महंत नरेंद्र गिरि के चाय पीने,न पीने में छिपा है मौत का रहस्य

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि संदिग्ध मौत की दिशा आत्महत्या के बजाय हत्या की ओर जा रही है। इसमें एक एंगल महंत के चाय पीने और न पीने को लेकर है। सेवादारों ने सीबीआई को क्या बताया यह तो किसी को नहीं मालूम, लेकिन जानकार सूत्रों का दावा है कि सेवादारों का यह कहना कि महंत ने चाय नहीं पी पूरी तरह से गलत है। महंत ने तीन बजे चाय पीने से इंकार किया पर साढ़े तीन बजे उनके लिए अलग से चाय बनी जिसे सेवादार धर्मेन्द्र ने ले जाकर महंत को दी। उस समय महंत कमरे के बाहर रखी कुर्सी पर बैठे थे। चाय पीकर महंत फिर कमरे में चले गये। इसके लगभग एक घंटे बाद महंत की आत्महत्या का हंगामा शुरू हुआ। अब आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं चाय में बेहोशी का ड्रग मिलाकर तो महंत को नहीं पिला दिया गया और फिर कमरे में अटैच वाशरूम में पहले से छिपे हत्यारों ने उनकी गला घोंट कर हत्या कर दी और फांसी का नाटक रच दिया। सीसीटीवी बंद होने से इस आशंका को बल मिल रहा है।

अब यह तथ्य आत्महत्या का संकेत देता है या हत्या का लेकिन यह भी हकीकत है कि महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत वाली घटना के दिन काफी देर तक मठ के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद पाए गए हैं। बिजली नहीं थी या जानबूझकर सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गये थे।प्रयागराज की पुलिस ने घटना के दिन ही यदि इस सब सबूतों पर ध्यान दिया होता तो सबूत मिटाने का मौका दोषियों को नहीं मिलता। जहां तक फांसी लगाने की बात है, उस कमरे के बेड की चादरों पर सिलवटें तक नहीं मिली हैं। सारे साजो सामान अपनी जगह व्यवस्थित थे।यही नहीं जब जिंदा होने की सम्भावना में फांसी के फंदे को काटकर महंत को नीचे उतरा गया तो उनका शरीर पलंग पर लिटाने के बजाय नंगे फर्श पर लावारिस की तरह क्यों डाल दिया गया?इससे प्रदर्शित हो रहा है कि कोई तो है जो महंत से अतिशय घृणा करता था। ऐसे में फांसी लगाने जैसी घटना के कोई भी निशान सीबीआई को शायद ही वहां मिले होंगे ।

सीबीआई ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद रविवार को सीन रिक्रिएट कराया। सीबीआई के अधिकारियों ने दरवाजा खोलने वाले शिष्य सर्वेश, सुमित और धनंजय सहित अन्य सेवादारों से घटना के दिन हुए वाकये का सीन रिक्रिएट कराया। कैसे दरवाजा खोला, अंदर पहले क्या देखा, कैंची कहां से लाए और फिर कैसे शव को नीचे उतारा। पंखा कैसे चला इस पर कोई शिष्य संतोषजनक जवाब शायद ही दे पाया होगा । सीबीआई टीम के साथ फारेंसिक टीम भी मौजूद रही।

सीबीआई ने बाघंबरी गद्दी मठ के कमरे में घटना का 3 बार रिक्रिएशन किया। सीबीआई ने नॉयलान की रस्सी से महंत के वजन के बराबर 85 किलो के पुतले को लटकाकर सेवादारों से 3 बार उतरवाया।रुई से भरे बोरे में 85 किलो के बटखरों को रखकर पंखे से लटकाया गया। फिर सेवादारों से रस्सी काटकर बोरा उतरवाया गया।इस दौरान उन पुलिसकर्मियों को भी बुलाया गया था जो घटना के बाद सबसे पहले पहुंचे थे। उनसे भी पूछताछ की गई। पूरी घटना की वीडियोग्राफी भी कराई गई।

सीबीआई ने क्राइम सीन रिक्रिएट करने के लिए सेवादार सुमित तिवारी, सर्वेश द्विवेदी और धनंजय के साथ उन सभी को बुलाया गया था जो घटना वाले दिन महंत के आस पास थे। रुई से भरे बोरे में 20-20 किलो के चार और पांच किलो का एक बटखरा रखा गया। इसके बाद गेस्ट हाउस के उसी कमरे और पंखे से बोरे को नायलान की रस्सी से लटका दिया गया। सेवादारों को पहले सब कुछ समझा दिया गया था कि जो भी घटना वाले दिन हुआ था, उसे हूबहू दोहराना है।

उस दिन किस तरह व्यवहार किया था उसे भी दोहराना था। 20 सितंबर की शाम को सर्वेश ने नरेंद्र गिरि को फोन किया था। जब फोन बंद मिला तो सुमित और धनंजय उन्हें बुलाने गए थे। यहीं से क्राइम सीन की शुरूआत हुई। आज जब दरवाजा नहीं खुला तो सुमित और सर्वेश ने धक्का देकर सिटकनी तोड़ी। फिर वे धनंजय के साथ कमरे में गए। वहां रस्सी काटकर बोरे को नीचे जमीन पर रखा गया। इसके बाद उन लोगों ने जिन जिन लोगों को मोबाइल से घटना की जानकारी दी थी।

उन सबको फोन कराए गए। जो बात उस दिन कहा था। उसे ही दोहराने को कहा गया। सीबीआई ने पूरे क्राइम सीन की वीडियोग्राफी भी कराई गई। इसके साथ ही सीबीआई के साथ आए फोरेंसिक और फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट भी इस पूरे वाकये पर नजर बनाए हुए थे। घटना के बाद जो जो लोग कमरे में पहुंचे थे, उन्हें भी बुलाया गया। घटना के बाद सबसे पहले आने वाले पुलिस वालों से भी पूछताछ की गई।

मामले को हाथ में लेने के बाद सीबीआई ने पूछताछ का दायरा भी बढ़ा दिया। रविवार को बलवीर के साथ ही छह सेवादारों से कई घंटे पूछताछ की गई।सीबीआई सुसाइड नोट के एक एक लाइन की जांच कर रही है। महंत के दस्तखत वाले पुराने सभी दस्तावेजों को मंगा लिया गया है। टीम में राइटिंग एक्सपर्ट भी शामिल किए गए हैं।

सीबीआई ने महंत नरेंद्र गिरि द्वारा छह सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नाम से फर्जी ट्विटर हैंडल चलाने के मामले में दर्ज कराए गए मुकदमे को भी जांच में शामिल कर लिया है। नरेंद्र गिरि ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अखाड़ा परिषद के नाम से ट्विटर हैंडल तैयार कर ट्विट करने का मुकदमा दारागंज में दर्ज कराया था।

रिक्रिएशन से सीबीआई यह पता करना चाहती है कि क्या इतनी पतली रस्सी 85 किलो का भार उठा सकती है? सेवादारों से मौके पर सीबीआई ने यह भी पता किया कि क्या शव को उस तरह फांसी से उतारना संभव है, जैसा उन्होंने बताया था। जांच एजेंसी अब उनके बयानों का विश्लेषण करेगी। सीबीआई ने बलवीर गिरि से भी एक घंटे तक पूछताछ की। बलवीर ने सीबीआई को बताया कि उस दिन वह महंत के कमरे नहीं था। वीडियो में जो संत उनकी तरह दिख रहे हैं, वे अमर गिरि थे।

सीबीआई ने महंत का शव उतारने वाले सेवादार सुमित का मोबाइल जब्त कर लिया है।महंत नरेंद्र गिरि ने जिस कमरे में कथित तौर पर सुसाइड किया था, उसकी मेज पर एक मिठाई का थैला और खाली डिब्बा मिला था। जिस पर अलवर, राजस्थान लिखा हुआ था। आनंद गिरि भी राजस्थान का रहने वाला है। दरअसल मठ के लोगों के मुताबिक हाल फिलहाल महंत से मिलने राजस्थान से कोई नहीं आया था। ऐसे में उनके पास अलवर का नया झोला कहां से आ गया? झोला अलवर के मशहूर बाबा स्वीट की है जो कलाकंद की मिठाइयों के लिए जानी जाती है। झोले में मिठाई का कोई डिब्बा नहीं मिला था। सीबीआई की जांच में यह तथ्य भी जांच के दायरे में है कि यह मिठाई का झोला कौन राजस्थान से लेकर आया था। इस बैग का आनंद गिरि से क्या कनेक्शन है?

भूतल पर बने उस कक्ष का दरवाजा तोड़कर भीतर घुसने वाले शिष्यों की बात कितनी सच है, यह भी गहरी जांच का हिस्सा हो सकता है। इसलिए कि जिस कक्ष में महंत का शव मिला, उससे संबद्ध बाथरूम का दरवाजा भीतर से लिंक होने के साथ ही बाहर भी खुलता है। खुफिया विभाग ने घटना के बाद उस कक्ष के चोर दरवाजे की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी थी।

महंत नरेंद्र गिरि की 20 सितंबर को मौत हुई थी। उनका शव मठ के एक कमरे में फंदे पर लटका मिला था। 11 पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला था। इसमें उनके शिष्य आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के प्रमुख पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी का जिक्र था। तीनों को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। फिलहाल तीनों जेल में हैं।

महंत नरेंद्र गिरि के वकील ऋषि शंकर द्विवेदी के अनुसार महंत नरेंद्र गिरि ने कानूनी तौर पर बलवीर गिरी के नाम पर वसीयत बनवाई थी। महंत नरेंद्र गिरि ने 2010 से 2020 के बीच में 3 वसीयत बनवाई थीं।नरेंद्र गिरी ने 7 जनवरी 2010 को पहली वसीयत करवाई थी।इसमें उन्होंने बलवीर गिरी को उत्तराधिकारी बनाया था।29 अगस्त 2011 को दूसरी वसीयत में बलवीर की जगह आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बनवाया था।महंत नरेंद्र गिरि ने 4 जून 2020 को तीसरी और आखिरी वसीयत की थी।इसमें उन्होंने फिर बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया था। बलवीर को बाघमबारी की संपत्ति का अकेला उत्तराधिकारी बनाया गया था।उन्होंने दोनों वसीयत रद्द करवा दी थीं।

सोमवार को बाघंबरी गद्दी मठ में महंत नरेंद्र गिरि की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई इसका सच सामने आएगा या नहीं फिलहाल कहना मुश्किल है । इस घटना के पीछे सबसे बड़ा सवाल उनकी सुरक्षा को लेकर खड़ा हो रहा है, क्योंकि महंत नरेंद्र गिरि को वाई श्रेणी की विशेष सुरक्षा मिली हुई थी। पुलिस अफसरों के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा में पीएसओ, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल समेत कुल 11 जवानों की तैनाती थी। महंत की सुरक्षा के लिए जवानों की आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई थी। साथ में पुलिस स्कॉर्ट भी उनके साथ चलती थी। कहा जा रहा है कि नियमानुसार ऐसी शख्सियत के आराम करने अथवा सोने के दौरान भी उनके कमरे के बाहर एक सुरक्षा गार्ड की तैनाती रहनी चाहिए। लेकिन, जिस समय महंत की मौत की बात कही जा रही है, तब वहां कोई गार्ड तैनात नहीं था।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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