अब 28 सितंबर को छत्तीसगढ़ में होगी किसान महापंचायत

नई दिल्ली। एसकेएम द्वारा आयोजित मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत एक ऐतिहासिक सफलता बन गई, जिसकी गूंज पूरे देश और दुनिया भर में सुनाई पड़ी। यहां तक ​​कि भाजपा नेताओं सांसद वरुण गांधी और विधायक राम इकबाल सिंह ने भी किसान आंदोलन की ताकत को स्वीकारा है। इस महापंचायत से अब किसानों ने किसान-विरोधी मजदूर-विरोधी मोदी सरकार को खुलकर चुनौती दी है। एसकेएम द्वारा शुरू किया गया मिशन उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड दोनों राज्यों में किसान आंदोलन को आगे बढ़ाएगा और आगामी चुनावों में भाजपा को हराएगा। किसानों ने आंदोलन की मशाल को पूरे देश में ले जाने और किसानों को उनका हक मिलने तक इस आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया।

28 अगस्त को शांतिपूर्ण किसानों के खिलाफ प्रशासनिक हिंसा के बाद, जिसके परिणामस्वरूप एक किसान, शहीद सुशील काजल की मौत और अनगिनत किसान घायल हुए किसानों ने हरियाणा सरकार को एसडीएम और अन्य अधिकारियों, जो किसानों के ‘सर फोड़ने’ का आदेश देते हुए देखे गए थे, के खिलाफ कार्रवाई करने का अल्टीमेटम जारी किया था। किसानों ने मांग की थी कि अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए और एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए, साथ ही शहीद काजल के परिवार को 25 लाख रुपये और राज्य हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। अल्टीमेटम की समय सीमा आज यानी 6 सितंबर तक थी, जिसके बाद किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव करने की चेतावनी दी थी। चूंकि खट्टर सरकार ने किसानों की मांगों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है, और इसके बजाय एसडीएम की करतूत का समर्थन किया है, किसानों ने विरोध के लिए अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने का फैसला किया। इसी सिलसिले में कल करनाल में एक महापंचायत का आयोजन होने जा रहा है। किसान अनाज मंडी में जुटेंगे और फिर लघु सचिवालय का घेराव करेंगे।

मोर्चे का कहना है कि एक शर्मनाक और कायरतापूर्ण कृत्य में करनाल के जिला प्रशासन ने क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी है और इंटरनेट बंद कर दिया है, और प्रदर्शनकारियों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत मामला दर्ज करने की धमकी दी है। एसकेएम ने कहा कि इन दमनकारी कदमों से उन किसानों का हौसला नहीं टूटेगा, जिन्होंने पिछले 10 महीनों से इस अत्याचार को झेला है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के सवाल कि, “पिछले दो वर्षों में कौन सी मंडी बंद हो गई” के जवाब में, एसकेएम ने मंत्री को याद दिलाया कि पिछले एक वर्ष में, कृषि कानून लाए जाने के बाद, देश भर की मंडियों ने अपने राजस्व में भारी गिरावट देखी है। मप्र में, कृषि विपणन बोर्ड को राजस्व का 66% नुकसान हुआ, और उसने मंडी क्षेत्र को किराए पर देना शुरू कर दिया है। यूपी के मंत्री श्रीराम चौहान ने यूपी विधानसभा को सूचित किया कि नए कानून पारित होने के बाद मंडियों को राजस्व का नुकसान हुआ है, और सरकार ने नई एपीएमसी मंडियों का निर्माण रोक दिया है।

इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री अमेज़न इंडिया के किसान स्टोर के उद्घाटन में व्यस्त हैं। मोर्चे का कहना है कि फसल और बीमा के बाद सरकार ने अब खाद-बीज भी कॉर्पोरेट को सौंप दिया है। इफ्को जो यूरिया 45 किलो की बोरी 266.50 रुपये में बेचता है, वह अमेज़न पर 199 रुपये किलो बिक रहा है। फ्लिपकार्ट पर 450 ग्राम यूरिया की कीमत 130 रुपये लिखी गई है। एसकेएम ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा लॉन्च किए गए प्लेटफॉर्म पर उर्वरकों की खुली कालाबाजारी हो रही है, जो आपराधिक कृत्य है।

भाजपा नेताओं के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है। पंजाब के संगरूर में किसानों ने भाजपा के जिलाध्यक्ष के आवास पर विरोध प्रदर्शन किया, जहां भाजपा की बैठक हो रही थी। पंजाब के भठिंडा में किसानों ने एक होटल का घेराव किया जहां भाजपा की जिला इकाई की बैठक हो रही थी। हरियाणा में झरौदी गांव के पास एक फार्महाउस पर जजपा नेताओं की बैठक के विरोध में किसानों ने काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन किया। एसकेएम ने भाजपा और सहयोगी दलों के सभी आयोजनों का विरोध करने के लिए अपने फैसले को पुनः दोहराया है।

एसकेएम ने पंजाब के भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल के कार्यों की निंदा की है। दरअसल उन्होंने एक टीवी रिपोर्टर के साथ दुर्व्यवहार किया। ग्रेवाल मीडिया में किसानों के खिलाफ लगातार अपशब्द बोलते रहे हैं। इस तरह की हरकतें भाजपा नेताओं की महिला-विरोधी और किसान-विरोधी चरित्र को उजागर करती हैं। इस बीच, राकेश टिकैत के भाषण की एक छोटी क्लिप सांप्रदायिक इरादे से प्रसारित की जा रही है। एसकेएम ने गोदी मीडिया और भाजपा आईटी सेल के इस कृत्य की निंदा किया है। पूरे भाषण में राकेश टिकैत को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हम हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान करेंगे। एसकेएम ने मीडिया से ईमानदारी से रिपोर्ट करने का आह्वान किया है।

मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत की सफलता के बाद नए जोश और नई ऊर्जा के साथ किसान आंदोलन तेजी से आगे बढ़ेगा। आने वाले दिनों में इस तरह के और कार्यक्रमों की योजना बनाई जा रही है, जिसमें छत्तीसगढ़ में किसान मजदूर महासंघ द्वारा 28 सितंबर को राजिम में आयोजित किसान महापंचायत भी शामिल है।

इस बीच, किसान संगठनों द्वारा किसानों के खिलाफ फर्जी मामलों को वापस लेने के लिए पंजाब सरकार को जारी की गई समय सीमा 8 सितंबर को समाप्त हो रही है, जिसके बाद किसान पंजाब सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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