करनाल में किसानों पर वॉटर कैनन, किसान मिनी सचिवालय पर डटे

हरियाणा के करनाल में आख़िरकार भाजपा सरकार ने अपनी नासमझी का नमूना फिर से पेश कर दिया। बातचीत नाकाम होने के बाद जब किसान शांतिपूर्ण तरीक़े से मार्च करते हुए और तमाम बैरिकेडिंग तोड़ते हुए आगे बढ़े तो सेक्टर 12 में लघु सचिवालय के पास पर उन पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल हुआ। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक किसान लघु सचिवालय पर धरना देकर बैठ गए हैं। यह कब तक चलेगा, इसका कोई फ़ैसला नहीं हुआ।

खुद करनाल ज़िला प्रशासन ने बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 11 नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। बातचीत का यह तमाशा हरियाणा सरकार के इशारे पर करनाल ज़िला प्रशासन के अफ़सरों ने किया और फिर कहा कि प्रशासन किसानों की कोई माँग नहीं मानेगा। प्रशासन की रणनीति यह थी कि वो किसी तरह शाम होने का इंतज़ार कर रहा था, ताकि किसान खुद ही लौट जाएँगे।

नेताओं को लिया हिरासत में

किसान नेता करनाल अनाज मंडी लौटे और बताया कि बातचीत नाकाम हो गई। फिर उन्होंने किसानों से पूछा कि क्या करना चाहिए, इस पर किसानों ने कहा कि अभी लघु सचिवालय की तरफ़ मार्च करना चाहिए। इसके बाद किसान खुद खड़े हो गए। आगे-आगे राजेवाल, दर्शन पाल, राकेश टिकैत, चढ़ूनी, योगेन्द्र यादव और बाक़ी नेता थे। इनके पीछे पीछे हज़ारों किसान चल रहे थे। नमस्ते चौक पर पुलिस ने सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया और बस में बैठा दिया। हिरासत में लेने के बाद जब हालात बिगड़ने लगे तो पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत से छोड़ दिया।

हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दोपहर को दावा किया था कि ज़िला प्रशासन से बातचीत चल रही है। कोई न कोई हल निकल आएगा। लेकिन खट्टर ने यह बयान किस आधार पर दिया था कोई नहीं जानता। सरकारी सूत्रों का कहना था कि करनाल ज़िला प्रशासन के अधिकारी खुद कोई फ़ैसला लेने में सक्षम नहीं थे। उन्हें चंडीगढ़ से जो आदेश मिल रहे थे, उसी के मुताबिक़ वो कर रहे थे। सरकार में आज कहीं न कहीं तालमेल का अभाव ज़रूर था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने व्यंग्य में कहा कि हो सकता है कि चंडीगढ़ वालों को पीएमओ से और पीएमओ को नागपुर से आदेश मिल रहे हों।

वॉटर कैनन चली

किसान नेताओं को हिरासत में लेने के बाद किसानों का बड़ा जत्था सेक्टर 12 में लघु सचिवालय जा पहुँचा। वहाँ उसने आख़िरी बैरिकेडिंग भी तोड़ दी। पुलिस ने जमकर वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद युवा किसान लघु सचिवालय के अंदर घुस गए और उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार की सारी तैयारी को धता बता दिया। किसानों से खट्टर सरकार के इस शक्ति परीक्षण में जीत किसानों की ही हुई है। इस बीच कुछ छुटपुट स्थानों पर पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज भी किया।

किसानों के लिए माँगा पानी और खाना

करनाल के प्रदर्शन में काफ़ी किसान दूरदराज़ के गाँवों से आए थे। जिनका रात में लौटना मुश्किल है। उनके लिए स्थानीय नेतृत्व ने करनाल शहर के लोगों से अपील की है कि वे पानी और खाने का इंतज़ाम करें। इसका असर हुआ। करनाल शहर में काफ़ी लोग घर के बाहर पानी की बोतल, बिस्कुट और चाय लेकर खड़े नज़र आए।

इस प्रदर्शन का संदेश

इस प्रदर्शन से किसानों की माँगें तो पूरी नहीं हुईं लेकिन उन्होंने भाजपा सरकार के उस ग़ुरूर को तोड़ दिया है, जिसने तानाशाही तरीक़ों से करनाल में उसको घुसने से रोकने की कोशिश की। समझा जाता है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता देर रात या कल बुधवार को अपनी अगली रणनीति का ऐलान करें। करनाल आए किसानों में आईएएस आयुष सिन्हा पर कार्रवाई न होने की वजह से काफ़ी ग़ुस्सा देखा गया। हरियाणा सरकार को इस बड़बोले अफ़सर पर कोई न कोई कार्रवाई करनी ही पड़ेगी। अभी तो उसने सिन्हा का तबादला कर उसे प्रमोशन दे दी है। 

यह कहा जा सकता है कि हरियाणा में किसानों और सरकार के बीच मामला उलझ गया है। आज का राउंड किसानों के नाम रहा लेकिन किसानों को किसान नेता कितना शांत रख पाएँगे, ये देखना है। हरियाणा में भाजपा नेताओं का विरोध बढ़ने वाला है। करनाल के घटनाक्रम ने किसान आंदोलन में नई जान डाल दी है।

दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे जाम

जीन्द से करनाल जाने वाले जिन किसानों को रोका गया, उन्होंने चंडीगढ़ हाईवे जाम कर दिया। यही हाईवे दिल्ली को भी जोड़ता है। इस तरह दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे अभी भी जाम पड़ा है। जीन्द में पड़ने वाले अलेला गाँव में करनाल-जीन्द राज्य मार्ग को किसानों ने जाम कर रखा है। यह स्थिति कल भी विकट हो सकती है। दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों पर हज़ारों वाहन फँसे हुए हैं। जिन्हें दिल्ली की तरफ़ या चंडीगढ़ की तरफ़ जाना है।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

यूसुफ किरमानी
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