निजामुद्दीन ग्राउंड रिपोर्टः अगर अब नहीं जागे तो बहुत देर हो जाएगी

भारी पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के बीच बरसते आसमान के नीचे तीन दिन से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हैं निजामुद्दीन की महिलाएं और बच्चे। जबर्दस्त उत्साह से भरे दूसरी, तीसरी चौथी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे चार्ट में नारे और मांगे लिखकर उसे पोस्टर बैनर में तब्दील कर देते हैं। वहीं बगल में ही कुछ बड़ी कक्षा के छात्र प्रदर्शनकारियों के शरीर के अंगों पर तिरंगा पेंट कर रहे हैं।

बच्चियां मंच से नारे लगाती हैं…
आजाद देश में……… आजादी 
है हक़ हमारा………. आजादी
जो तुमने जागे……. आजादी
हम छीन के लेंगे……. आजादी
अशफाक वाली………. आजादी
बिस्मिल वाली……. आजादी
जीने वाली……….. आजादी
मांएं भी मांगे…… आजादी
वो ममतावाली…….. आजादी
मेरी बहने भी मांगे……. आजादी
वो इज्जत वाली…… आजादी
मेरा भाई भी मांगे……. आजादी
वो गैरत वाली………. आजादी

निजामुद्दीन की शाह जहां कहती हैं, “हम यहां सरकार को अपना गुस्सा दिखा रहे हैं। हम लोगों की मांग है कि सीए वापिस ले लिया जाए, क्योंकि हमारे बच्चों के भविष्य पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। हम आज तक अपने घरों से बाहर नहीं निकले थे। आज हमें निकलना पड़ा है अपनी आवाज़ उठाने के लिए। इससे पहले हमारे पुरखे 1947 की आजादी में बाहर निकले थे। हम बहुत दिलेर लोग हैं, लेकिन हम अपनी तकलीफें दिखाने के लिए ही बाहर निकले हैं कि देखिए आज हमारे साथ क्या-क्या हो रहा है। हम भले ही मर जाएं, मिट जाएं लेकिन जब तक ये कानून वापिस नहीं होता हम यहां से नहीं हटेंगे।“”

उन्होंने बताया कि हमारी बस्ती की सारी औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के लेकर बैठी हैं। आपने देखा सुना होगा कि पहली बार औरतें और बच्चे इकट्ठा होकर नारे लगा रहे हैं। सीएए और एनआरसी हमारे खिलाफ़ प्लान किया गया है इसे फौरन रोक दिया जाए। शाह जहां ने कहा कि तीन तलाक के वक्त मोदी जी हमारे भाई बन गए थे। हम लोगों ने उस वक्त अपने घरवालों तक से झगड़ा कर लिया था कि ये कानून ठीक है आने दीजिए। इससे हमें प्रोटेक्शन मिलेगा, लेकिन ऐसा प्रोटेक्शन मिलेगा की बचाव में हमें सड़कों पर आना पड़ेगा तो नहीं चाहिए हमें।

उन्होंने कहा कि हमने बहुत से मुद्दों पर सवाल नहीं उठाए, लेकिन हम पर हमारे बच्चों के भविष्य पर बन आई है। अब हम चुप नहीं बैठेंगे। हम डंडे-गोली सब खाने के लिए तैयार हैं। जेल जाना पड़े या मरना पड़े लेकिन अब हम पीछे नहीं हटेंगी। ये हमारा हिंदुस्तान है और इस पर हमारा हक़ है हमसे हमारा हक़, हमारा हिंदुस्तान कोई नहीं छीन सकता।

नजमा शफीक़ कहती हैं, “इसके लिए सबको मिलकर लड़ना पड़ेगा। हम हिंदू हों या मुसलमान या सिख या दलित या कुछ भी। हमें एकजुट होकर इसके खिलाफ़ आना पड़ेगा। हम औरतें इसीलिए आज बाहर निकली हैं। जो पर्दें से नहीं निकलीं आज वो पूरे हिंदुस्तान के हक़ के लिए सड़कों पर उतरकर लड़ रही हैं। हमारे बच्चे-बूढ़े औरतें सब लड़ेंगे जब तक कि ये वापिस नहीं लिया जाता। सरकार के पास भी अब झुकने के अलावा और कोई चारा नहीं है।”

सायरा कुरेशी कहती हैं, “दिल्ली में आज कितने शाहीन बाग़ बन चुके हैं। क्या सरकार को दिख नहीं रहा। सरकार बार बार हमसे सवाल क्यों पूछ रही है। क्या उनको नहीं पता कि हम लोग किसलिए सड़कों पर निकले हैं। सरकार को शर्म आनी चाहिए कि इतनी सारी औरतों को सड़क पर आने के लिए उन्होंने मजबूर कर दिया है। जो कल तक घर गृहस्थी सम्हालती थीं औज वो मुल्क़ को बचाने के लिए बाहर निकली हैं।”

नसीमा कहती हैं, “हमारे खिलाफ़ जो नाइंसाफियां हो रही हैं, हम उसके खिलाफ़ उतरे हैं। हर बर्दाश्त की एक इन्तेहा होती है जो कि हो चुकी है। हम अपना हक़ लेने के लिए बैठे हैं और लेकर ही उठेंगे।”

कुछ युवा मिलकर एकसाथ नारा लगाते हैं…
सीएए को नहीं मानते
एनआरपी को नहीं जानते मो
दी को भी नहीं जानते
आरएसएस पर हल्ला बोल

इस हुकूमत को खुद नहीं पता कि वो क्या कर रही है। वो इस मुल्क़ के साथ खिलावड़ कर रही है। बुजुर्ग रजी अहमद कहते हैं, “उन्होंने आरएसएस के एजेंडे को लागू करने के लिए आंखों में पट्टी बांध ली है। कानों में रुई ठूँस ली है। इन लोगों को ये पता ही नहीं कि मुल्क चलता कैसे है। जिन लोगों के अपने घर नहीं बसा वो मुल्क़ को क्या खाक सम्हालेंगे। जिन्होंने कभी अपनी घर गहस्थी नहीं संजोई वो मुल्क़ को खाक संजोएंगे। घर चलाने के लिए भी बहुत अकल, जजबा, जद्दोजहद और फिक्र चाहिए होती है। मुल्क़ चलाना बच्चों का खेल नहीं है।”

उन्होंने कहा कि ये कोई खेल नहीं है कि आप जो चाहो मुल्क़ के साथ करते रहो। आप ही बताओ आपकी आमदनी है दस हजार और आप 50 हजार खर्च कर दोगे तो 40 हजार कहां से आएंगे। आखिर आप को कोई कब तक उधार देगा भाई। तुमने मुल्क को कंगला कर दिया है। 192 टन सोना तुमने बेच दिया। सारी सरकारी कंपनियां बेंच रहे हो जबकि ये सब मुनाफे की कंपनियां हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार तो कल चली जाएगी, भुगतना इस मुल्क़ और इसकी आवाम को पड़ेगा। ये अंबानी-अडानी ने इन्हें अपना वफादार कुत्ता बना रखा है। ये आवाम पर भौंकते हैं और उनके तलवे चाटते हैं।

(सुशील मानव लेखक और पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

सुशील मानव
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