गांव से लेकर शहर तक देश भर में मुस्लिम दुकानदारों को नहीं लगाने दी जा रही हैं फल और सब्जियों की दुकानें

नई दिल्ली। कल दोपहर मेरी चचेरी बहन मेरी अम्मी से कहती है, “अम्मी अम्मी जानती हो आज गाँव में कई सब्जी वाले आए थे और बहुत सस्ते दाम में सब्जियां बेंच रहे थे। गाँव भर में हल्ला है वो सब कोरोना फैलाने वाले हैं। सब्ज़ियाँ सस्ते में इसलिए बेच रहे हैं कि लोग सस्ते दाम के चक्कर में खरीद लेंगे। लोग कह रहे हैं वो लोग सब्जियों में थूककर बेच रहे हैं।” 

मेरा छोटा भाई कुछ देर पहले ही एक फेरीवाले से 2 किलो खीरा खरीदकर लाया था और हम सब खीरे को सलाद में काटकर खा भी चुके थे। मैंने चचेरी बहन को समझाया कि तुम्हारा मन नहीं करता है तो सब्जी मत लो, लेकिन किसी समुदाय के बारे में इस तरह की अफवाहें मत फैलाओ। 

मुझे लगा गाँव में सीधे सादे लोग अफवाहों के चक्कर में जल्दी ही पड़ जाते हैं इसीलिए ये लोग इस तरह की फर्जी बातों में पड़ गए हैं, लेकिन फिर मुझे याद आया कि यही सीधे-सादे लोग जब भीड़ की शक्ल ले लेते हैं तो मॉब लिंचर बन जाते हैं। मेरे ही गाँव में बहुत पहले (तब मैं 10-12 वर्ष का था) एक विक्षिप्त बुढ़िया को घेर कर मार डाला था, उस साल बच्चा चोर की बहुत अफवाह उड़ी थी। 

लेकिन अफवाह अब पूरी हिंदी पट्टी जिसे आजकल सामूहिक विवेक हीनता के चलते गोबर पट्टी भी कहा जाता है फैल चुका है। दिल्ली के कई इलाकों के गली मुहल्लों में स्थानीय लोग फल और सब्जी विक्रेताओं के पहचान पत्र मांग कर उनका धर्म चेक कर रहे हैं। और उसके मुस्लिम होने पर उसे डांट-डपटकर भगा दे रहे हैं।

हल्द्वानी की सड़क पर कुछ लड़के बाइक से घूम रहे हैं और सड़क किनारे फुटपाथ पर ठेले पर दुकान लगाए खड़े फल-सब्जी बेचने वालों से उनका पहचान पत्र मांग कर देख रहे हैं और उनके हिंदू होने पर उससे उस रोड पर किसी मुसलमान के दुकान लगाने के बाबत पूछते हैं। और उसके बताने के बाद आगे बढ़ जाते हैं। आखिर ऑल इंडिया लॉक डाउन के समय जब सब अपने घरों में कैद हैं इन गुंडों को दुकानदारों की धार्मिक शिनाख्त करने का ठेका किसने दिया है?  

उत्तराखंड के हल्द्वानी में जावेद नामक एक फल विक्रेता को कई उपद्रवी लड़के आकर कहते हैं तुम्हारी तरफ से बहुत दिक्कतें आ रही हैं। आप के लोग समझ नहीं रहे तो अब बंद करवाने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई उपाय नहीं है। और एक दूसरी हिंदू महिला दुकानदार से कहते हैं कि आप दुकान खोल सकते हो आपके लिए कोई मनाही नहीं है। ये मेरा कार्ड लो और आपके अगल बगल में यदि कोई मोहम्डन दिखता है ठेला लगाते हुए या आपको यदि रेहड़ी पर जाते हुए भी दिखता है तो आप हमें कॉल करके इन्फार्म करना।  

दिल्ली के शास्त्रीनगर बी-ब्लॉक का ललिता विहार स्कूल के पास स्थित ‘गुड लिविंग सोसाइटी’ नामक मोहल्ले का एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है 20-25 लोग मीटिंग करके मुसलमान सब्जी वालों को गली में सब्जी न बेचने देने की बात करते हैं। वीडियो बनाने वाला व्यक्ति जब ये बोल ही रहा है तो इस गली में दो सब्जी बेचने वाले पहुंचते हैं। इस पर वहां मौजूद लोग सब्जी वालों से पहचान पत्र मांगते हैं और कहते हैं, ‘कल से आधार कार्ड लेकर आना वरना आना मत इस तरफ। बहुत डंडे पड़ेंगे । इसके बाद दोनों सब्ज़ी वालों को वहां से दुत्कार कर भगा दिया जाता है। वीडियो में आगे कहा जाता है- “ये देख रहे हो भाई साहब। अभी एक को पकड़ा था, उसने अपना नाम बताया मिश्रा और था वो मोहम्मद इमरान। उसको भी मार कर भगाया अभी हमने।”

मोहल्ले का नाम भले ही गुड विल सोसायटी हो लेकिन यहां के लोगों का काम शैतानों वाला है। बता दें कि शास्त्री नगर का यह इलाका सराय रोहिल्ला पुलिस थाने के अंतर्गत आता है।

इसी तरह दिल्ली के गुलाबी बाग में बाकायदा लाउड स्पीकर से यह घोषणा की गई कि अब से किसी भी मुस्लिम को यहां सब्जी-फल बेचने के लिए नहीं आने दिया जाएगा।

इसी तरह मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर तहसील के ग्राम बोरुद में ‘मुसलमान व्यापारियों का गांव में प्रवेश निषेध’ का बैनर लगाया गया है। पुलिस के मुताबिक यह बैनर 17 मार्च को स्थानीय लोगों द्वारा लगाया गया था जिसे गांव वालों को जैसे ही खबर मिली उन्होंने हटवा दिया।

कर्नाटक जहां सांप्रदायिकता की जमीन बनाकर ही भाजपा सत्तासीन हुई है वहां तो कई इलाकों में बाकायदा पंचायत स्तर पर निर्णय लेकर गांव मुहल्लों में मुनादी करवाई जा रही है कि गांव मुहल्ले का कोई भी व्यक्ति किसी मुस्लिम से न तो कोई काम करवाए न उनसे कुछ खरीदे अन्यथा उसके ऊपर 500-1000 रुपए का जुर्माना किया जाएगा।     

कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए लगे लॉक डाउन के समय में भी ये लोग खुल्लम खुल्ला गुंडागर्दी करने का लाइसेंस लिए घूम रहे हैं। फल और सब्जी बेचने वाले छोटे मुस्लिम दुकानदारों को डरा-धमकाकर उनकी दुकानें बंद करवा रहे हैं। सवाल अब भी वही है। सरकार और प्रशासन की सहमति के बिना क्या ये संभव है? सरकार के मंत्रियों और नेताओं के जहरीले सांप्रदायिक बयानवीर, आरएसएस और उसके दूसरे सांप्रदायिक सहयोगी सांप्रदायिक मीडिया और सोशल मीडिया में कब्जा जमाए बैठे भाजपा के आईटी सेल के लोग इंसानों को खाने वाले ड्रैकुला हैं जो इस विकट वक़्त में भी इन लोगों को मुस्लिम समुदाय का खून पीने, उनकी मॉब लिंचिंग के लिए अफवाह फैलाने के लिए बाज नहीं आ रहे। 

6 अप्रैल सोमवार को कर्नाटक के बागल कोट ज़िले के बिदारी गांव में 4 मुसलमान मछुआरों को गांव वालों ने घेर लिया। ये मछुआरे कृष्णा नदी में मछली पकड़ने आए थे लेकिन इन्हें भीड़ ने घेर लिया और कहने लगे कि- “तुम लोग क्यों आए हो? तुम लोगों की वजह से ही कोरोना फैल रहा है।” 

मछुआरे हाथ जोड़कर रोते-गिड़गगिड़ाते हैं लेकिन भीड़ रहम नहीं करती उनके हाथों में लाठी डंडे थे। 

बागलकोट के एसपी लोकेश बी जगालसर के मुताबिक-  “चार मछुआरे थे जो एक गांव में मछली पकड़ने गए थे, जिनमें दो हिंदू और दो मुसलमान थे। ये मछुआरे दूसरे गांव मछली पकड़ने गए थे लेकिन इन्हें गांव वालों ने घेर लिया। उनके साथ जो हुआ वो ग़लत है। हमने एफ़आईआर रजिस्टर किया है और पाँच लोगों की गिरफ़्तारी की गई है।”

(जनचौक के विेशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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