सीएए की तरह हाथरस कांड में भी कांस्पीरेसी थियरी लांच, मुस्लिम संगठन और पत्रकार निशाने पर

हाथरस दलित पीड़िता केस में सरकार ने फुलप्रूफ इंतज़ाम करते हुए कांस्पीरेसी थियरी लांच कर दी है। कुछ प्रोपगंडा चैनल पिछले चार दिन से भूमिका बना रहे थे। कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांस्पीरेसी थियरी को लांच करते हुए प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश किए जाने का आरोप लगाया है।

वहीं यूपी सरकार के समाज कल्‍याण मंत्री और बीजेपी नेता रमापति शास्‍त्री ने भी हाथरस मामले पर रविवार को कहा, “विपक्ष गैर जिम्‍मेदाराना रवैया अपना रहा है। विपक्ष के ट्वीट, आडियो टेप और पुरानी घटनाएं दंगे की साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। विपक्ष जातीय दंगे कराना चाहता है। वह नहीं चाहता कि सच सामने आए।” यानी कि अब हाथरस केस में दलित लड़की की बर्बरतापूर्ण हत्या को एक किनारे करके सरकार ने अपने लिए हाथरस मामले में नया शेल्टर पैदा कर लिया है। एसआईटी को इसी काम पर लगाया ही गया था।

कल रविवार को मुख्यमंत्री ने भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं से ऑनलाइन संवाद के दौरान कहा था, “जिसे विकास अच्छा नहीं लग रहा है वे लोग देश में भी, प्रदेश में भी दंगा, जातीय दंगा भड़काना चाहते हैं। सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं। इस दंगे की आड़ में विकास रुकेगा। इस दंगे की आड़ में उनको रोटियां सेंकने का अवसर मिलेगा, इसलिए नित नए षड़यंत्र करते रहते हैं। इन खड़यंत्र से पूरी तरह आगाह होते हुए विकास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना है।”

लखनऊ में दर्ज हुआ मुकदमा, जांच के लिए बनाई गई तीन टीमें
हजरतगंज कोतवाली के नरही चौकी प्रभारी भूपेंद्र सिंह की ओर से दी गई तहरीर पर धारा 153-ए, 153-बी, 420 (धोखाधड़ी) 465 (जालसाजी) 468 (छल के लिए दस्‍तावेजों का प्रयोग) 469 (जालसाजी से किसी की ख्‍याति की अपहानि) 500 (किसी की मानहानि) 500 (1) (बी) 505 (2) 66 और 63 (सूचना संबंधित अपराध) के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

अपनी तहरीर में चौकी प्रभारी भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि सोशल मीडिया पर मुन्‍ना यादव नाम के उपयोगकर्ता के अकाउंट के साथ एक न्‍यूज चैनल के फर्जी समाचार का स्‍क्रीनशॉट संलग्‍न है, जिसमें मुख्‍यमंत्री की छवि खराब करने का प्रयास किया गया है। तहरीर में लिखा है कि स्‍क्रीनशॉट में मुख्‍यमंत्री की फोटो के साथ यह बयान दिया गया है कि ‘ठाकुरों से गलतियां हो जाती हैं योगी’। चौकी प्रभारी ने तहरीर में यह आशंका जताई है कि इससे लोक शांति भंग हो सकती है।

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) मध्‍य क्षेत्र सोमेन वर्मा के मुताबिक सोशल मीडिया के जरिये विभिन्‍न समुदायों में वैमनस्‍यता फैलाने, सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसे कुत्सित प्रयास पर हजरतगंज कोतवाली में मुक़दमा दर्ज कराया गया है। इस मामले की जांच करने के लिए तीन टीमें बनाई गई हैं। एक टीम साइबर सेल की भी है। यह प्रयास किया जा रहा है कि जिस व्‍यक्ति के अकाउंट से फेसबुक पर अवांछित टिप्‍पणी और साजिश की गई है, उसका नाम उजागर हो।

पीएफआई का जिक्र करके मामले को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश
योगी आदित्यनाथ के कांवड़ियों पर फूल बरसाने वाले एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि पीएफआई समेत कुछ अन्य संगठन प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रचते हैं। इस मामले में उनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है। इस फर्जी पोस्ट से सरकार पर निशाना साध कर हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश की गई। ऐसी ही फर्जी पोस्ट वायरल कर पीड़िता की जीभ काटने, अंग भंग करने और सामूहिक दुष्कर्म से जुड़ी तमाम अफवाहें उड़ाकर प्रदेश में नफरत फैलाने की कोशिश की गई। ऐसी अफवाहें फैलाने के लिए कई वेरीफाइड सोशल मीडिया अकाउंट का भी जमकर इस्तेमाल किया गया। जांच एजेसियां वेरीफाइड अकाउंट का भी ब्योरा तैयार कर रही हैं।

अफवाहें फैलाने और नफरत पैदा करने के लिए चंडीगढ़ की घटना की मृतका की तस्वीरें हाथरस की बेटी की बताकर वायरल की गईं। दंगे भड़काने की साजिश के लिए तमाम आपत्तिजनक और फोटोशॉप्ड तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया गया। दूसरे प्रदेशों के शवों की फोटोशॉप्ड तस्वीरों को हाथरस की पीडि़ता की तस्वीरें बताकर वायरल कर नफरत पैदा करने की कोशिश की गई।

पुलिस का कहना है कि साजिश में पीएफआई, एसडीपाई और सरकार के निशाने पर रहे माफियाओं की मिलीभगत के ठोस सुराग मिले हैं। वहीं तमाम प्रमाणों के बाद राजधानी लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज हुआ है। लखनऊ के हजरतगंज थाने में शनिवार को आईपीसी की धारा 153-A, 153-B, 420, 465, 468, 469, 500, 505(1)(b)505(2), आईटी एक्ट की धारा 66 तथा कॉपीराइट अधिनियम की धारा 63 में मुकदमा दर्ज किया गया है।

खुफिया पुलिस के मुताबिक हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की एक बड़ी साजिश रची गई थी, जो कि सरकार की सतर्कता से नाकाम साबित हुई है। साजिश में बड़े पैमाने पर फंडिंग की बात भी कही जा रही है। यह फंडिंग माफियाओं, अपराधियों और कुछ मजहबी संगठनों द्वारा की गई। जांच में पीएफआई, एसडीपीआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने का दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि साजिश में सीएए के उपद्रव में शामिल रहे संगठनों की भूमिका के भी सबूत मिले हैं। उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने, उपद्रवियों से वसूली कराए जाने और घरों की कुर्की कराने की सीएम योगी की कार्रवाइयों से परेशान तत्वों ने यूपी में बड़ी साजिश रची।

इतना ही नहीं पीड़ित परिवार को सरकार के खिलाफ भड़काने की साजिश का भी पर्दाफाश करने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि सबूत के तौर पर जांच एजेंसियों के हाथ कई ऑडियो टेप लगे हैं। टेप में राजनीतिक दलों के साथ ही कुछ पत्रकारों की आवाज भी बताई जा रही है, जो कि पीड़ित परिवार को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। यहां तक कि पीड़ित परिवार को बयान बदलने के लिए 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक का लालच भी दिया गया।

पत्रकार तनुश्री पांडेय के फोन किए गए टेप
रात के दो बजे पीड़ित परिवार को उनके घर में बंद करके पुलिस प्रशासन द्वारा पीड़िता की लाश जलाने का लाइव कवरेज करके यूपी सरकार की पोल खोलने वाली इंडिया टुडे-आज तक की पत्रकार तनु श्री पांडेय का फोन कॉल सराकर द्वारा टेप करवाया गया। अब ऑडियो कॉल वायरल करके उन्हें पीड़ित परिवार को सरकार के खिलाफ़ भड़काने का आरोप लगाया गया है।

भाजपा आईटी सेल द्वारा लगातार ट्विटर पर तनुश्री पांडेय के खिलाफ़ अभियान चलाया जा रहा है और ट्रॉल गैंग द्वारा उन्हें गालियां दी जा रही हैं।

पहले धारा 144 लगाकार लाश के साथ सारे सबूत मिटा दिए गए और अब कांस्पीरेसी थियरी का सहारा लेकर दूसरे समुदाय के लोगों को फंसाया जा रहा है।

अपर पुलिस महानिदेशक ने 1 अक्तूबर को प्रेस कान्फ्रेंस करके कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल गठित किया है। उन्होंने कहा कि इस घटना में जो लोग भी शामिल हैं उन्हें कतई बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार के खिलाफ गलत बयानी की गई और पुलिस की छवि को खराब किया गया। हम पड़ताल करेंगे कि यह सब किसने किया। यह एक गंभीर मामला है और सरकार तथा पुलिस महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर बेहद संजीदा है।

यानी एसआईटी का गठन पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए नहीं बल्कि कांस्पीरेसी थियरी को लांच करने के लिए किया गया था।

उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो प्रदेश में सामाजिक सद्भाव और जातीय हिंसा फैलाना चाहते थे। एडीजी ने कहा कि जवाबदेह अधिकारियों के कहने के बावजूद अपने तरीके से चीजों को मीडिया में गलत तथ्यों के आधार पर मोड़ना चाहते थे। हाथरस प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री जी ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी में गृह सचिव स्तर के अधिकारी, डीआईजी स्तर के अधिकारी और एक महिला एसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। एसआईटी की तहकीकात में निश्चित ही बड़ी साजिश का पर्दाफाश होगा।

‘ठोक दो नीति’ को परवान चढ़ाने से लेकर हाथरस कांस्पीरेसी थियरी तक
आईपीएस प्रशांत कुमार को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाना जाता है। योगी सरकार बनने के बाद यूपी में ताबड़तोड़ एनकाउंटर हुए। विशेषकर पश्चिमी यूपी में। मई 2020 में एडीजी लॉ एंड आर्डर बनने से पहले प्रशांत मेरठ ज़ोन के डीआईजी रहे। यूपी पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ का टैग प्रशांत के काफी काम आया, जिसके बाद उन्हें एडीजी लॉ एंड आर्डर जैसा अहम पद मिला। प्रशांत के एडीजी बनते ही बीती जुलाई के महीने में बिकरू कांड हुआ, जिसमें आरोपी विकास दुबे का नाटकीय अंदाज में एनकाउंटर हुआ। योगी सरकार अपनी ‘ठोंक दो’ नीति को अपना सबसे बड़ा अचीवमेंट बताती आई है, जिसे एडीजी प्रशांत कुमार ने परवान चढ़ाया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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