राष्ट्रपति चुनाव: कठिन है सत्ता पक्ष की डगर

भारत के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को खत्म होने के पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव कराने के कार्यक्रम का ऐलान कर दिया गया है। ये चुनाव भारत के आठ बरस से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए आसान नहीं है। लेकिन आम धारणा है कि इसमें वही होगा जो मोदी जी चाहेंगे। यानि होईहें वही जो मोदी रुचि राखा। भारत गणराज्य के संविधान के तहत राष्ट्रपति पद पर एक कार्यकाल पाँच बरस का है। कोविन्द जी ने 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद संभाला था। भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एकमात्र व्यक्ति हैं जो दो बार राष्ट्रपति रहे।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नौ जुलाई को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषित कार्यक्रम के तहत वोटिंग सभी राज्यों में 18 जुलाई को होगी। मगर वोटों की गिनती एक ही जगह नई दिल्ली में की जाएगी। काउंटिंग के नतीजा का ऐलान 21 जुलाई को किया जायेगा। चुनाव अधिसूचना 15 जून को जारी होने के दिन से नामांकन पर्चे दाखिल करने का काम शुरू हो जाएगा। उन्हें भरने की आखिरी तारीख 29 जून है। 30 जून को नामजदगी के पर्चों की जांच के बाद उन्हें वापस लेने की आखरी तारीख दो जुलाई है। 

संभावित उम्मीदवार

राष्ट्रपति चुनाव के संभावित उम्मीदवारों में भाजपा के पाला से मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के अलावा राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे और अभी केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के नामों की चर्चा है। भाजपा के दो निलंबित प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के इस्लाम धर्म की निंदा करने वाले बयानों से खाड़ी के देशों में भाजपा की हुई भारी किरकिरी के मद्देनजर मामला शांत करने के लिए आरिफ मोहम्मद खान का नाम ट्विटर पर ट्रेंड कराया जा रहा है। आरिफ मोहम्मद खान मूलतः उत्तर प्रदेश के बहराइच के हैं जहां उन्होंने और उनकी पत्नी रेशमा आरिफ़ ने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए राम-रहीम धाम की स्थापना कर रखी है। वह कांग्रेस से दो बार और जनता दल, बसपा से एक-एक बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। वह विगत में भाजपा में भी शामिल हुए थे। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के सचिव और अध्यक्ष रहे हैं। उनकी वकील पत्नी रेशमा भी एएमयू की छात्रा रह चुकी हैं।
 

आरिफ मोहम्मद खान

 अभी 17 राज्यों में भाजपा की अपनी या साझा सरकार है। राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए बहुमत 5 लाख 43 हजार 216 वोट की दरकार है। 

निर्वाचक मण्डल

राष्ट्रपति का चुनाव भारत के नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मण्डल के जरिए करते हैं जो संसद के सदस्यों और सभी 28 राज्यों, दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू–कश्मीर के तीन केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों का होगा। निर्वाचक मण्डल में अभी 776 सांसद और कुल 4120 विधायक हैं। जम्मू–कश्मीर विधानसभा अभी भंग है। विधायकों के वोटों का वैल्यू 5,43,231 और सांसदों के वोटों का वैल्यू 5,43,200 है। सभी वोटर के वोट का कुल वैल्यू 10,86,431 है। राजनीतिक दल राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के लिए अपने सांसदों और विधायकों को व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं। निर्वाचक मण्डल के वोटर के वोटों का मूल्य जटिल फार्मूला से तय किये जाते हैं ताकि सभी सांसदों और विधायकों के वोट का कुल वैल्यू लगभग एक समान हो और उनके राज्यों की आबादी के अनुपात में भी बराबर हो। ये जटिल फार्मूला भारतीय संविधान में समाहित एक वोट एक मूल्य के सिद्धांत की बुनियादी गारंटी के अनुपालन में अपनाई गई है। भारत के संविधान के आर्टिकल 55 और 58 के तहत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनने के लिए भारत का नागरिक जन्मना होना अनिवार्य है। जिन्होंने देश की नागरिकता अपने विवाह के बाद हासिल की वे इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर निर्वाचक मण्डल के कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदनकर्ता का हस्ताक्षर अनिवार्य है। ये शर्त बाद में रखी गई ताकि कोई अगंभीर प्रत्याशी चुनाव में खड़े नहीं हो सकें। पहले काका जोगिंदर सिंह धरतीपकड़ बरेली वाले भी मजाक–मजाक में इस चुनाव में अपने नामांकन के पर्चे दाखिल कर उम्मीदवार बन जाते थे। इस चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर राज्य सभा सेक्रेटरी जनरल (महासचिव) होंगे। 

कोविंद 

वह मूलतः उत्तर प्रदेश के हैं और राष्ट्रपति बनने के पहले 1991 में भाजपा में शामिल होने के बाद इसी प्रदेश से राज्यसभा के लिए 1994 और फिर 2000 में चुने गए थे। वह 8 अगस्त 2015 से बिहार के राज्यपाल रहे। वह 2017 में भी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के ही प्रत्याशी थे। कहते हैं उनकी उम्मीदवारी मोदी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) के सरसंघचालक (प्रमुख) मोहन भागवत की सहमति से तय की थी। रामनाथ कोविन्द का जन्म एक अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिला की डेरापुर तहसील के परौंख गाँव में हुआ था। वह कोली / कोरीजाति से हैं जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों में और गुजरात एवं उड़ीसा में अनुसूचित जनजातियों में शामिल है। वह विधि स्नातक की शिक्षा के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे।

उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उन्हें भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) ने 19 जून 2017 को राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया। चुनाव परिणाम 20 जुलाई 2017 को घोषित हुआ जिसमें एनडीए प्रत्याशी ने 65.65 फीसद वोट पाकर कांग्रेस के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की प्रत्याशी और दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार को करीब 3 लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया। भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में अधिकारी रह चुकीं मीरा कुमार लोकसभा की पूर्व स्पीकर भी हैं। भारत के संविधान के पूर्ण बल से 26 जनवरी 1950 को गणराज्य में परिणत होने के बाद कुल 14 राष्ट्रपति हुए हैं। थोड़े समय के लिए तीन कार्यवाहक राष्ट्रपति हुए। इनमें 1969 मे राष्ट्रपति पद पर जाकिर हुसैन के निधन के उपरांत वीवी गिरी प्रमुख हैं जो कुछ ही माह बाद राष्ट्रपति चुने गए। वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो कार्यवाहक राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भी रहे। भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एकमात्र व्यक्ति हैं जो दो बार राष्ट्रपति रहे। आठ राष्ट्रपति ऐसे रहे जो इस पद पर चुने जाने के पहले किसी राजनीतिक दल में थे। उनमें से छह कांग्रेस के, एक नीलम संजीवा रेड्डी, जनता पार्टी के और रामनाथ कोविन्द भाजपा के सदस्य थे।

दो राष्ट्रपति, डा. जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का निधन इस पद पर रहते हुआ। तब नए राष्ट्रपति चुने जाने तक तत्कालीन उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार सौंपा गया था। जाकिर हुसैन के निधन पर दो कार्यवाहक राष्ट्रपति हुए। तत्कालीन उपराष्ट्रपति गिरी ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे। उस बार राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी को स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेताओं द्वारा नियंत्रित कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी नीलम संजीवा रेड्डी के खिलाफ समर्थन कर दिया था। देश के 12 वें राष्ट्रपति के रूप में 2007 में प्रतिभा पाटिल को सर्वप्रथम महिला राष्ट्रपति चुना गया था। पहला राष्ट्रपति चुनाव 1952 में हुआ था। सातवें चुनाव में 1977 में 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किये जिनकी जांच में 36 के पर्चे खारिज हो गये। एक ही नामांकन पत्र वैध पाया गया जो नीलम संजीव रेड्डी का था।

बिहार सब पर भारी 

देश भर में कुल 4,809 निर्वाचकों में 223 राज्यसभा सदस्य, 543 लोक सभा सदस्य समेत 776 सांसद और विभिन्न राज्यों के कुल मिलाकर 4,033 विधायक शामिल हैं। बिहार के पास राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा तीनों मिलाकर कुल 81 हजार 687 मूल्य के वोट हैं। राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के एक विधायक के मत का मूल्य 173 है। विधायकों के कुल मत का वैल्यू 42 हजार 39 है। इसमें एनडीए के दलों के 52252 मत और भाजपा विरोधी दलों के 23970 वोट हैं जिनमें भाजपा के 28189, जेडीयू के 23361 आरजेडी के 15980, कांग्रेस के 4703, सीपीआईएमएल 2076, सीपीआई के 346, सीपीएम  के 346, एआईएमआईएम के 865, हम पार्टी के 692 और निर्दलीय 173 हैं। 

बहरहाल , मोदी जी अपनी चुनावी चालों से सबको चौंकाने में माहिर हैं। वे राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी चयन में कुछ भी अप्रत्याशित कर सकते हैं। देखना ये है कि वे ऐसा क्या करते हैं जो भारत को अगले पाँच बरस तक सशक्त राष्ट्रपति दे सके। 


(सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाड़ी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता और पुस्तक लेखन करते हैं।)

चंद्र प्रकाश झा
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चंद्र प्रकाश झा