निगम (एलआईसी), अडानी समूह की पांच सबसे बड़ी कंपनियों में सबसे बड़ा नॉन प्रमोटर घरेलू शेयरधारक है। अडानी समूह की कंपनियों में एलआईसी (LIC) के होल्डिंग के मूल्य में गिरावट के कारण 16,627 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

दरअसल, अडानी समूह की कंपनियों की एलआईसी की होल्डिंग का मूल्य मंगलवार को 72,193 करोड़ रुपये से घटकर शुक्रवार को 55,565 करोड़ रुपये हो गया, केवल दो दिनों में 22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है।

इस बीच एलआईसी के शेयर की कीमत भी पिछले दो दिनों में 5.3 प्रतिशत गिर गयी। जबकि अडानी टोटल गैस के शेयर जहां सरकार के स्वामित्व वाली एलआईसी की 5.96 प्रतिशत हिस्सेदारी है, शुक्रवार को 20 प्रतिशत गिर गया; अडानी एंटरप्राइजेज (एलआईसी की हिस्सेदारी 4.23%) के शेयर दिन के दौरान 18.5 प्रतिशत गिर गए और अडानी ट्रांसमिशन (एलआईसी की 3.65%) की हिस्सेदारी 19.99 प्रतिशत गिर गई।

अडानी पोर्ट्स (एलआईसी की हिस्सेदारी 9.1 फीसदी) 5 फीसदी गिर गई और अडानी ग्रीन एनर्जी (एलआईसी की 1.28 फीसदी हिस्सेदारी) भी दिन के दौरान 20 फीसदी गिर गई।

समूह की अन्य कंपनियों में भी शुक्रवार को तेज गिरावट देखी गई। अडानी समूह ने जहां शुक्रवार को मार्केट कैपिटल में 3.37 लाख करोड़ रुपये गंवाए, वहीं पिछले दो कारोबारी सत्रों में मार्केट में उसे 4.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में तीसरे स्थान पर काबिज गौतम अडानी शुक्रवार को सातवें स्थान पर खिसक गए।

इस दौरान अडानी समूह के प्रमोटरों के अलावा एलआईसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में गिरावट के दौरान ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारतीय जीवन बीमा निगम ने  पिछली नौ तिमाहियों में चार में अपनी शेयरधारिता में तेजी से वृद्धि की है। अडानी समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों में से और उनमें से कम से कम एक में लगभग छह गुना। (अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी को बाहर कर दिया गया है क्योंकि उन्हें 2022 में अडानी समूह द्वारा अधिग्रहित किया गया था)।

1 दिसंबर, 2022 को द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि कैसे एलआईसी ने अडानी समूह की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी लगातार बढ़ाई है। सितंबर 2020 से दिसंबर 2022 के बीच LIC ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई-

• प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की 1 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी बढ़कर 4.23 प्रतिशत हो गई।

• अडानी टोटल गैस में 1 प्रतिशत से कम की हिस्सेदारी बढ़कर 5.96 प्रतिशत हो गया।

• अडानी ट्रांसमिशन में एलआईसी की शेयरधारिता 2.42 प्रतिशत से बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई।

• अडानी ग्रीन एनर्जी में यह 1 फीसदी से कम शेयर बढ़कर 1.28 फीसदी हो गया है।

• अडानी पोर्ट्स एकमात्र अपवाद है जहां एलआईसी की होल्डिंग सितंबर 2022 तक 9.61 प्रतिशत से मामूली गिरावट के साथ दिसंबर 2022 में 9.14 प्रतिशत हो गई है और दो अन्य कंपनियां अडानी पावर और अडानी विल्मर में यह हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से कम है।

दरअसल, अडानी समूह के शेयरों में अपनी हिस्सेदारी में महत्वपूर्ण उछाल के बाद अडानी समूह की कंपनियों में एलआईसी की हिस्सेदारी सितंबर 2020 तक 10 गुना बढ़ गई थी। मंगलवार तक इसकी कीमत 72,193 करोड़ रुपये था। जो शुक्रवार को गिरकर 55,565 करोड़ रुपए पर आ गया।

गौरतलब है कि जब अडानी समूह की कंपनियों में निवेश करने की बात आती है तो समूह में पूरे बीमा उद्योग का 2 फीसदी निवेश है जबकि एलआईसी का निवेश 98 प्रतिशत से ज्यादा है।

अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भी 25 जनवरी को एलआईसी के एक बड़ी राशि अडानी समूह के एफपीओ में निवेश करके संकटग्रस्त समूह में विश्वास व्यक्त किया है। एलआईसी एफपीओ में एंकर के रूप में आने वाले 33 संस्थागत निवेशकों में शामिल है। जिसमें अबू धाबी निवेश प्राधिकरण और अल मेहवार वाणिज्यिक निवेश एलएलसी जैसे नाम शामिल हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप की कड़वी सच्चाई बताते हुए एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कुछ गंभीर खुलासे किए गए हैं। जनहित में इसकी गहन जांच होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, “ वित्तीय गड़बड़ी के आरोप तो अत्यंत गंभीर हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि मोदी सरकार ने एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों जैसी अति महत्वपूर्ण संस्थाओं द्वारा अंधाधुंध निवेश के चलते भारत की वित्तीय प्रणाली गंभीर प्रणालीगत संकट में पड़ सकती है। ”

अडानी समूह में भारतीय बीमा निगम ने बड़ा निवेश किया है। लेकिन उसके गिरते शेयर से सार्वजनिक कंपनियों के निवेश को भारी नुकसान होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर कहा कि संसद के 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के प्रारंभ में ही सरकार को इस मुद्दे पर विस्तार से स्वयं ही वक्तव्य सदन के दोनों सदन में रखना चाहिए ताकि पूरे देश में व खासकर अर्बन मिडिल क्लास परिवारों में आर्थिक जगत तथा अडानी ग्रुप को लेकर छाई बेचैनी व मायूसी थोड़ी कम हो सके।

उन्होंने कहा कि, “देश में पिछले दो दिनों से गणतंत्र दिवस से ज्यादा प्रमुख अडानी उद्योग ग्रुप के सम्बंध में अमेरिकी फर्म हिण्डनबर्ग की आई निगेटिव रिपोर्ट व उसका शेयर बाजार पर व्यापक बुरा प्रभाव आदि काफी चर्चाओं में है। सरकार चुप है जबकि देश के करोड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई उससे जुड़ी हुई है।”

LIC loss in Adani

उन्होंने कहा कि, “शेयरों में धोखाधड़ी आदि के आरोपों के बाद अडानी की सम्पत्ति में 22.6 अरब डालर की कमी व उनके विश्व रैंकिंग घटने से ज्यादा लोग इससे चिन्तित हैं कि सरकार ने ग्रुप में जो भारी निवेश कर रखा है उसका क्या होगा? अर्थव्यवस्था का क्या होगा? बेचैनी व चिन्ता स्वाभाविक। समाधान जरूरी।”

बिजनेस मैन नयिनी अनुराग रेड्डी ने ट्वीट किया, “अडानी ने पिछले वर्ष हर दिन 1,600 करोड़ रुपये जोड़े और पिछले 5 वर्षों में उनकी संपत्ति में 1440 फीसद की वृद्धि हुई। अडानी ने पिछले 8 वर्षों में जो संपत्ति बनाई उसमें अधिकांश पूरी तरह से सरकारी ऋण और बांड द्वारा वित्त पोषित हैं।”

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