सीपी कमेंट्री: संघ के सिर चढ़कर बोलता अल्पसंख्यकों की आबादी के भूत का सच!

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का स्वघोषित मूल संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ-चालक ( प्रमुख ) डॉक्टर मोहन भागवत ने इसके 93वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में नागपुर स्थित मुख्यालय के प्रांगण में विजयादशमी को वार्षिक बौद्धिक (ज्ञानोद्बोधन) में वही कहा जिसकी भाजपा को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा , मणिपुर और गुजरात के 2021 की पहली तिमाही में संभावित चुनाव में मतदाताओं का धार्मिक आधार पर विभाजन कर जनादेश प्राप्ति की वैतरणी पार करने की सख्त जरूरत है। भागवत जी आगे बोले भारत विभाजन की टीस आज तक नहीं गई है। लोगों को सही इतिहास बताया जाना चाहिए। ताकि वे अगली पीढ़ी को इससे अवगत करा सकें।

उन्होंने खुले में प्रतीकात्मक शस्त्र पूजा करने के बाद संगठन प्रचारक और स्वयंसेवकों की करीब 200 की जुटी भीड़ से कहा भारत विभाजन की टीस अब तक नहीं गई है। ( देखें फ़ोटो )

आरएसएस बोले तो चित्तपावन ब्राह्मण

हिन्दू धर्म की जाति व्यवस्था के प्रतिरोध में डॉक्टर बाबासाहब भीमराव आंबेडकर की अगुवाई में दलितों के शुरू हुए प्रतिरोध की प्रतिक्रिया में महाराष्ट्र के देशस्थ चितपावन ब्राह्मण समुदाय ने विजयादशमी के दिन ही 1925 में नागपुर में आरएसएस की स्थापना की थी। उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैय्या को छोड़ कर आरएसएस के सभी प्रमुख चितपावन ब्राह्मण ही बने हैं। हर आरएसएस प्रमुख अगले प्रमुख को अपने ही मन से मनोनीत कर जाते हैं। इसकी देश भर में कायम अनगिनत शाखाओं में भी विजयादशमी के ही दिन स्थापना दिवस मनाया जाता है।
आरएसएस मुख्यालय पर इस बरस के विजयादशमी समारोह में सैन्यतांत्रिक इजरायल के नई दिल्ली स्थित भारतीय दूतावास से सम्बद्ध और मुंबई में तैनात महावाणिज्य दूत कोब्बी शोशानी बतौर आमंत्रित विशेष अतिथि मौजूद थे।

भागवत उवाच

भागवत जी ने कहा कि 2021 भारत की स्वाधीनता का 75 वां वर्ष है। 15 अगस्त 1947 को हमने स्वाधीन होकर देश को आगे चलाने के लिए शासन-सूत्र स्वयं के हाथों में ले लिए। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वह प्रारंभ बिंदु था। स्वाधीनता रातों-रात नहीं मिली। स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो इसकी भारत की परंपरा के अनुरूप कल्पनाएँ मन में लेकर देश के सभी क्षेत्रों से सभी जाति-वर्गों से आगे आए वीरों ने तप, त्याग और बलिदान किये। मगर अब, देश में आबादी का असंतुलन समस्या बन गई है। हमें अगले 50 बरस के लिए नई आबादी नीति बनानी होगी। भारत में इस्लाम और ईसाई धर्मावलम्बी आक्रमण के जरिए आए। यहूदी और पारसी शरणार्थी बन कर आए।

भागवत जी के पहले से तैयार लिखित संभाषण में देश में इस्लाम और ईसाई धर्म के लोगों की आबादी बढ़ने की सरकारी तौर पर अभी तक अपुष्ट धारणा को लेकर आएसएस की शीर्ष नीति-निर्धारक निकाय, अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के 2015 में पारित प्रस्ताव का जिक्र है।

तथ्य-पत्रक

हम जानते हैं कि 26 जनवरी, 1950 को दुनिया के सामने घोषित दक्षिण एशिया का भारत गणराज्य क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व का 7 वां सबसे बड़ा और आबादी के लिहाज से चीन के बाद सबसे बड़ा देश है। संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम डेटा के आधार पर वर्ल्डमीटर के 16 अक्टूबर 2021 को जारी आंकड़ों में भारत की आबादी 1397457529 यानि 1.39 अरब बताई गई जो दुनिया भर की आबादी का 17.7 फीसद है। भारत की आबादी का 35.0 फीसद शहरी है। भारत सरकार के 2011 की पिछली दशकीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश के कुल 2,973,190 वर्ग-किलोमीटर भू-क्षेत्रफल में आबादी का घनत्व प्रति वर्ग-किलोमीटर 464 है।
भारत में इस्लाम, सनातनी हिन्दू के बाद सबसे बड़ा धर्म है। इस्लाम धर्म के लोगों की संख्या 172.2 मिलियन है जो कुल आबादी का 14.2 फीसद है। भारत में मुसलमान, मुस्लिम-बहुल देशों के बाहर सबसे ज्यादा हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम दक्षिण एशिया में ही हैं। विश्व की मुस्लिम आबादी में एक–तिहाई दक्षिण एशिया मूल के लोगों की है। भारत की मुस्लिम आबादी में सुन्नी बहुसंख्यक हैं और शिया अल्पसंख्यक हैं।

समाजशास्त्र की डेविड मेंडलबाम लिखित क्लासिक पुस्तक सोसायटी इन इंडिया के अनुसार भारत में ऐसा कोई धर्म नहीं जिसमें हिन्दू धर्म की जातीय व्यवस्था कमोबेश घुस न गई हो है। केश कटाने की मनाही वाले सिख बहुल पंजाब में भी शादी-ब्याह आदि के लिए नाई जाति की जरूरत पड़ती है।

भारत के राज्यों में सर्वाधिक 38400,000 मुस्लिम उत्तर प्रदेश में हैं।उसके बाद सबसे ज्यादा 24600000 मुस्लिम पश्चिम बंगाल में,17500000 बिहार में,12900000 महाराष्ट्र में, 10600000 असम में,8800000 केरल में, 8500000 जम्मू-कश्मीर में और 6200000 राजस्थान में हैं। कर्नाटक का प्रामाणिक एबसोल्यूट डेटा तत्काल उपलब्ध नहीं हो सका। वहाँ की कुल आबादी में मुस्लिम के 11 फीसद होने का आकलन है।
मध्यकालीन इतिहास में दिल्ली सल्तनत और मुग़ल साम्राज्य ने दक्षिण एशिया के अधिकतर हिस्से पर कई बरस राज किया। बंगाल सल्तनत, दक्कन सल्तनत, मैसूर (कर्नाटक) में टीपू सुल्तान, निजाम ( हैदराबाद ) और बिहार के शेरशाह सूरी द्वारा कायम सूर साम्राज्य प्रमुख हुकुमतें रही हैं।

लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। असम में 30.9% और पश्चिम बंगाल में 25.2 फीसद मुस्लिम हैं।

निष्कर्ष

कई प्रामाणिक अकादमिक शोध के अनुसार पिछले 20 बरस में मुस्लिम आबादी में वृद्धि की दर 29.3% से 4.7 फीसद घट 24.6 फीसद रह गई। ये भी एक वैज्ञानिक तथ्य उभरा कि हिन्दू धर्म में जाति व्यवस्था में ही विवाह के चलन के विपरीत इस्लाम आबादी में ऐसी बंदिश नहीं होने के कारण प्रजनन दर ज्यादा और शिशु-मृत्यु दर कम है। मोदी सरकार, अब क्या बोलती तू ?

(चंद्रप्रकाश झा लेखक और स्वतंत्र पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

चंद्र प्रकाश झा
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