अंतरराष्ट्रीय जगत में गूंजी किसानों की आवाज; विदेश मंत्रालय परेशान, आईटी सेल जुटा डैमेज कंट्रोल में

भारत का किसान आंदोलन बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जा पहुंचा और उसने भारतीय विदेश मंत्रालय को घुटनों के बल खड़ा कर दिया। अंतरराष्ट्रीय पॉप सिंगर #रिहाना (#Rihanna) ने मंगलवार को किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था, लेकिन बीजेपी आईटी सेल ने अपने तुरुप के इक्के विवादास्पद बॉलिवुड एक्ट्रेस #कंगना_रनौत को रिहाना के खिलाफ ट्वीट करवा कर इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच दे दिया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर #किसान आंदोलन के समर्थन में कई हस्तियों ने ट्वीट किए।

रिहाना के समर्थन के जवाब में कंगना ने किसानों को आतंकवादी बताया और कहा कि वे किसान नहीं हैं, वे भारत को बांटना चाहते हैं। कंगना ने यह तक कह डाला कि इसका फायदा उठाकर चीन भारत पर कब्जा कर लेगा। बताया जाता है कि कंगना पर जब सनक सवार होती है तो वह इसी तरह का ट्वीट करती हैं, लेकिन बीजेपी आईटी सेल ने इस बार कंगना का बाकायदा इस्तेमाल किया।

करीब दस करोड़ लोग रिहाना को ट्विटर पर फॉलो करते हैं, जबकि कंगना के फॉलोवर्स की संख्या तीस लाख है। जाहिर है कि कंगना से रिहाना की टक्कर कराने के बाद बीजेपी आईटी सेल का अनुमान था कि मामला फिफ्टी-फिफ्टी पर छूटेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पर्यावरण के नोबल पुरस्कार से सम्मानित #ग्रेटा_थनबर्ग (#GretaThunberg) ने बुधवार सुबह अपनी ट्वीट से हलचल मचा दी। ग्रेटा ने #किसान_आंदोलन का फोटो ट्वीट के साथ लगाते हुए कहा कि हमें इनका (किसानों का) समर्थन करना चाहिए।

#बीजेपी_आईटी_सेल और उसके तमाम आनलाइन मीडिया पोर्टलों ने ग्रेटा को छोटी बच्ची बताते हुए उसके ट्वीट को महत्वहीन करने की कोशिश की। #बीजेपी समर्थक मीडिया पोर्टलों ने ग्रेटा के नाम के आगे से नोबल पुरस्कार विजेता बहुत सफाई से हटा दिया, लेकिन उनकी यह चाल उस वक्त नाकाम हो गई जब भारत का युवा ग्रेटा के समर्थन में आया और उसने लिखा कि नोबल पुरस्कार से सम्मानित इस एक्टिविस्ट की बात सुनी जानी चाहिए। बीजेपी वाले इसे छोटी बच्ची कहकर इसके बयान को खारिज नहीं करें।

अमेरिका में जब रात गहराई तो वहां की उपराष्ट्रपति #कमला_हैरिस (#KamlaHarris) की भतीजी #मीना_हैरिस (#MeenaHarris) ने भी #सिंघु_बॉर्डर का फोटो जारी करते हुए किसानों का समर्थन किया। पेशे से वकील, न्यू यॉर्क टाइम्स की स्तंभ लेखिका और बेस्ट सेलर किताब लिखने वाली मीना हैरिस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारतीय किसान आंदोलन के समर्थन की अपील की।

मीना हैरिस का ट्वीट अभी टॉप ट्रेंड में था ही कि इतने में पूर्व पोर्न एक्ट्रेस, लेबनानी-अमेरिकी मीडिया हस्ती और वेबकैम मॉडल #मिया_खलीफा ने भी किसान आंदोलन का समर्थन कर दिया। बीजेपी आईटी सेल के भाड़े के लोगों के मुंह से झाग निकल रहे हैं। वे मिया खलीफा की अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता जानते हैं। जब उनसे कुछ नहीं बन पड़ा तो वे मिया खलीफा को सेक्स वर्कर, पोर्न स्टार जैसी काल्पनिक उपाधियों से सुशोभित कर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ ने मिया खलीफा को कांग्रेस नेता #राहुल_गांधी से भी जोड़ने की कोशिश की।

इसके बाद #भारतीय_विदेश_मंत्रालय के अधिकारियों को पसीने आने लगे। अमेरिका में तो नहीं, लेकिन दिल्ली से एक बयान जारी किया गया कि लोग टिप्पणी करने से पहले इस मुद्दे को समझें और खोजबीन करें कि ये आंदोलन क्या है। उसने कहा कि #सोशल_मीडिया पर कतिपय लोगों द्वारा की गई टिप्पणियां न सही हैं और न ही जिम्मेदारी वाली हैं।

दरअसल, विदेश मंत्रालय यह चाहता है कि लोग गूगल पर इस आंदोलन के बारे में उस बकवास को पढ़ें जो बीजेपी आईटी सेल और उसके मीडिया पोर्टलों ने इस आंदोलन को #खालिस्तान से जोड़कर लिखा है। हाल ही में बीजेपी के मीडिया पोर्टल में भर्ती किए गए कुछ पत्रकारों से कहा गया है कि वे इस आंदोलन को #खालिस्तानी_मूवमेंट से जोड़ने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। इन पत्रकारों की नौकरियां हाल ही में #कोविड19 और #लॉकडाउन की वजह से चली गईं थीं। कुछ को बीजेपी आईटी सेल और उसके द्वारा संचालित होने वाले मीडिया पोर्टलों में नौकरियां मिली हैं। इनके जिम्मे एक ही टास्क है– किसान आंदोलन को खालिस्तान, पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (#पीएफआई), नक्सलियों से जोड़कर किसी भी रूप में बदनाम किया जाए।

रिहाना, मिया खलीफा, मीना हैरिस के अलावा कई जाने-माने पत्रकारों ने भी किसान आंदोलन का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि #कश्मीर की तर्ज पर दिल्ली के आसपास #इंटरनेट_पाबंदी का मजाक भी उड़ाया।

दिलीप मंडल और जेएनयू प्रोफेसर
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (#जेएनयू) के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने भी इस विवाद में रोटियां सेंकने की कोशिश की। उन्होंने लिखा कि ग्रेटा को तो वो जानते हैं लेकिन मिया खलीफा कौन है, इसके बारे में मुझे गूगल करना पड़ेगा। प्रोफेसर साहब ने यह डर भी व्यक्त किया कि मुझे डर है कि गूगल अब मिया खलीफा से संबंधित विज्ञापनों की बमबारी मुझ पर कर देगा। यानी प्रोफेसर साहब को बदनामी का डर भी सताने लगा कि कोई उन्हें पूर्व पोर्नोग्राफिक एक्ट्रेस मिया खलीफा से न जोड़ दे।

गूगल ने तो प्रोफेसर साहब को परेशान नहीं किया लेकिन दलित विचारक और तेज तर्रार पत्रकार #दिलीप_मंडल ने प्रोफेसर साहब को घेर लिया। दिलीप ने लिखा कि आप बेशक मिया खलीफा की आलोचना करें, आप उसके विचार न पसंद करें, लेकिन मिया खलीफा को न जानना पत्रकारिता और मॉस कम्युनिकेशन के क्षेत्र में एक आपराधिक और ईश निंदा जैसा मामला है। #भारतीय_पत्रकारिता की यह दुखदायी कहानी है जो प्रोफेसर की मेरिट पर सवाल उठाता है।

बता दें कि प्रो. आनंद रंगनाथन आरएसएस-बीजेपी समर्थक पत्रिका और पोर्टल #स्वराज्य के सलाहकार संपादक और स्तंभ लेखक हैं। हालांकि प्रोफेसर साहब खुद को वैज्ञानिक कहलवाना भी पसंद करते हैं। वे पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं को लेक्चर भी देते हैं और कई किताबें भी लिख चुके हैं।

प्रोफेसर आनंद रंगनाथन दलित चिंतक दिलीप मंडल को तो जवाब नहीं दे सके, लेकिन दिलीप मंडल जरूर संघी पोर्टलों के निशाने पर आ गए। संघी पोर्टलों ने दिलीप मंडल के खिलाफ जमकर जहर उगला और कहा कि यह शख्स हर मुद्दे में जाति और आरक्षण को घुसेड़ देता है, लेकिन दिलीप मंडल के ट्वीट को वायरल होने से #संघ_पोर्टल रोक नहीं सके। संघी मीडिया पोर्टल दिलीप मंडल से इतनी नफरत करता है कि वह उन्हें आए दिन निशाने पर लेता रहता है।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

यूसुफ किरमानी
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