सामाजिक सुरक्षा: केंद्र सरकार का बजट बनाम राजस्थान का बजट

देश में गरीबी-बेरोजगारी को दूर करने की बात तो सभी राजनीतिक दल और सरकारें करती हैं। लेकिन अधिकांश वादे और दावे जमानी स्तर पर आते-आते दम तोड़ देते हैं। केंद्र की मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही देश का विकास करने के साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में अत्यधिक उपलब्धियों को हासिल करने का बखान करती है। लेकिन अगर 2023-24 के केंद्रीय बजट और हाल ही में पेश कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों को देखा जाए तो मोदी सरकार के विकास और आम जनता से सरोकार की पोल खुल जाएगी। पहले हम केंद्रीय बजट और फिर बाद में राजस्थान सरकार के ताजा पेश हुए बजट की तुलना करेंगे।

1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए, वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने जोर देकर कहा कि “2014 से, केंद्र सरकार ने अपने सभी नागरिकों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता और सम्मान का जीवन” सुनिश्चित किया है। लेकिन बजट के आंकड़े और वित्त मंत्री की बयानबाजी का सच्चाई से कोई संबंध नहीं है। इस वर्ष, बजट में खाद्य सुरक्षा और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी विभिन्न सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं में भारी कटौती ने भारत में बड़ी संख्या में गरीब लोगों के पहले से ही अनिश्चित जीवन को और कमजोर कर दिया है।

निर्मला सीतारमन द्वारा पेश किए गए बजट में एक वर्ग को दरकिनार कर दिया गया है, वह है करोड़ों बुजुर्ग और अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशनभोगी, जिन्हें बेरहमी से बेसहारा होने के लिए छोड़ दिया गया है। 2007 से ही राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के तहत केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बुजुर्गों को 200 रुपये और विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों के लिए 300 रुपये प्रति माह की बेहद कम राशि से बढ़ नहीं रही है।

इसके अलावा, 2001 की जनगणना के अनुसार तैयार की गई गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) सूची में शामिल लोगों को ही पेंशन दी जाती है। परिणामस्वरूप, एनएसएपी (NSAP) के लिए बजट लगभग 9,000 करोड़ पर स्थिर बना हुआ है, और वास्तविक रूप से लगातार कम हो रहा है। इस वर्ष, एनएसएपी में 16 करोड़ रुपये की कमी देखी गई, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 9,652.31 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 9,636.32 करोड़ रुपये हो गई, जो विकास के तथाकथित “समावेशी” मॉडल का मज़ाक उड़ा रहा है।

केंद्रीय बजट पेश होने के मात्र 9 दिनों बाद 10 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार का बजट पेश किया गया। गौरतलब है कि गहलोत के पास ही वित्त विभाग भी है। राजस्थान का बजट भाजपा के दक्षिणपंथी विकास के जरिए से आलोचना का मुद्दा हो सकता है। लेकिन बजट में जिस तरह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्राथमिकता दी गई वह तारीफ के काबिल है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने युवा, बुजुर्ग, महिला और प्रदेश के विकास के लिए कई तरह की योजनाओं की घोषणा की है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम आय गारंटी के लिए साल भर में न्यूनतम 125 दिन काम की गारंटी के लिए महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना लागू करने जा रही है। रोजगार नहीं मिलने पर हर परिवार को 1000 रुपए महीना पेंशन दिया जाएगा। सामाजिक सुरक्षा योजना में 75 साल तक के 77 लाख बुजुर्गों को कम से कम 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अब बुजुर्गों को हर साल पेंशन में 15 फीसदी का इंक्रीमेंट मिलेगा।

एप बेस्ड वर्कर्स कल्याण बोर्ड का गठन

इसके साथ ही एप बेस्ड वर्कर्स कल्याण बोर्ड बनेगा। ऐप बेस काम करने वाले वर्कर्स की सिक्योरिटी के लिए कानून लाया जाएगा। इसपर 250 करोड़ खर्च आएगा। जिसका वहन राज्य सरकार करेगी। ऐप बेस वर्कर्स की सुरक्षा के लिए यह कानून लाया जाएगा। राहुल गांधी ने मालाखेड़ा की सभा में सीएम को गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए कुछ करने का सुझाव दिया था। इसी के तहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एप बेस्ट वर्कर्स कल्याण बोर्ड गठन करने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अगले दो साल में 30 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। वहीं, वाल्मीकि कोष 20 से बढ़ाकर 100 करोड़ कर दिया गया है।

30,000 सफाई कर्मियों की भर्ती का भी ऐलान

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एससी-एसटी विकास कोष की राशि में 500 करोड़ बढ़ाकर एक हजार करोड़ करने की घोषणा भी की है। साथ ही 30,000 सफाई कर्मियों की भर्ती का भी ऐलान किया है। अनुसूचित क्षेत्र के विकास के लिए योजना। स्थानीय ग्राम सभा को सशक्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी वितरण योजना के तहत 5000 स्कूटी दी जाए। मुख्यमंत्री ने इंदिरा रसोई के विस्तार की घोषणा की। इंदिरा रसोई का संख्या 1 हजार से बढ़कर 2 हजार होगी। इस योजना पर 700 करोड़ का सालाना व्यय होगा।

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमा राशि 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख की गई। इस लाभ को निशुल्क प्राप्त करने वाले परिवारों में बढ़ोतरी की गई है। अब ईडब्ल्यूएस परिवारों को भी निशुल्क चिरंजीवी बीमा योजना का फायदा मिलेगा। 500 अतिरिक्त एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएंगी। निशुल्क जांच में 56 जांचें ब्लॉक स्तर के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी शुरू की जाएंगी।

टेस्टिंग उपकरण सहित आवश्यक उपकरणों के लिए 30 करोड़ रुपए

दुर्घटना बीमा की राशि को भी 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए करने का ऐलान किया। इसके अलावा आरयूएचएस में पोस्ट कोविड सेंटर खोलने का भी ऐलान किया। निशुल्क जांच में टेस्टिंग उपकरण सहित आवश्यक उपकरणों के लिए 30 करोड़ रुपए। प्रतापगढ़, जालौर, राजसमंद में मेडिकल कॉलेज राज्य सरकार खुलवाएगी। इसके बाद राजस्थान के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे। 50 करोड़ की लागत से चाकसू में सेंटर एक्सीलेंट पंचकर्मा खुलेगा।

जिला स्तर पर रोड सेफ्टी टास्क फोर्स का गठन होगा

राज्य सरकार पंचकर्म सेंटर पर फोकस करेगी। प्रदेश में सड़क दुर्घटना में प्रतिवर्ष 10000 मौतें होती हैं। स्टेट रोड सेफ्टी इंस्टीट्यूट का गठन जैसे ठोस कदम उठाए जाएंगे। जिला स्तर पर रोड सेफ्टी टास्क फोर्स का गठन होगा। बाल वाहनों और बसों में अनिवार्य रूप से कैमरे लगेंगे। मिलावटखोरों को किसी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा। उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 250 से ज्यादा फूड सेफ्टी ऑफिसर के पद सृजित हो चुके हैं। जिला स्तर पर भी फूड सिक्योरिटी और सेफ्टी ऑफिसर पदों का सृजन होगा। जोधपुर में मारवाड़ मेडिकल यूनिवर्सिटी बनेगी।

सभी भर्ती परीक्षाओं को किया निशुल्क

नकल रोकने और पेपर लीक रोकने के लिए एसओजी के अधीन आधुनिक साधनों से एसटीएफ गठित करने का प्रावधान किया गया है। राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग, बोर्ड के लिए 50 करोड़ रुपए। एक बार निर्धारित फीस देने के बाद सभी भर्ती परीक्षाओं को निशुल्क करने की घोषणा की गई है। इस पर 200 करोड़ रुपए का वित्तीय भार सरकार पर आएगा। इस साल 30 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा, आगामी साल में 100 रोजगार मेले प्रस्तावित हैं। सीएम अनुप्रति कोचिंग योजना में 15 हजार युवाओं से बढ़ाकर आगामी साल में 30 हजार स्टूडेंट्स को लाभान्वित किया जाएगा।

अनुप्रति योजना का दायरा बढ़ाकर दोगुना किया

विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए अनुप्रति योजना शुरू की थी जिसे सफलता मिल रही है। इस योजना के तहत अब 15000 के बजाय 30000 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया जाएगा अनुप्रति योजना का दायरा बढ़ाकर दोगुना किया जाएगा । जिला मुख्यालय पर 100 बेड की क्षमता के विवेकानंद यूथ हॉस्टल बनाए जाएंगे। प्रत्येक जिला मुख्यालय पर सावित्रीबाई फुले वाचनालय शुरू किए थे। अब प्रत्येक उपखंड मुख्यालय पर ऐसी लाइब्रेरियां बनेंगीं।

मशीन के लिए 5-5 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा

विश्वकर्मा कामगार कल्याण योजना उपकरण के तहत सिलाई मशीन के लिए 5-5 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा, 1 लाख युवा लाभान्वित होंगे। स्टार्टअप और आधुनिक तकनीक आधारित उद्योग के लिए 250 करोड़ की सहायता राशि, 25 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए तक सहायता दी जाएगी। 500 करोड़ रुपए की लागत से युवा विकास कोष स्थापित किया जाएगा। बालिकाओं को स्कूटियों की संख्या 20 हजार से बढ़ाकर 30 हजार की जाएगी। इलेक्ट्रिक स्कूटी दिया जाना प्रस्तावित है। छात्राओं के साथ ही छात्रों को भी आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में 1 से 12वीं क्लास तक निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है। ट्रांसपोर्ट वाउचर स्कीम स्कूली बच्चों के लिए लागू की जाएगी। रोजाना 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 75 किलोमीटर यात्रा हो सकेगी।

राजस्थान सरकार ने जिस तरह अपने बजट में योजनाओं को आम आदमी, गरीब, बुजुर्ग,बेरोजगारों और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया है, उससे अन्य राज्यों की सरकारें और केंद्र सरकार के लिए भी एक सबक है।

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