मोदी जी गरीबों का खून निकाल कर बनाएंगे 5 ट्रिलियन की इकॉनमी!

बुजुर्ग लोगों को ब्याज बहुत तंग कर रहा है। बैंक में अब ब्याज मिल नहीं रहा जिसके भरोसे कोई जीवन काट ले। एक व्यक्ति ने अपने जीवन का मोटा मोटी हिसाब बताया कि हमने रिटायर होने पर 50 लाख रुपया 10 परसेंट इंटरेस्ट पर जमा कर दिया। उससे मुझे सालाना ₹5 लाख ब्याज से मिल गए यानी हर महीने ₹42000 लेकिन अब तो ब्याज 6 परसेंट रह गया है। 50 लाख फ़िक्स करने पर साल का तीन लाख ही मिलता है। महीने का ₹25000। इंटरेस्ट जहां पहले ₹42000 महीना मिल रहा था वहीं अब ₹25000 मिल रहा है। तो ₹17000 का अंतर है जो कि बहुत बड़ा अमाउंट है।

व्हाट्स एप यूनवर्सिटी में रिश्तेदारों के ग्रुप में इसे लेकर कोई चर्चा नहीं होती। इस दर्द को भी लोग सांप्रदायिकता के नशे में भूल गए। यह बहुत अच्छी बात है। उन्हें सपना देखना अच्छा लगता है कि भारत पाँच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा, अभी हालत तो यह है कि जो है वही हाथ से सरकता जा रहा है। 

कोविड के कारण अमरीका में भी तबाही आई लेकिन वहाँ उन्हें भी मदद दी गई जो नौकरी में थे और उन्हें भी जिनकी नौकरी चली गई। अमरीका में परिवार में पति-पत्नी और बच्चे को पैसे दिए गए हैं। अगर चार सदस्य हैं तो 12,800 डॉलर मिले हैं। भारतीय रुपये में क़रीब 9 लाख 34 हज़ार। जिनके बच्चे हैं उन्हें चाइल्ड टैक्स क्रेडिट के तौर पर 3600 डॉलर दिए गए हैं । ये पैसा उन परिवारों को मिला है जिनकी सालाना आमदनी 75 हज़ार डॉलर है। ऐसे क़रीब 13 करोड़ अमरीकी परिवारों को कोविड के दौरान पैसे मिले हैं। 

यही नहीं अमरीका में जो बेरोज़गार हो गए हैं उन्हें केंद्र सरकार की तरफ़ से हर हफ़्ता पैसा दिया जा रहा है। राज्य सरकारें भी अलग से भत्ता देती हैं। जैसे कि मिसिसिपी में सबसे कम 235 डॉलर प्रति हफ्ता और मेसाचुसेट्स में सबसे ज्यादा 823 डॉलर प्रति हफ्ता। इस तरह से मेसाचुसेट्स में 1123 डॉलर (823 + 300) प्रति हफ्ता मिलेंगे। 

हमारे एक मित्र कुलदीप ने बताया कि वहाँ बेरोज़गार हर हफ्ते भत्ते के लिए आवेदन करते हैं, इसलिए हर शुक्रवार पूरे देश में बेरोजगारी दर का ठीक-ठीक अनुमान लग जाता है। आज रिपोर्ट आयी है कि मार्च में 916,000 लोगों को नौकरी मिली और बेरोजगारी दर 6.2% से घटकर 6.0% हो गई। खबर का लिंक ऊपर दिया है।

भारत में करोड़ों लोग कोरोना के कारण सड़क पर आ गए। कमाई बंद हो गई। उन्हें कुछ मदद नहीं मिली। ज़रूर बेहद ग़रीब लोगों के खाते में पैसे गए लेकिन वे पैसे काफ़ी नहीं थे। लेकिन नमक भर पैसा देकर सरकार ने ढिंढोरा ऐसा पीटा जैसे कि परिवार में एक-एक सदस्य को दो दो लाख मिल रहे हों। 

यही नहीं अमरीका लोगों की मदद कर सके इसलिए कारपोरेट टैक्स फिर से बढ़ाने जा रहा है। 21 से 28 प्रतिशत करेगा। भारत में पिछले साल कारपोरेट टैक्स घटाया गया था। उसके कारण कारपोरेट का मुनाफ़ा तो बढ़ गया लेकिन निवेश नहीं हुआ। लेकिन भारत में लोगों की ब्याज दरों को कम कर बैंकों से लोन लिए जा रहे हैं। खेल सामने आया तो वापस ले लिए गए हैं। 

बाक़ी सब चंगा जी। व्हाट्एस एप ग्रुप में चर्चा करने वाले रिश्तेदारों को मेरा प्रणाम कहिए। ये पोस्ट पढ़ने को दीजिए।

(वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रवीश कुमार का लेख।)

रवीश कुमार
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रवीश कुमार