मोदी जी, आप सेर हैं, तो आपके भक्त सवा सेर निकले!

‘तुम सेर हो, तो मैं सवा सेर हूँ’ उक्त लोकोक्ति मेरे गांव में काफी प्रचलित है। (सेर मतलब 1200 ग्राम) बीते 5 अप्रैल के रात के 9 बजे से आपके भक्तों के द्वारा जो विचित्र नजारा पूरे देश को दिखाया गया, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है मोदी जी कि आप सेर हैं, तो आपके भक्त सवा सेर हैं।

जब पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में है और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या कुछ दिनों में लाख में पहुंच जाएगी। हमारे देश में भी इस बीमारी से मरने वालों की गिनती सौ तक पहुंच गयी है। हमारे डाॅक्टरों के पास अभी भी पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य उपकरण (पीपीई, थ्री लेयर मास्क, एन-95 मास्क, कोरोना जांच किट) नहीं है। लाखों मजदूर मौत के साये में जीने को विवश हैं। किसान की रबी फसल खेत में बर्बाद हो रही है। सब्जी उपजाने वाले किसान अपनी सब्जी को बाजार तक नहीं पहुंचा पाने की सूरत में उसे औने-पौने दाम पर बेचने को विवश हैं।

देशव्यापी लाॅक डाउन के चलते फैली अव्यवस्था के कारण लाखों लोग सड़क पर हैं और रोजी-रोटी की चिंता में आत्महत्या तक कर रहे हैं। ऐसे ही हालात में 3 अप्रैल को आपने घोषणा किया कि 5 अप्रैल को रात 9 बजे से 9 मिनट तक अपने घरों की बत्ती बुझाकर बालकनी में ‘कोरोना से फैले अंधकार’ को दूर करने के लिए दीया, मोमबत्ती, टाॅर्च या फिर मोबाइल का फ्लैश लाइट जलाएं और ‘मां भारती’ का स्मरण करें। आपने अपने इस मेगा इवेंट को ‘कोरोना के खिलाफ देशवासियों की एकजुटता’ प्रदर्शित करने वाला घोषित किया था, लेकिन आपके भक्तों ने 5 अप्रैल की रात 9 बजे से क्या किया ? क्या आपने जानने की कोशिश की ? ओह हो, आप तो हमारे देश के ‘ग्रेट लीडर’ हैं, आपको तो सब पता होगा ही।

फिर भी इस देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते 5 अप्रैल की रात 9 बजे के आपके भक्त के ‘काले कारनामों’ को आपको बताना चाहता हूँ। सच कहूं तो, संकट की घड़ी में घोषित आपका यह ‘मेगा इवेंट’ मुझे शुरू से ही मूर्खतापूर्ण लगा था, इसलिए मैंने दूसरे दिन ही अपने फेसबुक और ट्विटर पर घोषणा कर दिया था कि ‘मैं ना तो लाइट बुझाऊंगा और ना ही दीया जलाऊंगा।’ मैंने 5 अप्रैल की रात 9 बजे के पहले ही आपको टैग करते हुए भी हैशटैग #मोदीजीहमदीपनहींजलाएंगे और #अंधेरनगरीचौपट_राजा के साथ ट्वीट भी किया, लेकिन मेरा इसका यह कहीं से मतलब नहीं था कि मैं कोरोना के खिलाफ देशवासियों की एकजुटता का विरोधी हूँ।

मैं तो बस एकजुटता दिखाने के इस तरह के भौंडे और बेहूदे प्रदर्शन का विरोधी हूँ। खैर, 5 अप्रैल को रात 9 बजे के कुछ मिनट पहले ही मैं अपने घर की लाइट बिना बुझाये आपके भक्तों के कारनामे को देखने के लिए छत पर आ गया। आपकी घोषणा के मुताबिक ही 9 बजे मेरे घर के चारों तरफ (एक-दो घर को छोड़कर) घर की लाइटें बुझ गईं और लोगों ने आपके कहे मुताबिक दीया, मोमबत्ती, मोबाइल का फ्लैश लाइट जला लिया। ठीक 09:02 में ‘हर-हर महादेव’ ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ आतिशबाजी का शोर मेरे कानों तक पहुंचने लगा। फिर ‘गो कोरोना गो’ ‘हू-हू’ की आवाज के साथ ताली, थाली, शंख और घंटी भी बजने लगी।

कहीं-कहीं आग की तेज लपटें भी दिखाई दीं, बाद में पता करने पर मालूम हुआ कि लोगों ने कोरोना के विशालकाय पुतले को भी जलाया है। मोदी जी, अभी लाॅक डाउन चल रहा है, तो फिर आपके भक्तों के पास पटाखे, बम, राॅकेट आदि आतिशबाजी के सामान कैसे आए? आपने ‘हर-हर महादेव’ और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने का संदेश अपने भक्तों तक कब पहुंचाया था? 5 अप्रैल की रात के 9 बजे से जो विचित्र नजारा आपके सार्वजनिक वीडियो संदेश से इतर देखने को मिला, उसके लिए भी आपने कोई गुप्त संदेश भेजा था क्या ?

5 अप्रैल की रात्रि 9 बजे जो कुछ हमारे देश में हुआ, वह सच में बहुत ही शर्मनाक है। कोई भी व्यक्ति जिसमें थोड़ी सी भी मानवीय संवेदना बची होगी, वह इस वैश्विक संकट की घड़ी में इस तरह के जश्न में शामिल नहीं होगा। मुझे हमारे दोस्तों ने जो कि दूसरे शहर में रहते हैं, उन्होंने जो बताया और जो कुछ मैंने फेसबुक और ट्विटर पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा, उससे तो मैं और भी शर्मिंदा हो गया हूँ। 5 अप्रैल की रात को आपके भक्तों ने कई शहरों में ‘सोशल डिस्टेन्सिंग’ की धज्जियां उड़ाते हुए मशाल जुलूस तक निकाला और बेहद ही साम्प्रदायिक नारा लगाते हुए एक समुदाय को मानसिक आघात पहुंचाने का काम किया। 

मोदी जी, आपने अपने इस ‘मेगा इवेंट’ को कोरोना महामारी के खिलाफ देशवासियों की एकजुटता के लिए आयोजित किया था, लेकिन मुझे बहुत ही खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आप इसमें फेल हो गये हैं। इस ‘मेगा इवेंट’ में लग रहे धार्मिक नारों ने मुसलमानों के भीतर की असुरक्षा की भावना को और बढ़ा दिया है। आपके इस ‘मेगाइवेंट’ ने एक समुदाय को भयंकर मानसिक यातना झेलने को मजबूर कर दिया है।

मोदी जी, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कोरोना महामारी के खिलाफ पूरे देश की जनता एक है, इसके लिए किसी भोंडे प्रदर्शन की जरूरत नहीं है और ना ही अरबों रूपये बेवजह के प्रदर्शन में बर्बाद करने की। आज जरूरत है कोरोना महामारी के खिलाफ  लड़ रहे डाॅक्टरों को समुचित मेडिकल सुविधा देने की, जरूरत है मुसलमानों से भाइचारे की, जरूरत है लाॅकडाउन से पस्त जनता को आर्थिक सुरक्षा देने की और साथ में जरूरत है कोरोना से पीड़ित होने वालों को भी मानसिक संबल देने के साथ उसे मौत के मुंह से खींच लाने की।

(रुपेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं और आजकल झारखंड के रामगढ़ में रह रहे हैं।)

रूपेश कुमार सिंह
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